प्रधानमंत्री का ‘मौनव्रत’ तोड़ने के लिए लाए अविश्वास प्रस्ताव: कांग्रेस

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा: विपक्ष का सरकार पर ज्वलंत मुद्दों की अनदेखी का आरोप

नयी दिल्ली. लोकसभा में मंगलवार को कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव मजबूरी में लाना पड़ा ताकि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘मौनव्रत’ तोड़ा जा सके. सदन में पार्टी के उप नेता गौरव गोगोई ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए रखते हुए यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया और मणिपुर के मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) को पद पर क्यों बनाए रखा? उन्होंने दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मौन रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ अपनी छवि से लगाव है और वह अपनी सरकार, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की विफलताओं को सामने नहीं आने देना चाहते.

कांग्रेस सांसद का कहना था, ”यह हमारी मजबूरी है कि हमें यह अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है. यह संख्या को लेकर नहीं है, बल्कि मणिपुर के इंसाफ के लिए है.” गोगोई ने कहा, ”यह अविश्वास प्रस्ताव हम मणिपुर के लिए लाए हैं. आज मणिपुर इंसाफ मांगता है, मणिपुर के युवा, महिलाएं इंसाफ मागती हैं.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”हमारी मांग थी कि देश के मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री सदन में बयान दें और यहां से सदेश दिया जाए कि दुख की घड़ी में हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं.”

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने मौन व्रत लिया. इसलिए हम यह अविश्वास प्रस्ताव लाए क्योंकि हम प्रधानमंत्री का मौन व्रत तोड़ना चाहते हैं.” गोगोई ने सवाल किया, ”प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं गए? उन्हें मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लगे? जब बोले तो सिर्फ 30 सैकंड के लिए बोले.” उन्होंने आरोप लगाया कि आज तक प्रधानमंत्री की तरफ से संवेदना का कोई शब्द नहीं है, न शांति की गुहार लगाई गई.

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ”प्रधानमंत्री ने आज तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया? गुजरात, उत्तराखंड, त्रिपुरा में चुनाव आने से पहले मुख्यमंत्री को बदल दिया गया. मणिपुर के मुख्यमंत्री को ऐसा क्या आशीर्वाद दे रहे हैं?” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को कबूल करना होगा कि मणिपुर में ‘डबल इंजन’ की सरकार विफल हो चुकी है.

गोगोई ने कहा, ”मणिपुर में कोई पहली बार हिंसा नहीं हुई है. लेकिन समाज के दो वर्गों के बीच ऐसा बंटवारा हमने पहले कभी नहीं देखा था.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”आज (भाजपा की) इस राजनीति से दो मणिपुर बन गए हैं. मैं (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी)वाजपेयी जी का संदेश मणिपुर के मुख्यमंत्री को देना चाहता हूं कि राजधर्म निभाया जाए.” उन्होंने दावा किया कि अगर मणिपुर में वीडियो वायरल नहीं होता तो प्रधानमंत्री नहीं बोलते, चुप्पी साधे रहते.

उन्होने आरोप लगाया, ”प्रधानमंत्री को अपनी छवि से लगाव है, इसलिए वह मौन रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के मौन रहने का दूसरा कारण यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विफल रहे हैं.” गोगोई ने दावा किया कि जब भी देश के समक्ष बड़े मुद्दे आते हैं तो प्रधानमंत्री मौन धारण कर लेते हैं. कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ”यह कैसा राष्ट्रवाद है जो देश से ज्यादा सत्ता को महत्व देता है?” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में आकर बयान दें, मणिपुर का दौरा करें और अपने साथ सभी दलों के लोगों को लेकर जाएं.

गोगोई ने कहा, ”आज आप (भाजपा) जितनी भी नफरत फैलाएं, हम राहुल गांधी के नेतृत्व में जगह-जगह मोहब्बत की दुकान खोलेंगे.” उन्होंने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर प्रधानमंत्री के हमले को लेकर पलटवार करते हुए हुए कहा, ”प्रधानमंत्री ‘इंडिया’ गठबंधन को बदनाम करने पर तुले हैं, देश के नाम को बदनाम करने पर तुले हैं. अफसोस की बात है कि जब आप पीएफआई, इंडियन मुजाहिदीन और ईस्ट इंडिया की बात करते हैं, तब हम आईआईटी, इसरो, इंडियन पुलिस फ.ोर्स और इंडियन एयरफोर्स की बात करते हैं.”

