चंद्रमा पर पहुंचा नासा का ओरियन कैप्सूल

केप कैनवेरल. नासा का ‘ओरियन’ कैप्सूल सोमवार को चंद्रमा पर पहुंच गया. ह्यूस्टन में बैठे उड़ान नियंत्रकों को आधे घंटे के संचार ब्लैकआउट के कारण यह पता नहीं था कि क्या महत्वपूर्ण ‘इंजन फायंिरग’ तब तक ठीक रही जब तक कि कैप्सूल चंद्रमा के पीछे से सामने नहीं आ गया. इसमें अंतरिक्ष यात्रियों की जगह परीक्षण डमी भेजी गई हैं.

पचास साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है जब कोई कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचा है और पिछले बुधवार को शुरू हुई 4.1 अरब डॉलर की लागत वाली यह परीक्षण उड़ान काफी महत्वपूर्ण है. ओरियन के उड़ान पथ में अपोलो 11, 12 और 14 के लैंंिडग स्थल भी शामिल हैं जो मानव पहुंच के पहले तीन चंद्र स्थल हैं.

कैप्सूल ने 16 नवंबर को फ्लोरिडा स्थित केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से नासा के अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट से उड़ान भरी थी.
जैसे ही कैप्सूल चंद्रमा के पीछे से बाहर निकला, इसमें लगे कैमरों ने धरती की एक तस्वीर भेजी जो कालेपन से घिरे एक छोटे नीले बिन्दु के रूप में दिखी.

मिशन नियंत्रक कमेंटेटर सैंड्रा जोन्स ने कहा, “हमारा पीला नीला ंिबदु और इसके आठ अरब मानव निवासी अब दिखने में आ रहे हैं.” नासा ने कहा कि कैप्सूल रेडियो संपर्क में आने के साथ ही 5,000 मील प्रति घंटे (8,000 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से आगे बढ़ा और एक घंटे से भी कम समय के बाद, ओरियन ट्रैंक्विलिटी बेस के ऊपर से उड़ा, जहां नील आर्मस्ट्रांग तथा बजÞ एल्ड्रिन 20 जुलाई, 1969 को उतरे थे. उड़ान निदेशक जÞेब स्कोविल ने कहा कि यह उन दिनों में से एक है जिसके बारे में आप लंबे समय से सोचते रहे हैं और इसके बारे में बात करते रहे हैं.

आने वाले सप्ताहांत में, ओरियन अंतरिक्ष यात्रियों के वास्ते डिजÞाइन किए गए अंतरिक्ष यान के लिए पृथ्वी से लगभग 2,50,000 मील (चार लाख किलोमीटर) के नासा के दूरी के रिकॉर्ड को तोड़ देगा जो 1970 में अपोलो 13 द्वारा निर्धारित किया गया था. इसके बाद यह आगे बढ़ता रहेगा अगले सोमवार को पृथ्वी से अधिकतम दूरी-270,000 मील (4,33,000 किमी) तक पहुँच जाएगा. यदि सबकुछ ठीक रहा तो इसे दीर्घ कक्षा में रखने के लिए शुक्रवार को एक और ‘इंजन फायंिरग’ की जाएगी.

धरती पर लौटने से पहले कैप्सूल चंद्रमा की कक्षा में करीब एक सप्ताह बिताएगा. इसे 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में गिराने की योजना बनाई गई है. कैप्सूल में कोई लैंडर नहीं लगा है और इसका चांद से कोई स्पर्श नहीं होगा. इस मिशन के सफल होने पर नासा 2024 में अंतरिक्ष यात्रियों को चांद के आसपास भेजने के मिशन को अंजाम देगा. इसके बाद नासा 2025 में एक यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने की कोशिश करेगा.

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