देश को मजबूर नहीं, मजबूत नेतृत्व चाहिए: शाह

विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए स्थिर सरकार जरूरी: सीतारमण

मधुबनी/बेगूसराय. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ गठबंधन के पास अगले पांच सालों के लिए प्रधानमंत्री पद का कोई एक चेहरा नहीं होने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि ”देश को मजबूर नहीं, मजबूत नेतृत्व” चाहिए.
बिहार के झंझारपुर और बेगूसराय संसदीय क्षेत्र में राजग उम्मीदवारों रामप्रीत मंडल (मौजूदा जदयू सांसद) और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के पक्ष में अलग-अलग चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए शाह ने जनता से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए जनादेश दिए जाने की अपील की.

उन्होंने कहा कि मधुबनी जिला अंतर्गत फुलपरास विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का सम्मान कांग्रेस और राजद की सरकारों ने नहीं किया, पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें ”भारत रत्न” से सम्मानित करके बिहार के समस्त पिछड़े समाज को सम्मान प्रदान किया है. शाह ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़े समाज से आते हुए जो लोकप्रियता हासिल की वह आज भी कई लोगों की ईष्र्या का कारण बनी हुई है.

शाह ने कहा, ”गरीब घर से आने वाले कर्पूरी ठाकुर जी ने बिहार में गरीब, दलित और पिछड़ों की आवाज बुलंद की थी और गरीब चाय वाले के घर में जन्म लेने वाले मोदी जी भी देश भर के पिछड़ों, गरीबों, दलितों, आदिवासियों और वंचितों का कल्याण करने वाले नेता के रूप में उभरे हैं.” उन्होंने मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते हुए कहा कि इससे बिहार की राजनीति में जातिवाद समाप्त हो जाएगा और योग्यता के आधार पर राजनीति की शुरूआत होगी तथा बिहार एवं देश के अंदर से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा.

शाह ने कहा कि देश के खजाने की पाई-पाई, जिस पर गरीब का अधिकार है, वह गरीब को मिले इसके लिए नरेन्द्र मोदी जी का जीतना जरूरी है. उन्होंने कहा, ”आप सोचिए कि अगर यह ”घमंडिया इंडी गठबंधन” जीतता है तो देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, क्योंकि इनके पास तो ऐसा कोई नेता नहीं है. मुझे बताइए क्या लालू प्रसाद को देश का प्रधानमंत्री बना सकते हैं. क्या स्टालिन या ममता बनर्जी इस पद को संभाल सकते हैं. राहुल बाबा के बारे में क्या दूर-दूर तक भी सोच सकते हैं. अगर भगवान ना करें, ”इंडी” गठबंधन की सरकार आई तो इन्होंने कहा था कि एक-एक साल हम प्रधानमंत्री पद बांट लेंगे. एक साल शरद पवार, एक साल लालू जी, एक साल ममता जी, एक साल स्टालिन, एक साल अरविंद केजरिवाल और कुछ समय बचेगा तो राहुल बाबा बनेंगे. देश इस तरह से चल सकता है क्या.” शाह ने कहा कि जब देश पर कोरोना का संकट आया तो ”मजबूत नेतृत्व” ने देश को संभालकर इससे बाहर निकाला.

उन्होंने कहा कि देश पर आतंकवाद का साया था तो देश के मजबूत नेतृत्व, नरेन्द्र मोदी जी ने देश को इससे बाहर निकाला.
गृह मंत्री ने कहा कि देश और बिहार में नक्सलवाद था तो इसे खत्म करने का काम ”मजबूत नेतृत्व” ने किया और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही जी-20 का आयोजन हुआ व पूरी दुनिया में भारत का सम्मान भी ”मजबूत नेतृत्व” ने ही बढ़ाया.

उन्होंने कहा, ”देश को मजबूर नेतृत्व नहीं चाहिए, देश को मजबूत नेतृत्व चाहिए.” बेगूसराय में अपने संबोधन में शाह ने कहा, ”चारा चुराने वाली सरकार जाने के बाद नरेन्द्र मोदी जी और नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.” उन्होंने कहा, ”बिहार, कम्युनिस्टों की कृपा से नक्सलवाद से पीड़ित था, सैकड़ों युवा मारे गए. मोदी जी ने पूरे बिहार और झारखंड को नक्सलवाद से मुक्त किया.” शाह ने कहा, ”मोदी जी ने यहां (बिहार) से हड़ताल, हत्या, अपराध, आतंकवाद…. सबका सफाया किया है.”

उन्होंने कहा कि ‘इंडी’ गठबंधन वाले कहते हैं कि वह सत्ता में वापस आएंगे तो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 फिर से लागू करेंगे, लेकिन भाजपा का एक भी कार्यकर्ता जब तक जिंदा है, तब तक अनुच्छेद 370 कोई भी वापस नहीं ला सकता.
शाह ने कहा कि ‘इंडी’ गठबंधन वाले कहते हैं कि वे वापस आएंगे तो तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल कानून लाएंगे, लेकिन ना तो ये वापस आएंगे और ना ही तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल कानून लागू होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाएगी.

विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए स्थिर सरकार जरूरी: सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थिर सरकार जरूरी है. सीतारमण ने यहां गीतम यूनिर्विसटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे प्रधानमंत्री ने लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2047 तक हमें विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है.”

उन्होंने कहा, “इसके लिए हमें प्रयास करने होंगे, ताकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़े और सभी लोगों तक लाभ पहुंचे. जीडीपी वृद्धि अपने-आप नहीं होती है, इसके लिए सूक्ष्म एवं व्यापक स्तर और जमीनी स्तर पर प्रयासों की जरूरत होती है.” सीतारमण ने कहा कि जीडीपी की रैंकिंग के साथ देश की छवि भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय गणना के साथ ये सभी कारक भी मायने रखते हैं.

उन्होंने कहा, “जब तक जीडीपी नहीं बढ़ेगी, हम अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा नहीं कर पाएंगे. हमें निवेश एवं सेवाओं को बढ़ाने, शैक्षणिक संस्थानों और लोगों को घर खरीदने एवं कारोबार शुरू करने के लिए धन की जरूरत होती है.” वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास की गति पर सवाल उठाने और भारत के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को एक अंकगणितीय अपरिहार्यता बताने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की आलोचना भी की.

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