‘विक्रम-एस’ के सफल प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के निजी उपक्रम का ‘प्रारंभ’

श्रीहरिकोटा. भारत ने चार साल पुराने एक स्टार्टअप द्वारा विकसित रॉकेट के जरिए तीन उपग्रहों को कक्षा में शुक्रवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया और इसी के साथ देश की अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र के प्रवेश का ‘प्रारंभ’ हो गया.
अभी तक सरकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का ही इस क्षेत्र पर आधिपत्य था.

‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ द्वारा बनाए गए ‘विक्रम-एस’ का पहला मिशन सफल रहा. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए इस रॉकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ रखा गया है. नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है. स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गयी है जिसने 2020 में केंद्र सरकार द्वारा अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में कदम रखा है.

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने इसरो के मिशन नियंत्रण केंद्र से मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘मुझे स्काईरूट एयरोस्पेस के मिशन प्रारंभ के सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है.’’ उन्होंने बताया कि रॉकेट 89.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा और उसने 121.2 किलोमीटर की दूरी तय की, जैसी कि ‘‘स्काईरूट एयरोस्पेस ने योजना बनाई थी.’’ उन्होंने कहा कि रॉकेट ने ‘‘योजना के अनुसार काम किया.’’ ‘स्पेस-एक्स’ चेन्नई से करीब 115 किलोमीटर दूर यहां इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे रवाना हुआ.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में ‘प्रारंभ’ का अनावरण किया था. इस मिशन के तहत दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाया गया. छह मीटर लंबा रॉकेट दुनिया के पहले कुछ ऐसे रॉकेट में शामिल है जिसमें घुमाव की स्थिरता के लिए 3-डी ंिप्रटेड ठोस प्रक्षेपक हैं.

गोयनका ने कहा, ‘‘यह भारतीय निजी क्षेत्र के एयरोस्पेस में प्रवेश करने की एक नई शुरुआत है और हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है.’’ विक्रम-एस ने चेन्नई के स्टार्ट-अप ‘स्पेस किड्ज’, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप ‘एन-स्पेस टेक’ और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप ‘बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब’ उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में उड़ान भरी. विक्रम-एस ने पेलोड को लगभग 500 किलोमीटर कम झुकाव वाली कक्षा में प्रक्षेपित किया. स्काईरूट एयरोस्पेस के सह-संस्थापक पवन चंदना ने कहा कि मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं.

इस प्रक्षेपण के लिए मिशन निदेशक चंदना ने कहा, ‘‘जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि ‘प्रारंभ’ मिशन भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में एक नए युग की शुरुआत है. स्काईरूट का दल इस सफल मिशन को 1960 के दशक में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करने का साहस करने वाले डॉ विक्रम साराभाई और निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्मिपत करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ‘प्रारंभ’ मिशन न केवल भारत के पहले निजी रॉकेट प्रक्षेपण का प्रतीक है, बल्कि यह नए भारत की क्षमता को भी दर्शाता है.’’

अंतरिक्ष विभाग का प्रभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र ंिसह इस प्रक्षेपण के गवाह बने और उन्होंने इसकी सफलता के लिए देश को बधाई दी. उन्होंने इसे वास्तव में एक नयी शुरुआत और एक नयी सुबह बताया. ंिसह ने कहा, ‘‘मुझे इसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा में नयी पहल कहना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुत-बहुत धन्यवाद, जिन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलकर इसे संभव बनाया है.’’

प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष पर्यटन तक, भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप लंबी छलांग लगाने को तैयार

श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से स्काईरूट एयरोस्पेस के पहले रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप प्रक्षेपण यान से लेकर पर्यटन तक लंबी छलांग लगाने को तैयार है. स्काईरूट द्वारा 3-डी ंिप्रंिटग तकनीक का इस्तेमाल करके पिछले दो वर्षो में बनाया गया विक्रम-एस रॉकेट 89.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया. चेन्नई स्थित अग्निकुल कॉसमॉस अगले महीने एक सबआॅर्बिटल उड़ान में अपने अग्निबाण-1 का परीक्षण करने को तैयार है.

अग्निकुल के सह-संस्थापक श्रीनाथ रविचंद्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, ”हमारी योजना इस साल में ही पहले अग्निबाण को प्रक्षेपित करने की है.” स्काईरूट और अग्निकुल पेलोड को कक्षा में प्रक्षेपित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि स्पेस आॅरा एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और एस्ट्रोबोर्न स्पेस एंड डिफेंस टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां क्रमश: अंतरिक्ष पर्यटन और क्रू मॉड्यूल तथा स्पेस सूट के विकास की योजना बनी हैं.

एस्ट्रोबोर्न स्पेस एंड डिफेंस टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक और सीईओ अक्षत मोहिते ने कहा, “हम जल्द ही भारत की पहली निजी अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा स्थापित करने की योजना बना रहे हैं.” इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट ने कहा, ”नए स्टार्टअप द्वारा पहले प्रक्षेपण ने दुनिया भर में भारतीय निजी अंतरिक्ष कंपनियों की विश्वसनीयता को बढ़ाया है. यह क्षेत्र जिस क्षमता का दावा कर रहा है, उसे अंतरिक्ष में प्रर्दिशत किया गया.” भट्ट ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बढ़कर 13 अरब डॉलर हो जाएगी और अंतरिक्ष प्रक्षेपण खंड के 2025 तक तेजी से बढ़ने का अनुमान है.

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