
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके जन्मदिन पर बधाई दी तथा दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने का संकल्प व्यक्त किया. भारत की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मोदी ने पुतिन को फोन किया और उन्हें उनके 73वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई दी तथा अच्छे स्वास्थ्य और सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं. अगस्त की शुरुआत से दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई यह चौथी बातचीत थी.
पुतिन ने भी 17 सितंबर को मोदी को उनके जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था.
बयान में कहा गया है, ह्लदोनों नेताओं ने द्विपक्षीय एजेंडे में प्रगति की समीक्षा की और भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.ह्व बयान के मुताबिक, मोदी ने कहा कि वह 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन का भारत में स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं. रूसी राष्ट्रपति के मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता के लिए पांच दिसंबर के आसपास भारत आने की उम्मीद है.
हालांकि इस हाई-प्रोफाइल यात्रा की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि रूसी राष्ट्रपति एक दिन की यात्रा पर आएंगे या दो दिन के लिए भारत में रहेंगे. पुतिन की यात्रा से पहले, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव राष्ट्रपति की यात्रा की बारीकियों को अंतिम रूप देने के लिए अगले महीने भारत की यात्रा करेंगे.
रूसी राष्ट्रपति ने इससे पहले 2021 में नई दिल्ली का दौरा किया था. मामले से परिचित लोगों ने बताया कि पुतिन की यात्रा से पहले दोनों पक्षों के बीच सैन्य एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) के ढांचे के तहत एक बैठक होने की भी उम्मीद है.
उन्होंने बताया कि भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में मोदी और पुतिन दोनों देशों के बीच ह्लविशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारीह्व को और विस्तारित करने पर विचार-विमर्श करेंगे. भारत और रूस के बीच एक तंत्र है जिसके तहत भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा के लिए प्रतिवर्ष शिखर बैठक करते हैं. अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं. पिछले साल जुलाई में, मोदी वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मास्को गए थे. रूस भारत के लिए एक समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार रहा है और यह देश नयी दिल्ली की विदेश नीति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है.