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने कहा कि किसी भी सरकार का मूल्यांकन पांच बिंदुओं- आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, संस्थाओं की स्वायत्तता, कूटनीतिक रिश्ते और सांप्रदायिक सद्भाव पर किया जाता है, लेकिन इन पांचों बिंदुओं पर सरकार पूरी तरह विफल रही है. तिवारी ने कहा कि मणिपुर की सीमा म्यामां जैसे देश से लगती है जिसके सैन्य शासन के चीन के साथ रिश्ते जगजाहिर हैं.

उनका कहना था कि मणिपुर या उत्तर पूर्व के किसी राज्य में सामाजिक उथल पुथल होती है तो उसका असर केवल उस राज्य पर नहीं बल्कि पूरे उत्तर पूर्व पर और देश की सुरक्षा पर पड़ता है. उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेश के गठन को चार साल हो गये हैं, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराये गये हैं. तिवारी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सदन में जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक यह नहीं किया गया.

उन्होंने कहा, ”आप जब संविधान की धाराओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो उसके दूरगामी परिणाम पड़ते हैं.” उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि क्या सरकार चीन की राजनीतिक मंशा समझ पाई है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद सितंबर 2020 में सदन की बैठक हुई थी और तब से अब तक चीन पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई है. तिवारी ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर हो चुकी 18 दौर की सैन्य वार्ता, विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता का क्या निष्कर्ष निकला, बताना चाहिए. उन्होंने कहा कि सवाल बहुत हैं लेकिन संवाद की कमी है. यदि संवाद होता तो ‘इंडिया’ को यह अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं पड़ती.

केंद्र सरकार ‘अहंकार में डूबी’ है, भाजपा नफरत की राजनीति करती है: सपा

समाजवादी पार्टी (सपा) ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर मणिपुर के मुद्दे पर संवेदनहीनता दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार ‘अहंकार’ में डूबी है और उत्तर पूर्व राज्य में हिंसा की घटनाओं के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिम्मेदार है. सपा सांसद डिंपल यादव ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाये गये कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए ये आरोप लगाये.

उन्होंने कहा कि जब महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात होती है तो उत्तर प्रदेश की भी चर्चा होनी चाहिए. यादव ने दावा किया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर तीन घंटे में एक महिला का यौन उत्पीड़न होता है.
उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना मामूली नहीं. सपा सदस्य ने कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर केंद्र सरकार का रवैया संवेदनाहीन है और वह ‘अहंकार में डूबी’ है.

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा: विपक्ष का सरकार पर ज्वलंत मुद्दों की अनदेखी का आरोप

लोकसभा में मंगलवार को विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की समस्याओं से निपटने में ‘डबल इंजन’ सरकार पूरी तरह विफल रही है और यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘मौनव्रत’ तोड़ने के लिए लाया गया है.

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ”जब मणिपुर जल रहा था तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस राज्य का दौरा करने के बजाय विदेश यात्रा पर थे.” वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दलों को जनता की चिंता नहीं है और वे एक ऐसे प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं जो गरीब परिवार से आते हैं और जिन्होंने गरीब जनता को मकान, शौचालय और पीने का पानी उपलब्ध कराया और कमजोर वर्ग की चिंता की.

केंद्र में सत्तारूढ. पार्टी ने दावा किया कि विपक्ष के सभी दांव विफल होंगे और 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत गठबंधन 400 सीटों के साथ वापसी करेगा. लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए रखते हुए यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया और मणिपुर के मुख्यमंत्री को पद पर क्यों बनाए रखा? उन्होंने दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मौन रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ अपनी छवि से लगाव है और वह अपनी सरकार, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की विफलताओं को सामने नहीं आने देना चाहते.

कांग्रेस सांसद ने कहा, ” मैं इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों को आभार प्रकट करता हूं.” उनका कहना था, ”यह हमारी मजबूरी है कि हमें यह अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है. यह संख्या को लेकर नहीं है, बल्कि मणिपुर के इंसाफ के लिए है.” गोगोई ने कहा, ”यह अविश्वास प्रस्ताव हम मणिपुर के लिए लाए हैं. आज मणिपुर इंसाफ मांगता है, मणिपुर के युवा, महिलाएं इंसाफ मागते हैं.”

कांग्रेस नेता ने कहा, ”हमारी मांग थी कि देश के मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री सदन में बयान दें और यहां से सदेश दिया जाए कि दुख की घड़ी में हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं.” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने मौन व्रत लिया. इसलिए हम इस अविश्वास प्रस्ताव को लाए क्योंकि हम प्रधानमंत्री का मौन व्रत तोड़ना चाहते हैं.” गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को कबूल करना होगा कि मणिपुर में ‘डबल इंजन’ की सरकार विफल हो चुकी है.

