युद्ध में 9,000 से अधिक फलस्तीनियों की मौत: गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय
रफह (गाजा पट्टी)/दीर अल बलाह. हमास शासित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि तीन सप्ताह से अधिक समय पहले शुरू हुए युद्ध के बाद से 9,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं. मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. अशरफ अल-कुद्रा ने कहा कि गाजा में 9,061 लोग मारे गए हैं, जिनमें 3,760 लोग 18 साल से कम उम्र के थे. इज.राइली पक्ष के 1,400 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकतर लोग हमास द्वारा सात अक्टूबर को इज.राइल के भीतर किए गए भीषण हमले में मारे गए.
स्वास्थ्य मंत्रालय हमास द्वारा संचालित सरकार का हिस्सा है, लेकिन इसमें डॉक्टर और लोकसेवक शामिल हैं जो समूह से संबद्ध नहीं हैं. इजराइल की जमीनी सेना बृहस्पतिवार को गाजा शहर की ओर बढ़ी, जबकि अमेरिका और अरब देशों ने हमास शासित इलाके की घेराबंदी को कम करने और नागरिकों की मदद के लिए लड़ाई को कम से कम कुछ समय के लिए रोकने के वास्ते राजनयिक प्रयास तेज कर दिए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन ने एक दिन पहले एक मानवीय “युद्धविराम” का सुझाव दिया. इस बीच, अमेरिका, मिस्र, इज.राइल और कतर के बीच एक स्पष्ट समझौते के रूप में, जो हमास के साथ मध्यस्थता करता है, विदेशी पासपोर्ट वाले सैकड़ों फलस्तीनियों और दर्जनों घायलों को पहली बार गाजा छोड़ने की अनुमति दी गई. बृहस्पतिवार को दर्जनों और लोगों ने गाजा छोड़ दिया.
जारी घटनाक्रमों के बीच, जॉर्डन ने इज.राइल से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और इज.राइल के दूत को तब तक देश से बाहर रहने के लिए कहा जब तक कि युद्ध और इससे होने वाली “मानवीय तबाही” पर रोक नहीं लग जाती. पच्चीस दिन से जारी लड़ाई में 3,600 से अधिक फलस्तीनी बच्चे मारे गए हैं, और बमबारी के चलते क्षेत्र के लगभग 23 लाख लोग बेघर हो गए हैं और भोजन, पानी तथा ईंधन की काफी कमी हो गई है. तीन सप्ताह तक किए गए भीषण हवाई हमलों के बाद सप्ताहांत में इज.राइली सैनिक बड़ी संख्या में गाजा में दाखिल हुए, जिससे पूरे क्षेत्र में तबाही का मंजर है.
गाजा में मारे गए 3,600 बच्चे; चारों तरफ मौत का साम्राज्य
इजराइल और हमास के बीच युद्ध के पहले 25 दिनों में 3,600 से अधिक फलस्तीनी बच्चे जान गंवा चुके हैं . गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई. उसने बताया कि बच्चे हवाई हमलों से प्रभावित हुए, रॉकेटों का निशाना बने, विस्फोटों से जल गए और इमारतों के मलबों में दब गए. इनमें नवजात शिशु और छोटे बच्चे, विद्यार्थी, महत्वाकांक्षी पत्रकार और वो बच्चे भी शामिल थे जिन्होंने सोचा कि वे गिरिजाघर में सुरक्षित रहेंगे.
भीड़-भाड़ वाली गाजा पट्टी के 23 लाख निवासियों में से लगभग आधे 18 वर्ष से कम उम्र के हैं, और युद्ध में अब तक मारे गए लोगों में से 40 प्रतिशत बच्चे हैं. पिछले हफ्ते जारी गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के ‘एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि 26 अक्टूबर तक, 12 साल और उससे कम उम्र के 2,001 बच्चे मारे गए थे, जिनमें 615 ऐसे बच्चे शामिल थे जो तीन साल या उससे कम उम्र के थे.
मध्य गाजा शहर दीर अल-बलाह के अल अक्सा मार्टर अस्पताल में अपनी चार वर्षीय बेटी केन्जी को सांत्वना देते हुए लेखक एडम अल-मधौन ने बुधवार को कहा, ह्लजब घर नष्ट हो जाते हैं, तो वे बच्चों के सिर पर गिरते हैंह्व. वह एक हवाई हमले में बच गईं. हालांकि हमले में उसका दाहिना हाथ कट गया, बायां पैर कुचला गया और खोपड़ी टूट गई.
इज.राइल का कहना है कि उसके हवाई हमलों में हमास के आतंकवादी ठिकानों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया है, और वह समूह पर नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाता है. उसने यह भी कहा गया है कि 500 से अधिक आतंकवादी रॉकेट लक्ष्य चूक गए और गाजा में गिरे, जिससे अज्ञात संख्या में फलस्तीनी मारे गए.
वैश्विक धर्मार्थ संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में दुनिया के सभी संघर्षों की तुलना में गाजा में सिर्फ तीन हफ्तों में सबसे अधिक बच्चे मारे गए हैं. इसमें कहा गया, उदाहरण के लिए पिछले साल भर में दो दर्जन युद्ध क्षेत्रों में 2,985 बच्चे मारे गए.
हाल के हवाई हमलों के दृश्यों में खून से सनी सफेद स्कर्ट पहने एक दिव्यांग बच्चे को गोद में लिए हुए एक बचावकर्ता, अपने बच्चे की लाश को छाती से कसकर चिपकाकर दहाड़े मार कर रोता पिता और खंडहरों में अकेले भटकता खून व धूल से लथपथ एक हैरान परेशान युवा लड़के की तस्वीरें देख दुनिया भर में लोगों की तीखी प्रतिक्रिया हुई.
गाजा शहर में मई में पांच दिन तक चली लड़ाई के दौरान अपनी आठ वर्षीय बेटी की मौत से बेजार हो चुके बढ़ई का काम करने वाले 40 वर्षीय अहमद मोदाविक ने कहा, ह्लगाजा में माता-पिता होना एक अभिशाप से कम नहीं.ह्व अक्टूबर की 22 तारीख को हुए हवाई हमलों में अपने परिवार के 68 सदस्यों को खोने वाली यास्मीन जौडा ने कहा, ह्लमौत के चंगुल से आप बच नहीं सकते.ह्व इस हमले में दीर अल-बलाह में चार मंजिला दो इमारत जमींदोज हो गई थीं जिसमें उन्होंने शरण ली हुई थी. जौडा के परिवार में उनकी सिर्फ एक रिश्तेदार मिलिशा बची है जिसकी उम्र महज एक वर्ष है.
जौडा ने कहा, ह्लइस छोटी बच्ची ने क्या गुनाह किया था कि उसे अनाथ जीवन जीना पड़ेगा.ह्व हमलों से कुछ ही दिन पहले मिलिशा ने पैदल चलना शुरू किया था. लेकिन अब वह कभी चल नहीं सकेगी. डॉक्टरों के मुताबिक जिस हवाई हमले में उसके परिवार के लोग मारे गए उसी में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और उसे छाती से नीचे लकवा मार गया है.