राजस्थान : अलवर जिले में मंदिर ध्वस्त किये जाने को लेकर भाजपा, कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप

जयपुर. राजस्थान में अलवर जिले के राजगढ़ कस्बे में अतिक्रमण रोधी एक अभियान के दौरान इस हफ्ते दो मंदिरों को ध्वस्त किये जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने शुक्रवार को एक दूसरे पर आरोप लगाये. राजगढ़, कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा शासित नगरपालिका है.

भाजपा की राजस्थान इकाई के प्रमुख सतीश पूनिया ने इस कार्रवाई के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का आरोप लगाया. वहीं, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह भाजपा नीत स्थानीय नगरपालिका का फैसला था. राजगढ़ में रविवार और सोमवार को दो मंदिरों और कुछ दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया. अधिकारियों ने कस्बे में एक सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई इस कार्रवाई को अतिक्रमण रोधी अभियान बताया है. उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई की मंजूरी राजगढ़ नगरपालिका बोर्ड ने दी थी.

पूनिया ने उदयपुर में दावा किया कि ध्वस्त किया गया एक मंदिर करीब 300 साल पुराना था. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर आये वीडियो में एक बुलडोजर को प्राचीन शिव मंदिर को ढहाते देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को पता है कि ये सभी कार्रवाई राज्य सरकार के इशारे पर की जा रही हैं. ’’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने सीकर से सांसद स्वामी सुमेधानंद, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवाल और विधायक चंद्रकांत अग्रवाल की सदस्यता वाला एक प्रतिनिधिमंडल राजगढ़ भेजने का फैसला किया है.

पूनिया ने कहा, ‘‘वे तीन दिनों में मुझे एक रिपोर्ट देंगे. ’’ वहीं, पूनिया के आरोपों का खंडन करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डोटासरा ने भाजपा पर लोगों को गुमराह करने और धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे नीत पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान जयपुर में सैकड़ों मंदिर ध्वस्त कर दिये गये थे. उन्होंने कहा कि मंदिरों को ध्वस्त करने का प्रस्ताव भाजपा नीत राजगढ़ नगरपालिका बोर्ड ने पारित किया था. उन्होंने कहा कि इसके लिए केवल भाजपा ही जिम्मेदार है.

डोटासरा ने कहा, ‘‘गलत करना और सांप्रदायिक उन्माद फैलाना भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आदत है . ’’ अलवर के जिलाधिकारी एन शिवप्रसाद मदान ने कहा कि प्रस्ताव नगरपालिका बोर्ड ने पारित किया था और स्थानीय प्रशासन के फैसले के अनुरूप कार्रवाई की गई. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी ने छह अप्रैल को 86 लोगों को नोटिस जारी कर सड़क से अतिक्रमण हटाने को कहा था और उन्हें वक्त दिया गया था.

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