दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों की सूची में जल्दी ही और भारतीय बैंक होंगे शामिल: आरबीआई गवर्नर

रुपये के लिए किसी भी स्तर को लक्ष्य नहीं बनाया; अमेरिकी डॉलर की मांग से इसमें गिरावट: गवर्नर

नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि आर्थिक विस्तार और बैंकिंग प्रणाली में वृद्धि की गति को देखते हुए, भारत के और भी घरेलू बैंक जल्द ही दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों की सूची में शामिल होंगे. मल्होत्रा ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान देने के बाद छात्रों से बातचीत में कहा कि आरबीआई भारत के कई बड़े बैंकों को वैश्विक सूची में शामिल नहीं कर सकता. जबकि इसमें उन्हें शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा, ”…सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र में कई बैंक हैं. जिस गति से वे ब­ढ़ रहे हैं, मुझे लगता है कि यह केवल समय की बात है कि दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों में हमारे कई बैंक शामिल होंगे.” वर्तमान में, केवल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और एचडीएफसी बैंक ही दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों में शामिल हैं. ये दोनों बैंक क्रमश? 43वें और 73वें स्थान पर हैं.

इस महीने की शुरुआत में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि देश को बड़े और वैश्विक स्तर के बैंकों की जरूरत है और इस संबंध में रिजर्व बैंक और वित्तीय संस्थानों के साथ बातचीत जारी है. उन्होंने कहा था, ”यह मौजूदा बैंकों से नए बैंक बनाने से नहीं हो सकता… विलय भी एक रास्ता हो सकता है. सही मायने में आपको एक ऐसे परिवेश की जरूरत है जिसमें ज्यादा बैंक काम कर सकें और आगे ब­ढ़ सकें. भारत में यह माहौल पहले से ही अच्छी तरह से स्थापित है, लेकिन मुझे और ज्यादा गतिशील होने की जरूरत है….”

रुपये के लिए किसी भी स्तर को लक्ष्य नहीं बनाया;अमेरिकी डॉलर की मांग से इसमें गिरावट

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ??ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी भी स्तर का लक्ष्य नहीं बनाया है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में हाल में आई गिरावट की वजह डॉलर की मांग में तेजी है. गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा का ”काफी अच्छा” भंडार है और बा’ क्षेत्र को लेकर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है.

दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान में मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रणाली में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है और केंद्रीय बैंक जहां तक संभव हो, आवश्यक सुरक्षा उपायों एवं सुरक्षा-व्यवस्था को बनाए रखते हुए विनियमनों को सरल बनाने का प्रयास कर रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन से जुड़े सवाल पर उन्होंने विश्वास जताया कि भारत, अमेरिका के साथ एक ”अच्छा व्यापार समझौता” करेगा और इससे देश के चालू खाता शेष पर दबाव कम होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये का हालिया अवमूल्यन व्यापारिक गतिविधियों और अमेरिकी शुल्क मुद्दों के कारण है.

मल्होत्रा ??ने कहा, ” हम किसी स्तर को लक्ष्य नहीं बनाते. रुपये में गिरावट क्यों आ रही है? ऐसा मांग के कारण है…यह एक वित्तीय साधन है. डॉलर की मांग है और यदि डॉलर की मांग ब­ढ़ती है तो रुपये में गिरावट आती है. यदि रुपये की मांग ब­ढ़ती है तो डॉलर में गिरावट आती है और रुपया मजबूत होता है.” अमेरिकी मुद्रा में व्यापक मजबूती एवं अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की कम होती संभावनाओं के बीच रुपया बृहस्पतिवार को 23 पैसे टूटकर 88.71 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से जुड़े ब्योरे में दिसंबर में नीतिगत दर में कटौती न करने का संकेत मिलने के बाद डॉलर में तेजी आई है और यह 100 के स्तर के पार पहुंच गया. इससे घरेलू मुद्रा पर दबाव ब­ढ़ा है. बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में गवर्नर ने कहा कि जिस तरह से भारतीय बैंक प्रदर्शन कर रहे हैं, बहुत जल्द उनमें से कुछ शीर्ष 100 वैश्विक ऋणदाताओं में शामिल होंगे.

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