
नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले के नजदीक हुए कार विस्फोट को बुधवार को एक ”जघन्य आतंकवादी घटना” करार दिया. सरकार ने इसी के साथ जांच एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे इस मामले की ”अत्यंत तत्परता और पेशेवर तरीके” से जांच करें ताकि इसके पीछे के लोगों और उनके प्रायोजकों को बिना किसी देरी के न्याय के शिकंजे में लाया जा सके. भूटान से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं की नीति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता दोहरायी गई.
इसमें कहा गया है कि सरकार के उच्चतम स्तर पर स्थिति पर लगातार ”नजर रखी जा रही है.” मंत्रिमंडल की बैठक में आतंकवादी घटना में मारे गए निर्दोष लोगों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया. मंत्रिमंडल ने इस नृशंस कृत्य की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया तथा घटना में मारे गए लोगों के प्रति गहरा शोक व्यक्त किया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ”प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 नवंबर 2025 की शाम को दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार विस्फोट से जुड़ी आतंकवादी घटना में जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया.” प्रस्ताव में कहा गया है कि देश ने एक ”घृणित आतंकवादी घटना” देखी है, जिसे राष्ट्र विरोधी ताकतों ने लाल किले के निकट कार विस्फोट के माध्यम से अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
इसमें कहा गया, ”मंत्रिमंडल, हिंसा के इस मूर्खतापूर्ण कृत्य के पीड़ितों के प्रति अपनी गहरी श्रद्धांजलि अर्पित करता है तथा शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है.” प्रस्ताव में कहा गया, ”मंत्रिमंडल इस नृशंस और कायराना कृत्य की कड़ी निंदा करता है, जिसके कारण निर्दोष लोगों की जान गई. मंत्रिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति कतई बरर्दाश्त नहीं की नीति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराता है.” यह पूछे जाने पर कि क्या इस घटना को ‘युद्ध’ की कार्रवाई माना जाना चाहिए,तो वैष्णव ने कहा कि उन्होंने मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव पढ़ा है.
इससे पहले प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक की भी अध्यक्षता की जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे. यह बैठक लाल किले के बाहर विस्फोटक से लदी एक कार में हुए धमाके के दो दिन बाद हो हुई. इस धमाके में 12 लोग मारे गए थे. यह घटना एक अंतरराज्यीय ”सफेदपोश” आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए तीन चिकित्सकों समेत आठ लोगों की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद हुई.
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने केंद्रीय मंत्रिमंडल को आतंकवादी घटना से अवगत कराया और इसके पीछे के लोगों को न्याय के शिकंजे में लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि शाह ने मंत्रिमंडल को बताया कि किस तरह सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े हमले को टालने के लिए त्वरित कार्रवाई की, जिसका उदाहरण फरीदाबाद में एक अंतरराज्यीय ‘सफेदपोश’ आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के बाद बरामद विस्फोटकों की मात्रा है.
इसमें सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी प्रार्थना की गई तथा उनकी देखभाल और सहायता करने वाले चिकित्सा र्किमयों और आपातकालीन र्किमयों के त्वरित प्रयासों की सराहना की गई. मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव में प्राधिकारियों, सुरक्षा एजेंसियों और नागरिकों की समय पर और समन्वित प्रतिक्रिया की सराहना की गई, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में साहस और करुणा के साथ काम किया.
इसमें कहा गया, ”उनका समर्पण और कर्तव्य भावना अत्यंत सराहनीय है.” प्रस्ताव में कहा गया कि मंत्रिमंडल सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है तथा चिकित्सा और आपात सेवा र्किमयों के त्वरित प्रयासों की सराहना करता है, जिन्हों पीड़ितों को सहायता प्रदान की.
इसके मुताबिक, ”मंत्रिमंडल ने दुनिया भर की कई सरकारों की एकजुटता और समर्थन में दिए बयानों के लिए भी अभार व्यक्त किया.” मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रत्येक नागरिक की रक्षा के प्रति अपनी स्थायी प्रतिबद्धता के अनुरूप, सभी भारतीयों के जीवन और कल्याण की रक्षा करने के सरकार के दृढ़ संकल्प को भी दोहराया. इससे पहले भूटान की दो दिवसीय यात्रा से लौटने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री घायलों से मिलने लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल गए.



