सरकार को ‘औसत’ लोगों से भरा बताया गया लेकिन अब भारत दुनिया में चमक दिखा रहा : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े पहलुओं से निपटने को लेकर सरकार के आलोचकों पर तंज करते हुए शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार को ‘औसत’ प्रतिभा वाले लोगों से भरा बताकर मजाक उड़ाया जाता था लेकिन जिस भारत को सामान्य समझा गया, वह अब दुनिया में चमक रहा है.

राजधानी स्थित तालकटोरा स्टेडियम में ‘‘परीक्षा पे चर्चा’’ वार्षिक संवाद के छठे संस्करण के दौरान छात्रों से संवाद में मोदी ने कहा कि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि समृद्ध लोकतंत्र के लिये आलोचना एक ‘‘शुद्धि यज्ञ’’ है, मजबूत लोकतंत्र के लिये आलोचना पूर्व शर्त है. उन्होंने कहा कि लेकिन आलोचना और आरोप के बीच काफी बड़ा अंतर है.

एक छात्र के प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आपने दो-तीन वर्ष पहले देखा होगा कि हमारी सरकार के बारे में लिखा गया कि इसमें कोई अर्थशास्त्री नहीं है. यह औसत लोगों से भरी हुई है. प्रधानमंत्री को अर्थव्यवस्था की कोई समझ नहीं है. लेकिन आज वही देश जिसे औसत बताया गया, वह दुनिया में चमक रहा है.’’ मोदी ने कहा कि दुनिया ऐसे समय में भारत को उम्मीद भरी नजर से देख रही है जब कोविड-19 महामारी के बाद के काल में वैश्विक आर्थिक स्थिति के बारे में चर्चा की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं है कि दुनिया में अर्थशास्त्रियों की कमी है. ऐसे अनेक नोबेल पुरस्कार सम्मानित विद्वान हैं, जो आर्थिक स्थिति में क्या संभावनाएं हैं, इसके क्या प्रभाव होंगे आदि के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं. बुद्धिमता की बात करने वाले लोग इन दिनों हर कोने में हैं. ऐसे शिक्षाविद भी हैं जिन्होंने काफी काम किया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित देशों में बढ़ती मंदी के साथ भारत तेजी से आगे बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था है और अनेक वैश्विक निकाय देश का पक्ष ले रहे हैं और कह रहे हैं कि भविष्य में यह अच्छा करेगा.

प्रधानमंत्री मोदी से एक छात्र ने सवाल पूछा था कि जिन्हें औसत या सामान्य समझा जाता है, वे अपनी पढ़ाई को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ ज्यादातर लोग सामान्य स्तर के होते हैं, असाधारण लोग बहुत कम होते हैं और सामान्य लोग जब असामान्य काम करते हैं, तो वे ऊंचाई पर चले जाते हैं और सामान्य के मानदंड को तोड़ देते हैं.’’ उन्होंने कहा कि किसी को ‘तीस मार खां’ बनने की जरूरत नहीं है, कई लोग सामान्य से नीचे होते हैं लेकिन अपने आप को तीस मार खां समझते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें बच्चों को विस्तार देने का अवसर देना चाहिए, उन्हें बंधनों में नहीं बांधना चाहिए. अपने बच्चों को समाज के विभिन्न वर्गों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए.’’ जब एक छात्र ने पूछा कि वे आलोचना और आरोपों के किस तरह से देखते हैं तब मोदी ने सीधे कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं की.

प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, विश्लेषण करना पड़ता है. ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, आलोचना नहीं करते. आलोचना और आरोप में बड़ी खाई है.’’ उन्होंने हल्हे फुल्के अंदाज में इन सवालों पर कहा कि यह ‘आउट आफ सिलेबस (पाठ्यक्रम से बाहर)’ हैं.

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