विपक्षी गठबंधन अपनी मौत खुद ही मर जाएगा : भाजपा

नयी दिल्ली. भाजपा ने मंगलवार को विपक्षी दलों के गठजोड़ ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का, उसे “ब्रेन डेड” कहकर मजाक उड़ाया और कहा कि यह एक “अप्राकृतिक गठबंधन” है और “जल्द ही अपनी मौत मर जाएगा”. केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि अन्य दलों के साथ झगड़ा करना कांग्रेस का स्वभाव है. उनकी यह टिप्पणी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा मुख्य विपक्षी दल के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार करने और जनता दल (यूनाइटेड) के ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) छोड़ कर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का दामन थामने के बीच आई है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने हमेशा कहा है कि यह गठबंधन केवल फोटो-शूट के लिए था. यह एक अप्राकृतिक गठबंधन था. यह अब ब्रेन डेड (मस्तिष्क मृत) हो चुका है और जल्द ही अपनी स्वाभाविक मौत को प्राप्त करेगा.” कांग्रेस, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की सबसे बड़ी पार्टी है और गठबंधन में कुछ अलग-अलग क्षेत्रीय दलों से कटाक्षों का सामना कर रही है.

भाजपा का खरगे पर पलटवार : वंशवादी राजनीति का अंत हो रहा है

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के एक बयान को लेकर मंगलवार को उन पर पलटवार किया और कहा कि देश में वंशवादी राजनीति का अंत हो रहा है और सच्चे लोकतंत्र का उदय हो रहा है. खरगे ने सोमवार को ओडिशा में पार्टी की एक सभा में दावा किया था कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी फिर जीत गई तो फिर देश में चुनाव नहीं होगा और तानाशाही आ जाएगी.

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने खरगे की इस टिप्पणी को लेकर उन पर पलटवार करते हुए कहा, ”लोकतंत्र की आड़ में होने वाली वंशवादी राजनीति समाप्त हो रही है, और वे सोच रहे हैं कि उनका भविष्य क्या होगा.” त्रिवेदी ने कहा, ”चाहे जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार हों, या पंजाब में बादल, हरियाणा में हुडा परिवार, ये सभी चुनाव हार गए. अशोक गहलोत के पुत्र भी चुनाव हार गए. अखिलेश यादव की पत्नी चुनाव हार गईं, बिहार में लालू प्रसाद यादव की बेटी चुनाव हार गईं… वंशवादी राजनीति के सबसे बड़े प्रतीक राहुल गांधी चुनाव हार गए.”

उन्होंने कहा, ”खरगे जी जो भी कह रहे हैं, उसका वास्तविक अर्थ यह है कि लोकतंत्र की आड़ में की जाने वाली वंशवादी राजनीति को पिछले चुनाव में मतदाताओं ने पूरी तरह से खारिज कर दिया… सच्चे लोकतंत्र का वास्तविक उद्भव हो रहा है.” त्रिवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि ”भारत में केवल दो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए.” भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि अप्रैल 1946 में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में 16 मतों को छोड़कर सारे मत सरदार वल्लभभाई पटेल को मिले. ”नेहरू को कोई वोट नहीं मिला था. यह बात आचार्य कृपलानी और मौलाना आजाद की किताबों में है.”

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री चुना था, जनता ने नहीं चुना था. उन्होंने कहा, ”क्या इंदिरा गांधी पहली बार वोट के जरिए सत्ता में आई थीं? नहीं, वह पहली बार कांग्रेस के आंतरिक फैसले से प्रधानमंत्री बनीं.” त्रिवेदी ने कहा कि इंदिरा गांधी की दुखद हत्या के बाद पैदा हुई परिस्थिति में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे.

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