पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी : नूपुर शर्मा को तलब करेगी मुंबई पुलिस

नयी दिल्ली/मुंबई. मुंबई पुलिस भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर दर्ज प्राथमिकी के संबंध में उनका बयान दर्ज कराने के लिए तलब करेगी. शहर के पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने सोमवार को यह जानकारी दी.

मुंबई पुलिस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पांडे ने कहा, ‘‘पायधुनी पुलिस थाने में नूपुर शर्मा के खिलाफ पहले से ही एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हम उन्हें कानून के अनुसार उनका बयान दर्ज कराने के लिए बुलाएंगे और कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.’’

पुलिस के मुताबिक, शर्मा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों का उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान कर आहत करना), 153 ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (2) के तहत आरोप लगाया गया था. कथित टिप्पणी को लेकर कई इस्लामी राष्ट्रों द्वारा ंिनदा किए जाने के बाद भाजपा ने शर्मा को पांच जून को पार्टी से निलंबित कर दिया था.

नुपूर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के लिए धमकी मिलने पर प्राथमिकी दर्ज

दिल्ली पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए धमकियां मिलने की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज की है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने प्राथमिकी के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है.’’

उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 506 (आपराधिक धमकी), 507 (गुमनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी), 509 (शब्द, हावभाव या कार्य, जिसका उद्देश्य किसी महिला की गरिमा का अपमान करना है) के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.

पुलिस ने बताया कि शर्मा की ओर से 28 मई को साइबर सेल इकाई में विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने के संबंध में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. इस शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की उक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

अधिकारी ने कहा, ‘‘शत्रुता को बढ़ावा देने के संबंध में कुछ व्यक्तियों के खिलाफ एक और शिकायत शर्मा की ओर से प्राप्त हुई थी. शिकायत की जांच के बाद, इस मामले में आईपीसी की धारा 153 ए जोड़ा गया था. ट्विटर इंक को नोटिस भेजे गए हैं और उसके जवाब की प्रतीक्षा है. मामले में जांच चल रही है.’’

‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ की पूर्व छात्रा नूपुर शर्मा हिंदुत्व पर हमेशा से रही हैं मुखर
पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ अपनी टिप्पणी को लेकर विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित की गईं नूपुर शर्मा को 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरंिवद केजरीवाल के खिलाफ मुकाबले के लिए चुने जाने के बाद पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाने लगी.

दक्षिणपंथी छात्र संगठन-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ीं नूपुर शर्मा पहली बार तब चर्चा में आईं जब वह 2008 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष बनीं. दिल्ली की रहने वाली शर्मा (37) ने ंिहदू कॉलेज से स्रातक करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विधि संकाय से कानून की पढ़ाई की. आगे के अध्ययन के लिए, वह ‘लंदन स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स’ गईं और कानून की पढ़ाई की.

शर्मा भाजपा की युवा शाखा में शामिल हो गईं और वहां कई साल बिताने के बाद, उन्हें भाजपा की दिल्ली इकाई की प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया. शर्मा 2015 में केजरीवाल के खिलाफ चुनाव हार गईं, लेकिन वह पार्टी में एक जाना-पहचाना चेहरा बन गईं.
पेशे से वकील शर्मा को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की टीम में पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. टीवी चैनल पर बहस के दौरान वह एक तेजतर्रार प्रवक्ता और ंिहदुत्व की मुखर पैरोकार के रूप में दिखाई दीं.

पार्टी उन्हें उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मीडिया का समन्वय करने सहित अन्य कई जिम्मेदारियां देती रही. हाल में उन्होंने मीडिया और संचार पर भाजपा की महिला शाखा के ट्रेंिनग कैंप को भी संबोधित किया. शर्मा ने टीवी चैनल पर बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसकी कई इस्लामी देशों ने ंिनदा की थी. इसके बाद शर्मा को रविवार को भाजपा से निलंबित कर दिया गया.

भाजपा ने उन्हें अपने संविधान के नियम 10 (ए) के तहत निलंबित कर दिया, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि चाहें तो किसी भी सदस्य को निलंबित कर सकते हैं और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं. पार्टी के किसी भी कार्यक्रम या निर्णय के खिलाफ काम करना या प्रचार करना अनुशासन का उल्लंघन माना गया है.

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