अशांति को खाली पेट की वजह से बढ़ावा मिलता है : संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने किया आगाह

संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन और खाद्य संकट की वजह से वैश्विक शांति के लिए खतरा बढ़ रहा है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि जलवायु आपदाएं खाद्य उत्पादन को खतरे में डालती हैं और ”अशांति को खाली पेट की वजह से बढ़ावा मिलता है.” गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर भोजन की कमी और बढ़ते तापमान के असर को संबोधित करने का अनुरोध किया. कई देशों ने इसका समर्थन किया है लेकिन रूस ने इसका समर्थन नहीं किया.

गुतारेस ने कहा, ”जलवायु और संघर्ष हमारे वैश्विक खाद्य संकट के दो प्रमुख कारक हैं. जहां युद्ध शुरू होते हैं, भुखमरी हावी हो जाती है – चाहे वह लोगों के विस्थापन के कारण हो, खेती तबाह होने के कारण हो, बुनियादी ढांचे के नुकसान के कारण हो, या जानबूझकर इनकार करने की नीतियों के कारण हो.” उन्होंने कहा, ”इस बीच, जलवायु अराजकता दुनियाभर में खाद्य उत्पादन को खतरे में डाल रही है.” उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त गाजा में किसी के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है और दुनिया में 7,00,000 सबसे ज्यादा भूखे लोगों में से 80 फीसदी इसी छोटे-से क्षेत्र में रहते हैं. उन्होंने कहा कि सीरिया में एक दशक से ज्यादा के युद्ध में 1.3 करोड़ सीरियाई हर दिन भूखे सोते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की जलवायु प्रमुख सिमोन स्टिल ने परिषद में कहा कि जलवायु परिवर्तन खाद्य असुरक्षा और संघर्ष में योगदान रे रहा है.
उन्होंने कहा कि आज धरती पर हर 10 में से एक व्यक्ति भूख से त्रस्त है और अगर जलवायु परिवर्तन बढ़ता है तो ”स्थिति और खराब हो जाएगी.” कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान को दोहराया लेकिन रूस ने इसका समर्थन नहीं किया.

संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने मॉस्को के रुख को दोहराते हुए कहा कि जलवायु और खाद्य आपूर्ति जैसे सामाजिक और आर्थिक मुद्दों और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा सुनिश्चित करने में परिषद के रुख के बीच कोई ”सीधा संबंध” नहीं है और इसीलिए इन मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की अन्य विशेष संस्थाओं में चर्चा होनी चाहिए.

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