भागवत की टिप्पणी पर सिब्बल का तंज, ‘इंसान को इंसान ही रहना चाहिए’

नयी दिल्ली/हैदराबाद. राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की ‘हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहना चाहिए’ टिप्पणी पर तंज कसते हुए बुधवार को कहा कि वह इसे सहमत हैं, लेकिन ‘इंसान को इंसान रहना चाहिए.’ भागवत ने कहा था कि भारत में मुसलमानों के लिए डरने की कोई वजह नहीं है, लेकिन उन्हें ‘खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने वाली गलत बयानबाजी’ से परहेज करना होगा.

‘आॅर्गनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ को दिए साक्षात्कार में भागवत ने कहा था, ‘‘सीधी सी बात है हिंदुस्तान को हिंदुस्तान ही रहना चाहिए. आज भारत में रह रहे मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है… इस्लाम को कोई खतरा नहीं है. लेकिन मुसलमानों को खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने वाली गलत बयानबाजी छोड़ देनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम एक महान नस्ल के हैं; हमने एक दौर में इस देश पर राज किया था, और हम फिर से उस पर राज करेंगे; सिर्फ हमारा रास्ता सही है, बाकी सब गलत हैं; हम अलग हैं, इसलिए हम ऐसे ही रहेंगे; हम साथ मिलकर नहीं रह सकते…..; मुसलमानों को इस अवधारणा को छोड़ देना चाहिए. यहां रहने वाले सभी लोगों को, चाहे वे हिंदू हों या वामपंथी, इस भाव को त्याग देना चाहिए.’’

भागवत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘भागवत : हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहना चाहिए. सहमत हूं. लेकिन, इंसान को इंसान रहना चाहिए.’’ आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा था कि दुनियाभर में हिंदुओं में पनपी ताजा आक्रामकता समाज में जागरूकता का नतीजा है, जो पिछले एक हजार से अधिक वर्षों से युद्ध से जूझ रहा है.

ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख की टिप्पणियों को लेकर उन पर निशाना साधा
आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा कि भारत में मुसलमानों के लिए डरने की कोई वजह नहीं है, लेकिन उन्हें ‘खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने वाली गलत बयानबाजी’ से परहेज करना होगा.

ओवैसी ने पूछा कि ‘‘मुसलमानों को भारत में रहने की अनुमति देने वाले वह होते कौन हैं और मुसलमानों की नागरिकता पर शर्तें लगाने की उनकी हिम्मत कैसे हुई.’’ असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट  किया, ‘‘मुसलमानों को भारत में रहने या हमारे धर्म का पालन करने की ‘‘अनुमति’’ देने वाले मोहन होते कौन हैं? हम भारतीय हैं क्योंकि अल्लाह ने चाहा. उन्होंने हमारी नागरिकता पर ‘‘शर्तें’’ लगाने की हिम्मत कैसे की? हम यहां अपनी आस्था को ‘‘समायोजित’’ करने या नागपुर के कथित ब्रह्मचारियों के एक समूह को खुश करने के लिए नहीं रहते.’’ हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि कोई भी सभ्य समाज धर्म के नाम पर इस तरह की नफरत और कट्टरता को बर्दाश्त नहीं कर सकता.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोहन को हिन्दुओं का प्रतिनिधि किसने चुन लिया? 2024 में चुनाव लड़ रहे हैं? स्वागत है.’’ ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘बहुत सारे हिंदू हैं जो आरएसएस की वर्चस्ववादी कट्टर बयानबाजी को महसूस करते हैं, फिर ये तो छोड़ ही दीजिए कि हर अल्पसंख्यक कैसा महसूस करता है. यदि आप अपने देश में विभाजन पैदा करने पर तुले हैं तो आप दुनिया के लिए वसुधैव कुटुम्बकम की बात नहीं कह सकते हैं.’’ उन्होंने लिखा, ‘‘चीन के लिए यह ‘चोरी’ और साथी नागरिकों के लिए ‘सीनाजÞोरी’ क्यों? अगर हम वाकई युद्ध की स्थिति में हैं, तो क्या स्वयंसेवक सरकार 8 साल से अधिक समय से सो रही है? आरएसएस की विचारधारा भारत के भविष्य के लिए खतरा है. जितनी जल्दी भारतीय वास्तविक ‘‘आंतरिक शत्रुओं’’ को पहचान लें, उतना ही अच्छा होगा.’’

‘आॅर्गनाइजर’ और ‘पाञ्चजन्य’ को दिए एक साक्षात्कार में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने कहा कि भारत दर्ज इतिहास के शुरुआती समय से अविभाजित (अखंड) रहा है, लेकिन जब भी मूल हिंदू भावना को भुला दिया गया, तब इसका विभाजन हो गया.

भागवत ने कहा , ‘‘सीधी सी बात है हिंदुस्तान को हिंदुस्तान ही रहना चाहिए. आज भारत में रह रहे मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है… इस्लाम को कोई खतरा नहीं है. लेकिन मुसलमानों को खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने वाली गलत बयानबाजी छोड़ देनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम एक महान नस्ल के लोग हैं; हमने एक दौर में इस धरती पर राज किया था, और हम फिर से उस पर राज करेंगे; सिर्फ हमारा रास्ता सही है, बाकी सब गलत हैं; हम अलग हैं, इसलिए हम ऐसे ही रहेंगे; उन्हें (मुसलमानों को) इस बात को छोड़ देना चाहिए कि हम साथ मिलकर नहीं रह सकते…… यहां रहने वाले सभी लोगों को, चाहे वे हिंदू हों या वामपंथी, इस भाव को त्याग देना चाहिए.’’

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