हर युग में फिर से लिखी जाएंगी रामायण, महाभारत : लेखक आनंद नीलकंठन

नयी दिल्ली. भारतीय महाकाव्यों की व्याख्या प्रतिपक्षियों के नजरिये से करने के लिए जाने जाने वाले लेखक आनंद नीलकंठन ने कहा कि रामायण और महाभारत में बताई गई सदियों पुरानी कहानियां हर युग में फिर से लिखी और दोहराई जाएंगी. नीलकंठन (49) अपनी 2012 में आई पौराणिक कथा, ‘असुर: टेल ऑफ द वैनक्विश्ड’ से सुर्खियों में आए थे जिसमें उन्होंने रामायण की कहानी को रावण के नजरिये से पेश किया था. उनकी एक अन्य किताब ‘अजय’ भी दुर्योधन के दृष्टिकोण से महाभारत के महाकाव्य को दर्शाती है.

खुद को उपन्यासकार से ज्यादा “किस्सागो” करार देने वाले नीलकंठन ने कहा, “भारतीय सभ्यता एक भगवान, एक धर्म और एक ग्रंथ” में विश्वास नहीं करती. नीलकंठन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “यह पहली बार नहीं है जब कोई इसकी पुनव्र्याख्या या पुनर्लेखन कर रहा है, हर रामायण अलग है, हर महाभारत अलग है. 1000-1200 से अधिक महाभारत और 300-340 रामायण हैं. यह विभिन्न भाषाओं में पिछले 2000-3000 वर्षों या उससे भी अधिक समय से चली आ रही परंपरा है.” लेखक ने कहा कि एक पुरानी कहानी को थोड़ा अलग तरीके से फिर से बताना कभी भी “ईशनिंदा” नहीं माना गया.

उन्होंने कहा, “परंपरागत रूप से, ऐसा कभी नहीं था, यही कारण है कि हमारे पास इतनी सारी रामायण और महाभारत हैं. यह सभी को स्वीकार करने वाली संस्कृति है. और भी लिखा जाएगा, यह खत्म होने वाला नहीं है. हर युग, हर पीढ़ी में उस पीढ़ी की जरूरतों के अनुसार और लेखक या कवि के दृष्टिकोण के अनुसार इसे फिर से लिखा जाएगा.” नीलकंठन को इस बात पर गर्व है कि अपने पुनर्कथन में, वह मूल कथानक से विचलित नहीं होते हैं और केवल केंद्रीय चरित्र के दृष्टिकोण से उसकी पुनव्र्याख्या करते हैं.

उन्होंने कहा, “मैं कथानक से कभी विचलित नहीं होता. मैं इसमें ऐसे तत्व नहीं डालता जो वहां नहीं हैं. मैं सिर्फ कहने का नजरिया बदलता हूं. यह कथानक में बदलाव नहीं है जहां दुर्योधन जीतता है. यह केवल विचार प्रक्रिया है, मैं किरदार के दिमाग में घुसने की कोशिश करता हूं और उसकी व्याख्या करने का प्रयास करता हूं.” ‘बाहुबली त्रयी’ के लेखक ने कहा, “यहां तक ??कि ‘गीता’ में, कृष्ण कहते हैं कि मैंने तुमको सबसे गहरी सच्चाई बताई है, लेकिन तुम अपने तर्क का उपयोग करो, अपने विश्लेषण का इस्तेमाल करो और फिर वही करो जो सही है. यह अवधारणा रही है. इसलिए जब मैं इसे लिखता हूं, तो मैं चरित्र में आ जाता हूं और कहानी को उस कोण से बताने की कोशिश करता हूं.”

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