गैर-ईसाई छात्रों के लिए बाइबल की कक्षाएं अनिवार्य करने पर हिंदू संगठनों के निशाने पर स्कूल

बेंगलुरू. गैर-ईसाई छात्रों के लिए भी बाइबिल की कक्षाएं कथित तौर पर अनिवार्य करने को लेकर हिंदू संगठन एक ईसाई स्कूल के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. गैर-ईसाइयों सहित सभी छात्रों को अनिवार्य रूप से बाइबल पाठ्यक्रम में शामिल होने का निर्देश देने के कारण एक सदी से भी अधिक पुराने क्लेरेंस हाईस्कूल को गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.

हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, स्कूल ने अभिभावकों को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया है जिसमें उन्हें यह स्वीकार करना है कि उनका बच्चा बाइबिल कक्षाओं में भाग लेगा. अभिभावकों के हस्ताक्षर संबंधी स्कूल की घोषणा में कहा गया है, “आप पुष्टि करते हैं कि आपका बच्चा अपने स्वयं के नैतिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए सुबह की सभा, शास्त्र वर्ग और क्लब सहित सभी कक्षाओं में भाग लेगा, तथा क्लेरेंस हाईस्कूल में रहने के दौरान बाइबल एवं भजन पुस्तक ले जाने को लेकर आपत्ति नहीं करेगा.” गौड़ा ने कहा कि स्कूल की नीतियां कहती हैं कि केवल वे माता-पिता और बच्चे ही प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं जिन्हें दिशानिर्देशों से कोई आपत्ति नहीं है.

हिंदू कार्यकर्ता ने दावा किया, ‘‘यह किसी और धर्म का पालन करने के लिए किसी को मजबूर करने के सिवाय कुछ नहीं है, जो उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है और धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का दुरुपयोग है. यह बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है. अभिभावकों ने भी नीति के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त किया है.’’ सोमवार को हिंदू कार्यकर्ताओं ने स्कूल का दौरा किया और इस संबंध में स्कूल प्रबंधन से बात की. कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी को भी अवगत करा दिया है और वे इस मुद्दे पर प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश से मुलाकात करेंगे. स्कूल के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए.

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