मोदी सरकार के लिए चुनावी जीत का मतलब ‘लोगों को लूटने का लाइसेंस’ : कांग्रेस

भोपाल/नयी दिल्ली. महंगाई विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस सरकार के लिए चुनावी जीत का मतलब ‘‘लोगों को लूटने का लाइसेंस” है. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार उर्वरकों को महंगा कर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों से बदला ले रही है.

हाल ही में उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को परिणाम आये थे, जिनमें से चार राज्यों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. रागिनी ने कहा,‘‘मोदी सरकार द्वारा एक अप्रैल से भारत की जनता पर लादी गई क्रूर, भारी और कमरतोड़ मूल्य वृद्धि ने देश के हर परिवार का बजट बिगाड़ दिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब मोदी सरकार का मंत्र है – चुनावों में जीत है लूटने का लाइसेंस.’’ रागिनी ने बताया कि पिछले 17 दिनों में 14 बार पेट्रोल-डीजल के मूल्य बढ़ाए गये. इससे पेट्रोल-डीजल का मूल्य भारत में पिछले 17 दिनों में 10 रूपये प्रति लीटर बढ़ गया है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अकेले पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर पिछले आठ सालों में 26 लाख करोड़ रूपये का मुनाफा कमा लिया. रागिनी ने बताया कि एलपीजी गैस सिलेंडर एवं पीएनजी के मूल्य भी इस सरकार ने बढाÞए हैं, जिससे लोगों पर अतिरिक्त बोझ आया है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार किसान आंदोलन का बदला भारत के किसानों से लेने की कोशिश कर रही है. 50 किलोग्राम के डीएपी खाद के बैग का मूल्य 150 रूपये प्रति बैग बढ़ाकर इसे 1200 रूपये प्रति बैग से 1350 रूपये प्रति बैग तक पहुंचा दिया गया है. भारत के किसान हर साल 1.20 लाख करोड़ टन डीएपी खाद का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए डीएपी खाद का मूल्य बढ़ने से देश के किसानों पर 3,600 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.’’ रागिनी ने कहा कि एक अप्रैल से राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स 10 से 18 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है.

उन्होंने कहा कि घर की कीमतें और घर बनाने की लागत में अप्रैल में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है, इस्पात, सीमेंट, ईंट, तांबा, सैनिटरी फिंिटग, लकड़ी आदि सब महंगे हो गए. रागिनी ने बताया कांग्रेस महंगाई के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेगी.

महंगाई पर चर्चा से भागी सरकार, अचानक दोनों सदनों की बैठक स्थगित करवाई : कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद आरोप लगाया कि सरकार महंगाई के विषय पर चर्चा कराने से भाग खड़ी हुई जिस कारण लोकसभा एवं राज्यसभा की बैठकें अचानक से स्थगित करवा दी गईं.

मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि सरकार किसान संगठनों के साथ समझौते के संदर्भ में चर्चा नहीं कराना चाहती थी.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है. पिछले कुछ दिनों के दौरान पेट्रोल और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि की गई है. रसोई गैस सिलेंडर पर 50 रुपये बढ़ाये गये हैं. सीएनजी के दाम में भी रोजाना बढ़ोतरी हो रही है. उर्वरक के दाम में वृद्धि की गई है जिससे किसानों को दिक्कत हो रही है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर चर्चा चाहते थे. लेकिन सरकार चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हुई.’’ खड़गे ने आरोप लगाया कि संसद की बैठक को निर्धारित समय से पहले स्थगित करा दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘एजेंडे में यह था कि दोनों सदन शुक्रवार तक चलेंगे. हम तो तैयार थे. ऐसा लगता है कि गरीबों, किसानों और युवाओं की समस्याओं को यह सरकार सुलझाना नहीं चाहती.’’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘सदन चलाने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच चर्चा होती है. यह परंपरा है कि जब हम कोई मुद्दा उठाते हैं तो इस बारे में अध्यक्ष से आग्रह करते हैं या फिर कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में अपनी बात रखते हैं.’’ उन्होंने बताया, ‘‘बीएसी की बैठक में हमारी पार्टी की तरफ से हमने दो मुद्दे रखे थे. हमने आग्रह किया था कि गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से संबंधित अनुदान की मांगों पर भी चर्चा होनी चाहिए.

हमने नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की मांग की थी, इसके साथ ही हमने महंगाई पर चर्चा की मांग भी की थी.’’ चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘बीएसी की बैठक में तय हो गया था कि महंगाई पर चर्चा होगी. कल शाम को पता चला कि सदन स्थगित होने वाला है. इससे पहले इसकी जानकारी नहीं दी गई थी. सरकार महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने से भाग खड़ी हुई है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने देखा कि ‘‘न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी’’. यानी सदन स्थगित करा दो तो महंगाई पर चर्चा नहीं होगी. सरकार जवाबदेही से बचने के लिए सदन से भाग जाती है.’’ चौधरी ने कहा, ‘‘अगर लोकसभा की कार्य उत्पादकता 129 प्रतिशत है तो इसका मतलब है कि विपक्ष ने सहयोग किया है. यह हमारे सहयोग से ही संभव हुआ है.’’ राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा, ‘‘राज्यसभा से संबंधित बीएसी में कई विधेयकों के लिए समय तय हो चुका था. विपक्ष तैयार बैठा था कि ये विधेयक लाए जाएंगे,लेकिन नहीं लाए गए. यह सरकार की विफलता है. सरकार के पास कोई एजेंडा नहीं रहा.’’

उनके मुताबिक, ‘‘सामूहिक संहार के हथियारों के प्रसार एवं वित्त पोषण को रोकने से संबंधित विधेयक और अंटार्कटिका संधि से जुड़े विधेयक लाए जाने थे. ये दोनों विधेयक नहीं लाए. एकमात्र कारण था कि सरकार महंगाई से भाग रही थी क्योंकि सभी पार्टियां इस विषय पर चर्चा चाहती थीं.’’ उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के साथ सरकार समझौता करना चाहती है, इसे लेकर भी हम चर्चा चाहते थे. इससे भी भागने के लिए सदन स्थगित कराने का निर्णय लिया गया है.

रमेश ने राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल की गैरमौजूदगी को लेकर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, ‘‘हमने अरुण जेटली और थावरचंद्र गहलोत को देखा है कि वे सदन में बैठा करते थे. लेकिन पहली बार देखा है कि सदन के नेता लापता हैं. वह मंत्री हैं और सदन में बैठते ही नहीं हैं. प्रधानमंत्री तो आते नहीं हैं, लेकिन राज्यसभा में सदन के नेता होने चाहिए.’’ उल्लेखनीय है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों आॅस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे पर हैं. रमेश ने कहा कि डेटा सुरक्षा विधेयक और डीएनए संबंधी विधेयक को लाए बिना ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022’ को पारित कराना गलत था.

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