आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ : भारत, फ्रांस
पेरिस. भारत और फ्रांस ने दुनिया के अन्य क्षेत्रों में आतंकवाद के प्रसार के लिए अफगानिस्तान की धरती के इस्तेमाल को लेकर ‘‘कतई बर्दाश्त ना करने’’ के रूख पर जोर देते हुए इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अन्य मंचों पर साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की.
यहां बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में तालिबान-नीत अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन तथा मानवीय स्थिति पर गंभीर ंिचता व्यक्त की गई और साथ ही काबुल में एक समावेशी सरकार की जरूरत पर बल दिया गया.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में पिछले वर्ष अगस्त में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों वाली तालिबान नीत सरकार 20 वर्ष बाद सत्ता में आई जिसे अभी तक किसी देश ने मान्यता नहीं दी है. तालिबान-नीत इस सरकार में महिलाओं को स्थान नहीं दिया गया है.
संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘ भारत और फ्रांस ने मानवाधिकारों के उल्लंघन तथा मानवीय स्थिति पर गंभीर ंिचता व्यक्त की है और शांतिपूर्ण, स्थिर एवं सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए पुरजोर समर्थन दोहराया.’’ इसमें कहा गया है कि दोनों देश क्षेत्रीय अखंडता, एकता एवं सम्प्रभुता का सम्मान करने तथा आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने पर जोर देते हैं. प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी, डेनमार्क की यात्रा के बाद, अपनी तीन दिवसीय विदेश यात्रा के अंतिम चरण में कुछ समय के लिये फ्रांस में रूके थे.
बयान के अनुसार, ‘‘दोनों देश ने समावेशी एवं प्रतिनिधित्वकारी सरकार की जरूरत तथा महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किये जाने का आ’’ान किया.’’ दोनों देशों ने दुनिया के अन्य क्षेत्रों में आतंकवाद के प्रसार के लिये अफगानिस्तान की धरती के इस्तेमाल को लेकर ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’’ के रूख पर जोर दिया और इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अन्य मंचों पर साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की.
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान-नीत सरकार के काबिज होने के बाद कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं, जिसके कारण माहिलाओं, लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि को लेकर कई बाधाएं उत्पन्न हो गई हैं . इनमें आवाजाही एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती करना और आय संबंधी कुछ पाबंदियां भी शामिल हैं .