
नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नये आपराधिक कानून लागू किये जाने को स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार करार देते हुए मंगलवार को कहा कि इनसे न्यायिक प्रक्रिया न केवल वहनीय और सुलभ होगी, बल्कि सरल, समयबद्ध और पारदर्शी भी बनेगी.
शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने नये कानून – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) बनाए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों के सभी अधिकारों की सुरक्षा हो और कोई भी अपराधी सजा से न बच सके.
तीन नये आपराधिक कानूनों, बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए के लागू होने के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि चूंकि सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन हैं, इसलिए किसी भी चीज की अनदेखी नहीं की जाएगी और समय पर न्याय मिलेगा.
गृह मंत्री ने कहा, ”नये आपराधिक कानून आने वाले दिनों में भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाएंगे. मैं सभी नागरिकों को आश्वासन देता हूं कि लगभग 3 साल में इन कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद देशभर में किसी भी प्राथमिकी में उच्चतम न्यायालय तक न्याय मिलेगा.” बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने क्रमश? औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. नये कानून 1 जुलाई 2024 को लागू हुए थे.
गृह मंत्री ने तीनों नये कानूनों को स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार करार देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी अपराधी अपराध करने के बाद सजा से न बचे. उन्होंने कहा कि निश्चित समय के भीतर न्याय अवश्य मिलेगा. शाह ने कहा कि नये कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि औपनिवेशिक काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाती थी.
उन्होंने कहा कि पहले ”हमारी न्याय प्रणाली के सामने सबसे बड़ी समस्या” यह थी कि किसी को नहीं पता था कि न्याय कब मिलेगा.
उन्होंने कहा, ”वह ‘तारीख पे तारीख’ का युग था. लेकिन तीन नये कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद, यदि आप देश के किसी भी कोने में प्राथमिकी दर्ज कराते हैं, तो आपको तीन साल के भीतर उच्चतम न्यायालय तक न्याय मिलेगा.” गृह मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नये आपराधिक कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद देश में दोषसिद्धि दर, जो वर्तमान में विकसित देशों की तुलना में कम है, बढ. जाएगी.
उन्होंने कहा कि नये कानूनों के तहत उन सभी मामलों में फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य कर दिये गए हैं, जिनमें सात साल की सजा का प्रावधान है. शाह ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में तीनों घटक – पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका – नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए नये कानूनों में समय सीमा से बंधे हुए हैं.
उन्होंने कहा, ”आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश शासन की रक्षा के लिए बनाए गए थे. नये कानून नागरिकों के शरीर, संपत्ति और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं.” गृह मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में देश की आपराधिक न्याय प्रणाली एक नये युग में प्रवेश करेगी और इससे लोगों के मन में निश्चित रूप तुरंत न्याय मिलने का विश्वास पैदा होगा. उन्होंने कहा कि नये कानूनों से ‘प्राथमिकी दर्ज कराएंगे तो क्या होगा’ की जगह ‘प्राथमिकी से तुरंत न्याय मिलेगा’ का विश्वास बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि नये कानून लागू होने के बाद जांच 90 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए, आरोप पत्र दाखिल करने, आरोप तय करने और फैसला सुनाने के लिए समयसीमा तय की गई है.
शाह ने कहा कि न्याय प्रणाली को पारदर्शी, लोगों के अनुकूल और समयबद्ध बनाने से बड़ा कोई सुधार नहीं हो सकता तथा यह नये कानूनों के माध्यम से किया गया है. नये कानून आधुनिक न्याय प्रणाली लेकर आए हैं, जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सम्मन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं.
‘जीरो एफआईआर’ किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध किसी भी स्थान पर हुआ हो. बाद में, इसे संबद्ध थाने को हस्तांतरित कर दिया जाता है. इन नये कानूनों में वर्तमान सामाजिक वास्तविकताओं और आधुनिक समय के अपराधों को ध्यान में रखा गया है तथा संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक तंत्र प्रदान किया जाएगा.