“अनीता” के नाम से चुनाव लड़कर सरपंच बनी “विनीता”, मप्र उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

इंदौर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अजीबो-गरीब चुनावी मामला सामने आया है. अदालत में लंबित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजगढ़ जिले की एक महिला दस्तावेजों की जालसाजी के जरिये राजस्थान निवासी अनपढ़ महिला के नाम पर न केवल सरपंच पद का चुनाव जीत गई, बल्कि उसने घूंघट की आड़ में इस ओहदे की शपथ भी ले ली.

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने सरपंच पद के लिए पराजित उम्मीदवार राजल बाई की याचिका पर राज्य चुनाव आयोग और प्रदेश सरकार को मंगलवार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में कहा गया है कि राजगढ़ जिले की भीलखेड़ा ग्राम पंचायत के जुलाई में संपन्न चुनावों में विनीता (28) ने दस्तावेजों की कथित जालसाजी के जरिये खुद को अनीता (30) के रूप में पेश करते हुए पर्चा तथा हलफनामा भरा और चुनाव जीत गईं.

याचिकाकर्ता के वकील मनीष कुमार विजयवर्गीय ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी प्रचलित घूंघट प्रथा का बेजा फायदा उठाते हुए विनीता ने अनीता के नाम पर घूंघट में सरपंच पद की शपथ भी ले ली.” याचिका के मुताबिक राजस्थान के झालावाड़ जिले में 10 साल से ज्यादा वक्त से रह रही अनीता पढ़-लिख नहीं पातीं और उनके नाम पर कथित चुनावी फर्जीवाड़े की खबर मिलने पर उन्होंने राजगढ़ के जिला प्रशासन को शिकायत की, लेकिन इस पर प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया.

याचिका में यह भी कहा गया कि सरपंच पद के चुनावों में आधिकारिक रूप से विजयी घोषित अनीता दरअसल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल रुहेला समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जबकि भीलखेड़ा ग्राम पंचायत के चुनावों में सरपंच का पद अनुसूचित जनजाति की महिला के लिए आरक्षित था.

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