पवार का फैसला राकांपा का आंतरिक मामला, टिप्पणी करना जल्दबाजी: फडणवीस

पवार का फैसला बाल ठाकरे के इस्तीफे जैसा, इतिहास खुद को दोहरा रहा : राउत

नागपुर/पुणे/नयी दिल्ली. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख का पद छोड़ने का शरद पवार का फैसला उनकी पार्टी का आंतरिक मामला है. फडणवीस आज दिन में पवार की चौंकाने वाली घोषणा के बारे में यहां एक पत्रकार के सवाल का जवाब दे रहे थे.

उन्होंने कहा, “यह उनका निजी फैसला है.. (यह) राकांपा का आंतरिक मामला है. मुझे नहीं लगता कि इस समय इस बारे में बात करना उचित होगा. शरद पवार एक वरिष्ठ नेता हैं और उनकी पार्टी में विचार-विमर्श चल रहा है. स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही टिप्पणी करना उचित होगा.’’ पवार की आत्मकथा के संशोधित संस्करण के विमोचन के दौरान उनके इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपने भतीजे अजित पवार के 2019 में भाजपा के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने के फैसले के बारे में कोई आभास नहीं था,

फडणवीस ने कहा, ‘‘मैंने पवार की किताब नहीं पढ़ी है, इसलिए मैं अभी इस पर नहीं बोलूंगा.’’ फडणवीस ने कहा, ‘‘लेकिन मैं भी एक किताब लिखना चाहता हूं, और इसे मैं सही समय पर लिखूंगा. जब मैं इसे लिखूंगा तो आपको सच्चाई का पता चल जाएगा.’’ फडणवीस ने 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, हालांकि उनकी सरकार कुछ दिनों में गिर गई, क्योंकि यह बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सकी थी.

पवार का फैसला बाल ठाकरे के इस्तीफे जैसा, इतिहास खुद को दोहरा रहा : राउत

शिवसेना(यूबीटी) नेता संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष पद को छोड़ने संबंधी शरद पवार के फैसले पर कहा कि उनका निर्णय शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के इस्तीफे के फैसले जैसा है. उन्होंने पवार को ‘महाराष्ट्र की राजनीति की आत्मा’ करार दिया.

राउत ने ट्वीट किया, ‘‘ गंदी राजनीति और आरोपों से थक चुके शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. ऐसा लगता है कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है… लेकिन शिवसैनिकों के प्रेम की वजह से उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा… बालासाहेब की तरह पवार साहेब भी राज्य की राजनीति की आत्मा हैं.’’

राकांपा प्रमुख का पद छोड़ने के अपने फैसले पर सोचने के लिए शरद पवार को दो-तीन दिन चाहिए:अजित पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का अध्यक्ष पद छोड़ने की अपनी घोषणा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश के तहत शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि अपने फैसले पर सोचने के लिए उन्हें दो-तीन दिन का वक्त चाहिए. पार्टी कार्यकर्ताओं को शरद पवार के संदेश से अवगत कराते हुए उनके भतीजे अजित पवार ने राकांपा पदाधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे उनके (शरद पवार के) इस अप्रत्याशित फैसले के विरोध में अपने पदों से इस्तीफा नहीं दें.

अजित पवार ने यहां यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के परिसर में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘उन्होंने (शरद पवार ने) कहा है कि उन्होंने फैसला कर लिया है, लेकिन आपके आग्रह पर इस पर सोचने के लिए उन्हें दो-तीन दिन का वक्त चाहिए. हालांकि, वह इस बारे में तभी सोचेंगे, जब सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घर लौट जाएंगे.’’ राकांपा के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने उस स्थान से जाने से इनकार कर दिया, जहां शरद पवार ने दिन में अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण के विमोचन के दौरान यह घोषणा की थी. पवार के अपने आवास के लिए रवाना हो जाने के बाद भी पार्टी कार्यकर्ता वहां से नहीं गए.

पवार के पास भविष्य के लिए कोई न कोई योजना होगी : तारिक अनवर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने शरद पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा किए जाने के बाद मंगलवार को कहा कि पवार के पास भविष्य को लेकर कोई न कोई योजना होगी. अनवर लंबे समय तक पवार के सहयोगी रहे हैं. करीब 25 साल पहले जब पवार की अगुवाई में राकांपा का गठन किया गया था तो उस समय अनवर उसके संस्थापक सदस्य थे. पवार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अनवर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह उनका ‘निजी फैसला’ है और हर नेता को अपना निर्णय लेने का अधिकार है.

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आंतरिक मामला क्या है, हम लोगों को नहीं पता है. जहां तक मैं जानता हूं कि वह बहुत सोच-विचार किए बिना कोई फैसला नहीं करते. वह एक कद्दावर नेता हैं और उनके पास भविष्य को लेकर कोई न कोई योजना होगी. यह उन पर निर्भर करता है कि क्या करना है.’’ पवार के योगदान के बारे में अनवर का कहना है, ‘‘देश की राजनीति में उनकी प्रमुख भूमिका रही है. उन्होंने विपक्ष की आवाज के रूप में भूमिका निभाई और विपक्षी दलों को साथ लाने के लिए भी प्रयास करते रहे हैं.’’

उद्धव शिवसेना के भीतर चल रही उथल-पुथल को शांत नहीं कर सके, बिना संघर्ष के इस्तीफा दे दिया: पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने कहा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे शिवसेना के भीतर असंतोष को शांत करने में नाकाम रहे और उन्होंने बिना संघर्ष किए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. पवार ने अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण में कहा कि उन्होंने और अन्य लोगों ने भी ठाकरे में राजनीतिक कौशल की कमी महसूस की, जिसकी एक मुख्यमंत्री को जरूरत होती है. इस पुस्तक का विमोचन मंगलवार को किया गया.

पवार ने अपनी पुस्तक में लिखा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच महा विकास आघाडी (एमवीए) का गठन केवल ‘‘सत्ता का खेल’’ नहीं था, बल्कि यह अन्य राजनीतिक दलों के महत्व को किसी भी तरह समाप्त करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रवृत्ति का भी कड़ा जवाब था.

उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका थी कि एमवीए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन ‘‘हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के कारण शिवसेना के भीतर ही तूफान आ जाएगा.’’ नेता ने लिखा, ‘‘शिवसेना का नेतृत्व इस असंतोष को शांत करने में विफल रहा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ने (जून 2022 में एकनाथ ंिशदे और शिवसेना के अन्य विधायकों द्वारा उनके खिलाफ बगावत किए जाने के बाद) बिना संघर्ष किए इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण एमवीए सत्ता से बाहर हो गई.’’

उन्होंने कहा कि ठाकरे का स्वास्थ्य उनके लिए एक बाधा बन गया है. राकांपा नेता ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को ‘‘राजनीतिक कौशल’’ की आवश्यकता होती है और उसे राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पूरी तरह अवगत रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने महसूस किया कि इन चीजों की कमी थी.’’ उन्होंने इसके लिए ठाकरे की अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया.

पवार ने लिखा कि मध्यम वर्ग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों के साथ ठाकरे की बातचीत को पसंद किया, लेकिन यह यह समझ पाना मुश्किल है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में केवल दो ही बार सरकार के मुख्यालय- मंत्रालय का दौरा क्यों किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button