प्रधानमंत्री की ‘चुप्पी’ सांप्रदायिक घटनाओं को आधिकारिक संरक्षण होने का प्रमाण : विपक्षी नेता

नयी दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश के 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने ‘हिंसा और घृणा भाषण’ की हालिया घटनाओं पर ंिचता जताते हुए शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि ऐसी घटनाओं को आधिकारिक संरक्षण प्राप्त है। इन दलों के नेताओं ने साझा अपील जारी कर लोगों शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक नेता एमके स्टालिन, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, राजद नेता तेजस्वी यादव, भाकपा महासचिव डी राजा, फॉरवर्ड ब्लॉक के देवव्रत विश्वास, आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य, आईयूएमएल के महासचिव पीके कुनालिकुट्टी और भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यह साझा अपील की है।

उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता प्रतिष्ठान के धड़े द्वारा जिस तरह से भोजन, पहनावे, आस्था, त्योहारों और भाषा से से जुड़े मुद्दों का जानबूझकर समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए उपयोग किया जा रहा है, उससे हम बहुत क्षुब्ध हैं।’इन नेताओं ने दावा किया, ‘‘हम घृणा भरे बोल की बढ़ती घटनाओं को लेकर बहुत ंिचतित हैं। ऐसा लगता है कि इस तरह की जुबान बोलने वालों को आधिकारिक संरक्षण मिला हुआ है और इनके खिलाफ कोई सार्थक और कड़ी कार्रवाई नहीं होती है।’’ उनके मुताबिक, ‘‘हम सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटनाओं की निंदा करते हैं। हम इससे बहुत ंिचतित हैं कि जहां ये घटनाएं हुई हैं उन इलाकों से मिली खबरों से संकेत मिलता है कि इनका एक सोचा-समझा तरीका है। आक्रामक सशस्त्र धार्मिक जुलूसों में भड़काऊ भाषण दिए जाते हैं जिससे हिंसा फैलती है।’’

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