रामायण सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक : योगी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि रामायण एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है. पूर्व विधायक दिवंगत डी.पी. बोरा की 85वीं जयंती के अवसर पर मिशन शक्ति अभियान के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह शरद पूर्णिमा का पावन पर्व है, जो मर्हिष वाल्मीकि और मीराबाई की जयंती के साथ-साथ स्वर्गीय डी.पी. बोरा की जयंती के रूप में भी मनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, “मैं इस अवसर पर मर्हिष वाल्मीकि और मीराबाई को नमन करता हूं और स्वर्गीय डी.पी. बोरा को प्रदेश सरकार तथा प्रदेशवासियों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.” योगी ने मर्हिष वाल्मीकि की रामायण को सामाजिक, धार्मिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से अद्वितीय बताते हुए कहा कि “यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है.” उन्होंने कहा, “रामायण में भगवान राम का चरित्र धर्म का मूर्त रूप है. मर्हिष वाल्मीकि ने समाज को एक आदर्श चरित्र प्रदान किया, जो आज भी प्रासंगिक है.”

मुख्यमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं, बल्कि रामराज्य की स्थापना की दिशा में एक कदम है. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मातृशक्ति वंदन और 15 सेवा शक्ति केंद्रों (सिलाई प्रशिक्षण केंद्र) की शुरुआत की. इसी दौरान उन्होंने स्व. डी.पी. बोरा की प्रतिमा का अनावरण किया और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाली मातृशक्तियों का सम्मान भी किया.

योगी आदित्यनथ ने मिशन शक्ति अभियान को प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बताते हुए कहा कि यह अभियान महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्वावलंबन के क्षेत्र में सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि मिशन शक्ति के तहत हम महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा और सम्मान को भी सुनिश्चित कर रहे हैं.

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