दुनिया का सबसे सफल जन आंदोलन बना स्वच्छ भारत अभियान, विकसित भारत की यात्रा को मजबूत करेगा: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को स्वच्छ भारत अभियान को इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन करार दिया और कहा कि ‘विकसित भारत’ की यात्रा में हर प्रयास ‘स्वच्छता से संपन्नता’ के मंत्र को मजबूत करेगा. स्वच्छ भारत अभियान आरंभ होने के 10 साल पूरे होने के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वच्छता और सफाई से संबंधित 9,600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को हर नागरिक के जीवन का अभिन्न अंग बनाते हुए भावी पीढि.यों में इस मूल्य का संचार करने पर भी जोर दिया.

उन्होंने कहा, ”आज से एक हजार साल बाद भी जब 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा. स्वच्छ भारत मिशन इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जनभागीदारी, जन नेतृत्व वाला जन आंदोलन है. इस मिशन ने मुझे ईश्वररूपी जनता-जनार्दन की साक्षात ऊर्जा के भी दर्शन कराए हैं.” उन्होंने कहा, ”विकसित भारत की यात्रा में हमारा हर प्रयास ‘स्वच्छता से संपन्नता’ के मंत्र को मजबूत करेगा.” मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों ने इस राष्ट्रीय प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उन्होंने इस अवसर पर स्वच्छता पर विशेष ध्यान न देने के लिए कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि उसने आजादी मिलने के बाद महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चलने का दावा किया, उनके नाम पर सत्ता हासिल की लेकिन स्वच्छता को लेकर बापू के दृष्टिकोण की उपेक्षा की.

उन्होंने कहा, ”वर्षों तक उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए गांधी जी की विरासत का दोहन किया लेकिन स्वच्छता पर उनके जोर को आसानी से भुला दिया.” मोदी ने कहा, ”उन्होंने गंदगी को ही जिंदगी मान लिया…इसके परिणामस्वरूप लोग गंदगी में रहने के आदी हो गए, गंदगी और नकारात्मकता उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई. साथ ही समाज में स्वच्छता को लेकर होने वाली चर्चाएं भी.” उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्होंने लाल किले की प्राचीर से इस मुद्दे को उठाया था लेकिन उनका मजाक उड़ाया गया और कहा गया कि शौचालय के बारे में बात करना प्रधानमंत्री का काम नहीं है.

उन्होंने कहा, ”… लेकिन मैं नहीं रुकूंगा… भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता मेरे साथी नागरिकों के जीवन को आसान बनाना है!” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री का पहला काम आम आदमी के जीवन को आसान बनाना होता है. मैंने शौचालय और सैनिटरी पैड के बारे में बात की और आज हम परिणाम देख रहे हैं.” प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक दशक पहले 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को खुले में शौच करने के लिए मजबूर किया गया था और इस कारण दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासी समुदायों का अपमान और महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ी.

मोदी ने शौचालयों की कमी के कारण ‘माताओं, बहनों और बेटियों की पीड़ाओं’ का उल्लेख किया और उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरों को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि खुले में शौच से उत्पन्न गंदगी ने बच्चों के जीवन को खतरे में डाल दिया था और यह बाल मृत्यु दर का एक प्रमुख कारक माना जाता है. मोदी ने कहा कि सेप्टिक टैंकों की मैनुअल सफाई से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए कदम उठाए गए हैं और सरकार इस संबंध में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रही है.

उन्होंने कहा, ”हम पेशेवरों और स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि वर्तमान में ‘क्लीन टेक’ से संबंधित लगभग 5000 स्टार्ट-अप पंजीकृत हैं. मोदी ने जोर देकर कहा कि जल और स्वच्छता क्षेत्र में कई नए अवसर पैदा हो रहे हैं, चाहे वह कचरे से धन का संग्रह और परिवहन, पानी का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण हो. प्रधानमंत्री ने कहा, ”स्वच्छ भारत मिशन ने भारत में चक्रीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ.ावा दिया है.” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि घरों से उत्पन्न कचरे को अब मूल्यवान संसाधनों में परिर्वितत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मिशन ने उन्हें लोगों की सच्ची ऊर्जा और क्षमता से अवगत कराया है.

मोदी ने कहा कि देश को जानना चाहिए कि लाखों लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपना पैसा और बहुमूल्य समय दान किया जबकि उनके चेहरे कभी टीवी पर नहीं दिखाए गए और उनका नाम अखबार में कभी प्रकाशित नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि वह हाथ मिलाने और पहल का समर्थन करने के लिए एकल-उपयोग प्लास्टिक के उत्पादन में शामिल उद्योगों के साथ लोगों के आभारी हैं.

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं और शौचालय कवरेज का दायरा पहले के 40 प्रतिशत से कम से 100 प्रतिशत तक पहुंच गया है. स्वच्छ भारत मिशन द्वारा लाई गई जन जागरूकता पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने गोरखपुर में दिमागी बुखार के कारण बच्चों की मौत का उदाहरण दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता की प्रतिष्ठा बढ.ने से देश में एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन भी हुआ है.

उन्होंने कहा कि पहले साफ-सफाई के काम से जुड़े लोगों को किस नजर से देखा जाता था, यह पूरा देश जानता है लेकिन स्वच्छ भारत अभियान ने इस सोच को भी बदल दिया. उन्होंने कहा, ”साफ-सफाई करने वालों को आज जब मान-सम्मान मिला तो उनको भी गर्व हुआ.” उन्होंने कहा, ”गंदगी के प्रति नफरत ही हमे स्वच्छता के लिए मजबूर कर सकती है और मजबूत भी कर सकती है.” हाल ही में आए एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय जनरल के शोध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान से हर वर्ष 60 से 70 हजार बच्चों का जीवन बच रहा है और लाखों स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनने से स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है.

यूनिसेफ के एक शोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि साफ-सफाई के कारण गांव के परिवार के हर साल औसतन 50 हजार रुपये बच रहे हैं. मोदी ने कहा कि आज के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर स्वच्छता से जुड़ी करीब 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं की भी शुरुआत हुई है और इसमें मिशन अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत देश के अनेक शहरों में जल और कचरा शोधन संयंत्र बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा, ”नमामि गंगे से जुड़ा काम हो या फिर कचरे से बायोगैस पैदा करने वाले गोबरधन प्लांट, ये काम स्वच्छ भारत मिशन को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा, उतना ही हमारा देश ज्यादा चमकेगा.”

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