मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत-नेपाल की मजबूत होती मित्रता संपूर्ण मानवता के हित में: मोदी

लुम्बिनी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साझी विरासत, संस्कृति और आस्था को भारत-नेपाल रिश्तों की ‘‘सबसे बड़ी पूंजी’’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों की मजबूत होती मित्रता व घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी.

एक दिवसीय नेपाल यात्रा पर यहां पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र और ध्यान कक्ष में बुद्ध जयंती पर 2566वें बुद्ध जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. भगवान बुद्ध को ‘‘मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण’’ बताते हुए मोदी ने कहा कि वह ‘‘बोध’’ भी हैं और ‘‘शोध’’ भी हैं. उन्होंने बुद्ध को एक विचार और संस्कार भी बताया.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘साझी विरासत, साझी संस्कृति, साझी आस्था और साझा प्रेम हमारी सबसे बड़ी पूंजी है. यह पूंजी जितनी समृद्ध होगी, हम उतने ही प्रभावी ढंग से दुनिया तक भगवान बुद्ध का संदेश पहुंचा सकेंगे…दुनिया को दिशा दे सकेंगे.’’ उन्होने आगे कहा, ‘‘आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उनमें भारत और नेपाल की निरंतर मजबूत होती मित्रता, हमारी घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी. भगवान बुद्ध के प्रति आस्था हमें एक सूत्र में बांधती है. एक परिवार का सदस्य बनाती है.’’

प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस अवसर पर उनके नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा देउबा भी मौजूद थीं. उनके अलावा नेपाल सरकार के कई मंत्री, अन्य गणमान्य हस्तियां और बौद्ध शिक्षा के विद्वान व बौद्ध भिक्षु उपस्थित थे. मोदी ने भारत और नेपाल के संबंधों को हिमालय की तरह ‘‘अटल’’ बताया और कहा कि दोनों देशों को मिलकर इन ‘‘स्वाभाविक और नैर्सिगक’’ रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देनी है.

उन्होंने कहा कि वैशाख पूर्णिमा का दिन लुम्बिनी में सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन बोधगया में वो बोध प्राप्त करके भगवान बुद्ध बने और इसी दिन कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘एक ही तिथि, एक ही वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की जीवन यात्रा के ये पड़ाव केवल संयोग मात्र नहीं था. भारत में सारनाथ, बोधगया और कुशीनगर से लेकर नेपाल में लुम्बिनी तक ये पवित्र स्थान हमारी साझी विरासत और साझे मूल्यों का प्रतीक हैं. हमें इस विरासत को साथ मिलकर विकसित करना है और आगे समृद्ध भी करना है.’’ मोदी ने कहा कि खान-पान से लेकर गीत-संगीत और पर्व-त्योहारों से लेकर रीति-रिवाजों और पारिवारिक संबंधों तक जिन रिश्तों को दोनों देशों ने जिया है, उन्हें अब विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अवसंरचना विकास जैसे नए क्षेत्रों से जोड़ना है.

उन्होंने कहा कि नेपाल में लुम्बिनी संग्रहालय का निर्माण दोनों देशों के बीच सहयोग का एक उदाहरण है. उन्होंने बताया कि लुम्बिनी के बौद्ध विश्वविद्यालय में बौद्ध शिक्षा के लिए भारतीय संविधान के रचयिता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के एक चेयर की स्थापना की जाएगी. उन्होंने संतोष जताया कि इस दिशा में भारत, नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अभी और संभावनाएं हैं और दोनों देश साथ मिलकर उन्हें साकार करेंगे.

इस कार्यक्रम में शामिल होने से पहले, लुम्बिनी पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सबसे पहले यहां स्थित माया देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की. गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी में स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउबा भी थे. मोदी ने कहा कि माया देवी मंदिर का दर्शन उनके लिए अविस्मरणीय है और खासकर उस जगह का दर्शन जहां स्वयं भगचावन बुद्ध ने जन्म लिया था.

उन्होंने कहा, ‘‘वहां की ऊर्जा व चेतना का एक अलग ही एहसास है.’’ प्रधानमंत्री ने मंदिर में पूजा करने के बाद वहां एक महाबोधि वृक्ष पर जल भी अर्पित किया. उन्होंने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि वर्ष 2014 में उन्होंने जिस महाबोधि के पौधे को उपहार के रूप में दिया वह आज वृक्ष का आकार ले चुका है. मोदी ने कहा कि उनकी जन्मस्थली वडनगर (गुजरात) भी सदियों पहले बौद्ध शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था और आज भी वहां प्राचीन अवशेष निकल रहे हैं जिनके संरक्षण का काम जारी है.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘भारत में जब भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है तो नेपाल के लोग भी उतनी ही खुशी महसूस कर रहे हैं, जितने भारतीय.’’ समारोह को संबोधित करते हुए देउबा ने भारत को ‘‘निकट पड़ोसी और विश्वसनीय साझेदार’’ बताया.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से उनकी ‘‘सार्थक चर्चा’’ हुई और वह बोध गया, सारनाथ और कुशीनगर को मिलाकर बुद्ध र्सिकट विकसित करने का उत्सुक हैं. मोदी और देउबा ने इससे पहले लुम्बिनी बौद्ध विहार क्षेत्र में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज (भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्­कृति और विरासत केंद्र) के निर्माण कार्य के लिए आधारशिला रखी.

बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने देउबा से द्विपक्षीय वार्ता भी की. नेपाल के तराई मैदानी इलाके में स्थित लुम्बिनी बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. यह 2014 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की नेपाल की पांचवी यात्रा है. मोदी और उनका प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से भारतीय वायु सेना के एक विशेष हेलीकॉप्टर से यहां पहुंचा.

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