चीन के सरकारी मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी के लिए सिर्फ तारीफ से कोई आश्चर्य नहीं : कांग्रेस

नयी दिल्ली. ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की सराहना करते हुए एक आलेख प्रकाशित होने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन के सरकारी मीडिया ने उनकी प्रशंसा की है. पार्टी ने आरोप लगाया कि यह मोदी ही थे जिन्होंने उस देश के हितों को समायोजित किया और उसे भारत के पड़ोस में प्रभाव हासिल करने की अनुमति दी.

चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के एक आलेख में कहा गया है कि पड़ोसी देश “भारत विमर्श” बनाने और विकसित करने में रणनीतिक रूप से अधिक आश्वस्त और सक्रिय हो गया है. अखबार ने प्रधानमंत्री मोदी के तहत आर्थिक, सामाजिक शासन और विदेश नीति के क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति की प्रशंसा की है.

एक बयान में, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “चीन की आधिकारिक मीडिया में प्रधानमंत्री की प्रशंसा से उनका प्रशस्ति-गान करने वाले खुश हैं. और उन्हें चीन से प्रशंसा क्यों नहीं मिलनी चाहिए? आखिरकार वह और सिर्फ वह ही थे, जिन्होंने – चीनियों को 19 जून, 2020 को अपने सार्वजनिक बयान- ‘ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, ना ही कोई घुसा हुआ है, ना ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्ज.े में हैं’ – के साथ क्लीन चिट दे दी थी.”

रमेश ने आरोप लगाया, “हमारे सैनिकों के लिए गंभीर अपमान होने के अलावा, इस झूठ ने कोर कमांडर-स्तर की वार्ता के 18 दौर में हमारे रुख को बहुत नुकसान पहुंचाया और मई 2020 से 2,000 वर्ग किलोमीटर नए भारतीय क्षेत्र पर चीनी नियंत्रण बरकरार रखने में योगदान दिया.” उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री के दावे का खंडन करते हुए, लेह के पुलिस अधीक्षक ने एक पेपर प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया कि भारत अब उन 65 गश्त बिंदुओं में से 26 तक नहीं पहुंच सकता है, जहां वह 2020 से पहले गश्त करता था. रमेश ने दावा किया कि देपसांग और डेमचोक जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय सैनिक नहीं जा सकते हैं.

कांग्रेस नेता ने एक बयान में कहा, “जहां बातचीत से सैनिकों की वापसी हुई, उदाहरण के लिये गोगरा पोस्ट और हॉट ्प्रिरंग्स, भारत ने आक्रमणकारियों को लाभ देते हुए उन्हें बफर जोन के तौर पर मान लिया. ‘सैनिकों की वापसी’ के बाद उस स्थान तक, जहां परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का स्मारक बनाया गया था, भारत की तरफ से अब नहीं पहुंचा जा सकता है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि चीन प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर रहा है.” रमेश ने आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री ही थे जिन्होंने भारत को उन चीनी सैनिकों के साथ रूस में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की अनुमति दी जो “लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर रहे हैं”.

उन्होंने कहा, “1-7 दिसंबर को 7/8 गोरखा राइफल्स के भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी ने रूस के वोस्तोक 2022 अभ्यास में भाग लिया जिसमें चीन ने भी भाग लिया. क्या हमारे 20 बहादुर सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान इतनी आसानी से भुला दिया गया?” रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने भारत की कीमत पर चीन को मालदीव, भूटान और श्रीलंका में प्रभाव हासिल करने की अनुमति दी.
उन्होंने कहा, “मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत से मालदीव से अपने सैनिक वापस बुलाने का अनुरोध भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका है. वहीं, डोकलाम क्षेत्र में भी चीन की निर्माण गतिविधियां जारी हैं.” रमेश ने कहा, इस बीच, भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की चिंताओं के बावजूद चीन द्वारा भूटान में “कोई घुसपैठ नहीं हुई है”.

रमेश ने कहा, “और, श्रीलंका में, जहां प्रधानमंत्री का ज्यादातर ध्यान अपने करीबियों के लिए अनुबंध हासिल करने पर रहा है, चीन ने रणनीतिक हंबनटोटा बंदरगाह पर 99 साल के पट्टे के साथ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्तियों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले चीन के जहाज समय-समय पर बंदरगाह पर रुकते रहे हैं. चीन के संतुष्ट होने के ये सभी कारण हैं.” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने “मेक इन इंडिया” के वादों के बावजूद चीन से तेजी से आयात की सुविधा प्रदान की, जिसके कारण 2022 और 2023 में 200 अरब अमरीकी डालर से अधिक का रिकॉर्ड व्यापार घाटा हुआ. उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार चीनी श्रमिकों के लिए भारतीय वीजा के प्रावधान को सुगम बनाने की दिशा में बढ. रही है. रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के तहत चीन के आर्थिक हित स्पष्ट रूप से सुरक्षित हैं.

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