उन्होंने कहा, ”आज आप (भाजपा) जितनी भी नफरत फैलाएं, हम राहुल गांधी के नेतृत्व में जगह-जगह मोहब्बत की दुकान खोलेंगे.” चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के निशिकांत दुबे ने कहा कि ”आज यह अविश्वास प्रस्ताव एक गरीब के बेटे के खिलाफ लाया गया है. यह प्रस्ताव उस व्यक्ति (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) के खिलाफ है जिसने गरीबों को मकान बनाकर दिये, जिसने गरीब जनता को पीने का पानी दिया, शौचालय दिये, जिसने गरीब के घर में उजाला लाने की कोशिश की.” दुबे ने कहा कि विपक्षी दलों का विरोध इस बात पर है कि प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में गरीब के घर में चूल्हा क्यों जल रहा है, विदेशी नेता प्रधानमंत्री का सम्मान क्यों करते हैं.

उन्होंने कहा कि महाभारत में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र आदि सब मौन धारण किये हुए थे. दुबे ने कहा, ”इसी तरह आज जब आप (विपक्ष) प्रधानमंत्री का, गरीबों और किसानों के एक हितैषी का चीरहरण करेंगे तो जिस तरह उस समय भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र में से कोई नहीं बचा, उसी तरह 2024 में आपमें से कोई नहीं बचेगा. हम 400 सीट के साथ सत्ता में वापस आएंगे.” दुबे ने कहा कि विपक्षी सांसद अपने गठबंधन ‘इंडिया’ की बात करते हैं लेकिन इनमें से कुछ को ही इसका विस्तृत नाम पता होगा.

उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन में सारे दल एक दूसरे से लड़ रहे हैं, लेकिन नाम ‘इंडिया’ रखा है. दुबे ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने आजादी के बाद से देश का जितना नाम नहीं लिया होगा, उतनी बार ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगा दिये. दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि यह अविश्वास प्रस्ताव नहीं है, बल्कि विपक्ष में विश्वास का प्रस्ताव है जिससे यह पता चल जाए कि विपक्ष में कौन किसके साथ है.
उन्होंने कहा कि एक दूसरे से लड़ने वाले दल आज प्रधानमंत्री के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं. चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि आज उन्हें प्रधानमंत्री के बारे में व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं कहना, उनकी शिक्षा के बारे में नहीं कहना, बीबीसी वृतचित्र के बारे में कुछ नहीं कहना और न ही गुजरात दंगों के बारे में कुछ कहना है. उन्होंने कहा कि लेकिन आज वह कहना चाहते हैं कि केंद्र की वर्तमान सरकार ‘वादे पूरे करने में विफल रहने वाली’ और ‘विनाशकारी नीतियों’ वाली सरकार है.

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की वर्तमान सरकार संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है और इसका नुकसान पश्चिम बंगाल झेल रहा है.
सौगत राय ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल का मनरेगा कोष रोक लिया गया है, वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना की निधि जारी नहीं की गई है.

उन्होंने मणिपुर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सरकार हृदयविहीन सरकार है और उसने मणिपुर के लोगों की सुध तक नहीं ली.
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा, ” मई से जुलाई तक प्रधानमंत्री ने सात देशों की यात्रा की जिनमें आस्ट्रेलिया, अमेरिका, मिस्र, पापुआ न्यगिनी जैसे देश शामिल हैं. लेकिन वे मणिपुर नहीं गए.” वहीं, बीजद के नेता पिनाकी मिश्रा ने कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि उनकी पार्टी की स्थापना कांग्रेस के विरोध की बुनियाद पर हुई थी और वह कभी कांग्रेस के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकती.

उन्होंने कहा कि बीजद को लगता है कि यह अविश्वास प्रस्ताव लाने का सही समय नहीं है. मिश्रा ने कहा, ”यह प्रस्ताव केवल प्रधानमंत्री को सदन में लाने के लिए लाया गया है. कांग्रेस जानती है कि हर बार प्रधानमंत्री जब सदन में बोलते हैं तो कांग्रेस को पूरी तरह धराशायी कर देते हैं. सब जानते हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रधानमंत्री एक बेमिसाल वक्ता हैं. देश में इस समय उनके स्तर का वक्ता नहीं है. वह बृहस्पतिवार को इस चर्चा के जवाब में भी ऐसा ही करेंगे. ” बीजद सांसद ने कहा, ”मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग (कांग्रेस) प्रधानमंत्री को सदन में बुलाकर आफत मोल क्यों लेते हैं. यह कांग्रेस की सामान्य समझ, राजनीतिक समझ को दर्शाता है.” मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस को इस प्रस्ताव को लाने का कोई फायदा नहीं होगा और यह मत विभाजन में गिर जाएगा.

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