एमवीए को अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए, वाम दलों को सीट आवंटित करे: माकपा नेता अशोक धवले

नयी दिल्ली. माकपा के वरिष्ठ नेता अशोक धवले ने कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन महाराष्ट्र में राज्य विधानसभा चुनाव जीतना चाहता है तो उसे अति आत्मविश्वास में नहीं रहना चाहिए और वाम दलों को सीट आवंटित करनी चाहिए. धवले ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वाम दल महा विकास आघाडी (एमवीए) के तहत महाराष्ट्र विधानसभा की 288 में से लगभग 20 सीट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं.

ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के अध्यक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो सदस्य धवले ने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों को छोड़कर वाम दलों की सभी जिलों में मौजूदगी है. उन्होंने कहा कि राज्य में यह मौजूदगी महत्वपूर्ण होगी जहां राजग और ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत में अंतर सिर्फ 0.4 का था, भले ही ‘इंडिया’ गठबंधन ने 29 सीट जीती हों.

धवले ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दल 288 सीट में से लगभग 20 सीट पर लड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिनमें से कई सीट ऐसी हैं जो हमने पहले जीती हैं, और उन क्षेत्रों में जहां हम मजबूत हैं.” माकपा दहानू से चुनाव लड़ेगी. यह सीट उसने 1978 के बाद से पिछले 10 विधानसभा चुनावों में से नौ में जीती है. वह कलवान से भी लड़ेगी जहां इसके उम्मीदवार की 2014 में जीत हुई थी, लेकिन 2019 में लगभग 7,000 मतों के अंतर से इसकी हार हुई थी. इन दोनों क्षेत्रों के अलावा माकपा जिन सीट पर लड़ने की इच्छुक है, उनमें सोलापुर सिटी सेंट्रल, जहां पहले माकपा के विधायक रहे हैं, नासिक पश्चिम और अकोले हैं जहां उसे काफी वोट मिलते रहे हैं. मराठवाड़ा क्षेत्र में नांदेड़ में किनवट और बीड जिले में मजलगांव सीट पर भी माकपा दावा कर रही है.

रायगड़ जिले में मजबूत आधार रखने वाली पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया (पीडब्ल्यूपी) सांगोले, अलीबाग, पेन, पनवेल और उरण से चुनाव लड़ना चाहती है. लोहा विधानसभा सीट से इसका एक मौजूदा विधायक है. इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) विदर्भ क्षेत्र में वानी, शिरपुर, औरंगाबाद सेंट्रल और हिंगना से लड़ना चाहती है, जबकि महाराष्ट्र में एक और वामपंथी पार्टी सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी सकरी सीट से लड़ना चाहती है. हाल में वाम दलों द्वारा आयोजित बैठकों में शामिल हुई समाजवादी पार्टी मुंबई, भिवंडी और मालेगांव जिलों की कुछ सीट से लड़ना चाहती है. धवले ने कहा कि विपक्षी गठबंधन एमवीए को अति आत्मविश्वास में नहीं होना चाहिए, भले ही उसने राज्य की 48 लोकसभा सीट में से 29 सीट जीती हों.

उन्होंने कहा, ”आंकड़ों से यह तथ्य छिप जाता है कि मत प्रतिशत में अंतर बहुत कम था.” धवले ने कहा कि हरियाणा में तय मानी जा रही जीत के बावजूद कांग्रेस हार गई क्योंकि वह गठबंधन सहयोगियों को साथ लाने में विफल रही. इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में एमवीए- कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), राकांपा (शरदचंद्र पवार) और वाम दलों को लगभग 44 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 43.6 प्रतिशत वोट मिले.

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