ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में लागू नहीं होता उपासना स्थल अधिनियम : हिंदू पक्ष

वाराणसी. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में बुधवार को हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं और दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता. हिंदू पक्ष के दलीलें रखने का सिलसिला बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगा.

शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि हिन्दू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने दलीलें रखीं. सिंह ने बताया कि हरिशंकर जैन ने अदालत में कहा कि इस मामले में वर्ष 1991 का उपासना स्थल अधिनियम किसी भी तरीके से लागू नहीं होता. हिंदू पक्ष के वकील ने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष जिस जमीन पर अपना दावा कर रहा है वह आदि विश्वेश्वर महादेव की है और उस पर जबरदस्ती नमाज पढ़ी जा रही है.

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी दलील में यह भी कहा कि अगर मंदिर तोड़ भी दिया गया है, तब भी अदिविश्वेश्वर की पूजा की अनुमति दी जाय. सिंह ने बताया कि बुधवार को हिन्दू पक्ष ने लगभग दो घण्टे अपनी दलील अदालत के समक्ष रखी. गौरतलब है कि राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने के आग्रह के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवंिलग मिलने का दावा किया था. सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी.

मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का यह फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था. न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन मामले को जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था.
उसके बाद से इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है. इस मामले की पोषणीयता पर जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में दलीलें पेश की जा रही हैं. इसी क्रम में मुस्लिम पक्ष ने पहले दलीलें रखीं, जो मंगलवार को मुकम्मल हो गईं.

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