सब्जियों की कीमतों पर नजर रखने की जरूरत, मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक लाने में लगेगा समय : दास

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि हमें इस साल र्गिमयों में सब्जियों की कीमतों पर नजर बनाए रखने की जरूरत है” क्योंकि आईएमडी ने अधिक गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की है. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में दास ने कहा कि आरबीआई का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति दर को टिकाऊ आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित चार प्रतिशत के लक्ष्य तक लाना है. ”आखिरी पड़ाव” सबसे चुनौतीपूर्ण है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के देश के कई हिस्सों में इस साल जून तक लू चलने का पूर्वानुमान लगाने से जुड़े सवाल पर दास ने कहा, ” हमें यह देखना होगा कि इसका (उच्च तापमान) विशेष रूप से खाद्य फसलों पर क्या असर पड़ता है. मैंने कुछ प्रमुख सब्जियों का उल्लेख भी किया है.” हालांकि, उन्होंने गेहूं को लेकर कोई समस्या नहीं होने का भरोसा जताया और कहा कि अधिकतर कटाई पूरी हो चुकी है.

गवर्नर ने कहा, ” गेहूं…..इसको लेकर ऐसी कोई चिंता नहीं है, लेकिन सब्जियों की कीमतों पर नजर रखनी होगी….और लू के कई अन्य प्रभाव हो सकते हैं.” डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति हाल के दिनों में अत्यधिक अस्थिर रही है, और इसे बढ.ाने वाले कारक लगातार बदलते रहते हैं. हम यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहे हैं कि इसका असर उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) के बाकी आयामों पर न पड़े.

पात्रा ने कहा कि अंडा, मांस, मछली और चावल जैसी वस्तुओं की वजह से भी मुद्रास्फीति पर दबाव बना है. इसके अलावा हाल के दिनों में अनाज, सब्जियों के कारण भी खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है. इससे पहले दिन में अपने बयान में गवर्नर ने कहा था कि मुद्रास्फीति पर आरबीआई का लक्ष्य अब सामने है और उन्होंने सभी से मूल्य वृद्धि को लेकर सतर्कता कम नहीं करने को कहा है. समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024-25 की कुछ तिमाहियों में चार प्रतिशत से नीचे जाती दिख रही है, लेकिन फिर ऊपर आ जाएगी.

दास ने कहा, ” हाथी (मुद्रास्फीति) धीमी गति से चलता है” और अंतिम पड़ाव हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है. उन्होंने कहा, ” हम चाहते हैं कि हाथी जंगल में लौट आए और हमेशा वहीं रहे. हम चाहते हैं कि मुद्रास्फीति टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप रहे.” इस बीच, दास ने कहा कि आरबीआई के आखिरी अध्ययन के बाद से संभावित वृद्धि दर में बढ.ोतरी हुई. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए औसत वृद्धि आठ प्रतिशत है.

आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को सात प्रतिशत पर बनाए रखने के बारे में आरबीआई अधिकारियों ने बताया कि यह वित्त वर्ष 2024-25 तक के दौरान आने वाले वर्षों में उच्च वृद्धि के आधार प्रभाव की वजह से है. दास ने कहा कि अगर वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में सात प्रतिशत रही, तो लगातार चौथे साल अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ.ेगी.
उन्होंने कहा कि मई में वित्त वर्ष 2023-24 की वृद्धि के आधिकारिक आंकड़े जारी होने के बाद, आरबीआई संभावित वृद्धि तथा वास्तविक ब्याज दर पर गौर करेगा.

हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति या आगे के रुख पर कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कम हो रही है और जीडीपी वृद्धि वर्तमान में मजबूत है, हालांकि आरबीआई अगले दशक में वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा. दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को तय लक्ष्य पर लाने पर ध्यान केंद्रित किया है और इसे वहां तक लाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है.

मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के इरादे को दर्शाता है आरबीआई का फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने और मुद्रास्फीति को नीचे लाने पर जोर देने का फैसला मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के केंद्रीय बैंक के इरादे को दर्शाता है. मौद्रिक नीति समीक्षा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विशेषज्ञों ने यह बात कही है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि रिजर्व बैंक ने निरंतर आर्थिक वृद्धि पर भी जोर दिया है.

रिजर्व बैंक ने अप्रैल से जून तक सामान्य से अधिक अधिक तापमान की मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मद्देनजर खाद्य मुद्रास्फीति को लेकर चिंताओं का हवाला दिया और रेपो दर को लगातार सातवीं बार 6.5 प्रतिशत पर अपरिर्वितत रखा. एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति और इसके चलते आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों सहित वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रिजर्व बैंक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं से सफलतापूर्वक बचाया है.
उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने भी कहा कि नीतिगत दरों पर आरबीआई के फैसले से आर्थिक गतिविधियों को बढ.ावा मिलेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत के आसपास आने के बाद रेपो दर में कटौती की जाएगी.

एंड्रोमेडा सेल्स एंड डि्ट्रिरब्यूशन के सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राउल कपूर ने कहा कि घटती मुद्रास्फीति और आशाजनक वृद्धि संभावनाओं के चलते ब्याज दर में कटौती की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी एमपीसी बैठकों में आरबीआई रेपो दर में 0.25 से 0.50 प्रतिशत तक कटौती करेगा. इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस की मुख्य निवेश अधिकारी पूनम टंडन ने कहा कि नीति समीक्षा में यथास्थिति, उम्मीद के मुताबिक है और फिलहाल केंद्रीय बैंक मुख्य मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में लाने पर ध्यान दे रहा है.

रिजर्व बैंक ने 2024-25 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर रखा कायम
मानसून सामान्य रहने, मुद्रास्फीतिक दबाव कम होने और विनिर्माण व सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी की संभावना के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है. यह 2023-24 के लिए 7.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है.

आरबीआई ने अपनी फरवरी की मौद्रिक नीति में एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि ग्रामीण मांग में मजबूती, रोजगार तथा असंगठित क्षेत्र की स्थिति में सुधार, मुद्रास्फीतिक दबाव कम होने और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के रफ्तार पकड़ने से निजी उपभोग बढ.ेगा.

हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार मार्ग में व्यवधान से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.
उन्होंने कहा कि निजी निवेश चक्र में सुधार के चलते निवेश गतिविधियों को लेकर संभावनाएं बेहतर हुई हैं. इसके अलावा सरकार का पूंजीगत व्यय बढ.ने, बैंकों तथा कंपनियों का मजबूत बही-खाता, क्षमता इस्तेमाल बढ.ने और कारोबारी भरोसा बढ.ने से भी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

दास ने कहा इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा अनुमान है कि कि देश की सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर 2024-25 में सात प्रतिशत रहेगी. जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ.ने की उम्मीद है. गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण मांग के रफ्तार पकड़ने से चालू वित्त वर्ष में उपभोग से आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा. इसके अलावा विभिन्न संकेतकों से पता चलता है कि शहरी मांग भी मजबूत बनी हुई है.

दास ने बताया कि वाणिज्यिक क्षेत्र को बैंकों और अन्य स्रोतों से 2023-24 में कुल प्रवाह 31.2 लाख करोड़ रुपये रहा है. यह इससे पिछले साल 26.4 लाख करोड़ रुपये रहा था. उन्होंने कहा कि फरवरी में बाहरी मांग में भी सुधार देखा गया और निर्यात 10 प्रतिशत से अधिक बढ.ा. हालांकि, आयात बढ.ने की वजह से व्यापार घाटे में भी बढ.ोतरी हुई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि रिजर्व बैंक को वृद्धि को ”सर्वोच्च प्राथमिकता” देते हुए भरोसे और स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए.

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