संविधान दिवस समारोह को प्रधानमंत्री नहीं करेंगे संबोधित, विपक्ष वास्तविकता जाने बोल रहा: रीजीजू

नयी दिल्ली. संविधान अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह से पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम को संबोधित नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ‘कुछ विपक्षी दल’ वास्तविकता को जाने बिना प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं.

‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर संविधान दिवस समारोह के दौरान दोनों सदनों के विपक्ष के नेता को कार्यक्रम को संबोधित करने की अनुमति दिए जाने की मांग उठाई थी. इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने उक्त टिप्पणी की.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर को पुराने संसद भवन परिसर के केंद्रीय कक्ष में समारोह का नेतृत्व करेंगी.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी समारोह में हिस्सा लेंगे. केंद्रीय संस्कृति सचिव अरुणिश चावला के प्रस्तुतिकरण के बाद रीजीजू और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल एवं गजेंद्र सिंह शेखावत ने नेशनल मीडिया सेंटर में संवाददाताओं से बातचीत की.

रीजीजू ने कहा, ”कुछ विपक्षी दलों के साथ समस्या यह है कि वास्तविक व्यवस्था को जाने बिना, उन्होंने प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं. प्रधानमंत्री कल समारोह को संबोधित भी नहीं कर रहे हैं. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष इसे संबोधित करेंगे.” उन्होंने कहा, ”दूसरी बात, हमने मंच पर लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता के बैठने की व्यवस्था की है. बिना कुछ जाने इस गंभीर मौके पर इस तरह की प्रतिक्रिया निंदनीय है.” केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि संविधान दिवस समारोह राजनीति से ऊपर है और देश का उत्सव है.

उन्होंने कहा, ”भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हमें संसद परिसर में होने वाले समारोहों में हिस्सा लेने का अवसर मिल रहा है. कल राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा. दोनों सदनों के सदस्यों की संयुक्त बैठक होगी. यह दिल्ली में भारत के संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने का जश्न होगा. और देश के विभिन्न हिस्सों में कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.” रीजीजू ने कहा, ”हम उसी कक्ष में बैठेंगे जहां संविधान सभा की बैठकें हुईं और संविधान को अंगीकार किया गया.” उन्होंने इस आयोजन को एक ‘ऐतिहासिक अवसर’ करार दिया.

उन्होंने कहा, ”मेरा मानना है कि यह सिर्फ न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायी शाखाओं का कार्यक्रम नहीं है. पूरे देश को पूरे उत्साह के साथ इस उत्सव में भाग लेना होगा और प्रस्तावना पढ़नी होगी.” मंत्री ने संविधान की प्रशंसा की और कहा कि इसने एक सफल और जीवंत लोकतंत्र को जन्म दिया. उन्होंने कहा कि इसका श्रेय भारतीय संविधान के निर्माताओं को जाता है.

इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा गया है, ”हम संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में कल (मंगलवार) को आयोजित होने वाले समारोह के संदर्भ में लिख रहे हैं, जो भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किया गया है. हम समझते हैं कि समारोह को भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे.” पत्र में कहा गया, ”हमारा मानना है कि संसदीय लोकतंत्र की सर्वोत्तम परंपराओं और हितों में दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं को भी इस ऐतिहासिक अवसर पर बोलने का अवसर दिया जाना चाहिए.” पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में टीआर बालू, तिरुचि शिवा, कनिमोझी, सुप्रिया सुले, राघव चड्ढा, पी संदोश कुमार, ईटी मोहम्मद बशीर, के राधाकृष्णन, रामजी लाल सुमन और एनके प्रेमचंद्रन शामिल हैं.

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