मेधा सूची तैयार करने के लिये ‘सामान्य सीयूईटी स्कोर’ का उपयोग करेंगे विश्वविद्यालय : यूजीसी अध्यक्ष

नयी दिल्ली. साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का परिणाम घोषित होने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय, मेधा सूची तैयार करने के लिए प्रत्येक विषय में मिले अंक पर आधारित सामान्य स्कोर का उपयोग करेंगे, न कि पर्सेंटाइल या मूल अंक का.

कुमार ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि छात्रों को सामान्य अवसर प्रदान करने के लिए स्कोर को सामान्य बनाया गया है, क्योंकि छात्रों ने एक ही विषय में अलग-अलग दिनों में और अलग-अलग पालियों में परीक्षा दी है. कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा मेधा सूची तैयार करने के लिए छात्रों को प्रत्येक विषय में मिले अंक पर आधारित सामान्य स्कोर का उपयोग किया जाएगा, न कि पर्सेंटाइल का.

उन्होंने कहा कि स्कोर को सामान्य इसलिए बनाया गया है, ताकि छात्रों को समान अवसर प्रदान किया जा सके. ऐसा इसलिए क्योंकि छात्रों ने अलग-अलग दिनों में और अलग-अलग पालियों में परीक्षा दी है. कुमार ने कहा कि सीयूईटी के स्कोर को विषयवार सामान्य बनाया गया है. उन्होंने बताया कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के एक पैनल द्वारा ‘इक्विपर्सेंटाइल पद्धति’ का इस्तेमाल करते हुए स्कोर को सामान्य बनाने का फॉर्मूला तय किया गया है.

गौरतलब है कि बड़ी संख्या में उम्मीदवारों, उनकी अलग-अलग तारीखों, पालियों, और चुने गए विषयों के लिए स्कोर जारी करने में सम-प्रतिशतता (इक्विपर्सेटाइल) पद्धति को आधार बनाया जाता है. विभिन्न विषयों, तारीखों और पालियों में आयोजित सीयूईटी यूजी 2022 के हर विषय समूह के लिए हर छात्रों का सामान्यकृत स्कोर तैयार करने की बात कही गई है . हर उम्मीदवार के सही मूल्यांकन के लिए सभी उम्मीदवारों हेतु इसी आधार को अपनाया जायेगा, फिर चाहे वे उस विषय समूह के लिए किसी भी तारीख या पाली में सम्मिलित हुए हो .

कुमार ने कहा, ‘‘हम स्कोर को सामान्यकृत किये बिना साझा अलग अलग छात्रों के लिये साझा मानदंड कैसे तैयार कर सकते हैं? हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि दाखिला ऐसे स्कोर के आधार पर किया जाए जो छात्रों के प्रदर्शन का सटीक आकलन करते हों .’’ उन्होंने कहा कि सीयूईटी-यूजी के विपरीत अन्य प्रवेश परीक्षाओं में सीमित संख्या में विषय होते हैं. एक सत्र में होने वाली प्रवेश परीक्षा में सांख्यिकी आधारित एक साझा एकरूप पद्धति से किया जाता है ताकि छात्रों के प्रदर्शन की एक दूसरे से तुलना की जा सके .
यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी-यूजी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में एक विषय के लिये अलग अलग दिनों में और कई सत्रों में परीक्षाएं होती है, इससे प्रत्येक समूह के छात्रों के लिये कई पर्सेंटाइल तैयार हो जाती है.

उन्होंने बताया कि ऐसी परीक्षाओं के लिये पर्सेंटाइल का उपयोग करने से जुड़ी एक अन्य समस्या और है कि खेल और ललित कलाओं जैसे विषयों में कुछ विश्वविद्यालय कौशल को महत्व देते हैं . लेकिन रैंक तैयार करने में कौशल से जुड़े आयाम को मूल अंक से जोड़ने तथा शेष के लिये पर्सेंटाइल को महत्व नहीं दिया जा सकता है. कुमार ने कहा कि इस स्थिति का हल निकाले के लिये ही ‘इक्विपर्सेंटाइल पद्धति’ का का उपयोग किया जा रहा है.

इस बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा है कि वह स्रातक पाठ्यक्रम में दाखिले के उद्देश्य से साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के लिये मेधा सूची ‘सामान्यकृति पद्धति’ के आधार पर तैयार करेगा. विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ हम सामान्य स्कोर के आधार पर मेधा सूची तैयार करेंगे . यह छात्रों को सामान्य अवसर प्रदान करने के लिये जरूरी है. ’’ गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस सप्ताह में दाखिला प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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