श्रीलंका में सर्वदलीय सरकर बनाने के लिए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने विपक्षी दलों के साथ शुरू की वार्ता

कोलंबो. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने विपक्षी दलों के साथ बातचीत शुरू की है ताकि उन्हें अपनी अगुवाई वाली सर्वदलीय सरकार में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा सके. विक्रमसिंघे का यह कदम प्रशासन में विश्वास सुनिश्चित कर दिवालिया हो चुके देश को बदतर आर्थिक संकट से निकलने की कोशिशों का हिस्सा है. मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई.

डेली मिरर अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि एक हफ्ते में बातचीत पूरी होने की उम्मीद है. विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के साथ बातचीत की. हालांकि, अखबार ने बताया कि मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) पार्टी सरकार में शामिल नहीं होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बजाय इसके कुछ सांसद व्यक्तिगत रूप से सत्तारूढ़ दल में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं.

इस बीच, सांसद विमल वीरावांसा के नेतृत्व में नेशनल फ्रीडम फ्रंट (एनएफएफ) ने विक्रमसिंघे को समर्थन देने का वादा किया. वीरवांसा ने कहा कि आज देश के सामने दो विकल्प हैं- हैती जैसी अराजक स्थिति के रास्ते पर ले जाएं या कम से कम अंतिम क्षण में सर्वसम्मति से इसे मौजूदा संकट से उबारें. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने गर्त से देश को निकालने के लिए वास्तविक कदम उठाए हैं, इसलिए उनकी पार्टी पिछले राजनीतिक मतभेदों या शत्रुता की परवाह किए बिना इस कवायद में मार्गदर्शन के लिए तैयार है.

एनएफएफ ने 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में गोटबाया राजपक्षे के उत्तराधिकारी के तौर पर दुल्लास अल्हाप्परुमा का समर्थन किया था. राजपक्षे ने सरकार के विरोध में बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ने के बाद इस्तीफा दे दिया था. न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी दलों को सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है. मंत्री ने कहा कि सरकार अन्य दलों के शामिल होने के लिए आगे आने को लेकर कुछ समय तक इंतजार करेगी.

‘पर्याप्त’ व्यापक आर्थिक नीति लागू होने तक श्रीलंका को कोई नया वित्तपोषण नहीं: विश्व बैंक

विश्व बैंक ने कहा कि संकटग्रस्त श्रीलंका को तब तक नया वित्तपोषण नहीं दिया जाएगा, जब तक कि वहां एक ‘पर्याप्त’ व्यापक आर्थिक नीति का मसौदा तैयार नहीं हो जाता है. विश्व बैंक ने यह बयान बृहस्पतिवार को जारी किया. इससे दो दिन पहले एक अन्य वैश्विक वित्तीय निकाय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने श्रीलंका से कहा था कि वह चीन सहित अपने ऋणदाताओं के साथ कर्ज पुर्नगठन करे. इसके बाद ही उसे राहत पैकेज दिया जा सकता है.

श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसके कारण वहां ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुओं की भारी कमी हो गई है.
विश्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘जब तक एक पर्याप्त व्यापक आर्थिक नीति ढांचा लागू नहीं हो जाता, तब तक विश्व बैंक श्रीलंका को नए वित्तपोषण की पेशकश करने की योजना नहीं बना रहा है.’’ बयान के मुताबिक, ‘‘इसके लिए गहन संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, जो आर्थिक स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं.’’ विश्व बैंक ने कहा कि भविष्य में श्रीलंका का पुनरुद्धार मजबूत और समावेशी होना चाहिए.

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