महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में महिलाओं को शामिल न किए जाने से महिला अधिकार कार्यकर्ता नाराज

पुणे. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के मंगलवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में महिलाओं को जगह न दिए जाने को लेकर महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने निराशा जताई. महाराष्ट्र में 41 दिन बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार के तहत दक्षिण मुंबई स्थित राजभवन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल सहित 18 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.

मंत्रिमंडल में कोई महिला शामिल नहीं है, जिसकी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने आलोचना की है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि महिलाओं को शामिल न किया जाना ‘‘भाजपा की मानसिकता’’ को दर्शाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र देश का पहला राज्य था, जिसने महिलाओं को आरक्षण दिया. जब भारत की 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है, तब उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. यह भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है.’’ शपथ लेने वाले 18 कैबिनेट मंत्रियों में शिवसेना के बागी गुट और भाजपा के नौ-नौ मंत्री शामिल हैं. सुले ने चंद्रकांत पाटिल का नाम लिए बगैर कहा कि कई बार भाजपा नेताओं ने यह विचार जाहिर किया है कि महिलाओं को रसोई तक सीमित रहना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘कई बार उस पार्टी के लोग यह विचार व्यक्त करते हैं कि महिलाओं को रसोई तक ही सीमित रखना चाहिए… अब यह उनके शब्दों और कार्यों से भी प्रतिंिबबित होने लगा है.’’ मई में पाटिल ने सुले पर तंज कसते हुए उन्हें ‘‘घर जाकर खाना बनाने’’ की सलाह दी थी. बाद में उन्होंने कहा था कि उनका इरादा महिलाओं का अपमान करना नहीं था.

शिवसेना विधायक संजय राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर सुले ने कहा कि यह भाजपा थी, जिसने एक महिला की खुदकुशी को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे राठौड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था.

राकांपा नेता ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि उन्हें (राठौड़) मंत्री बनाया गया है. जब वह हमारे साथ थे तो हमने कहा कि उनके साथ अन्याय हो रहा है. लेकिन यह भाजपा ही थी, जिसने बेबुनियाद आरोप लगाकर उनके इस्तीफे की मांग की थी. पर अब पूजा चव्हाण का क्या हुआ, जिनकी मौत ने राठौड़ को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था?’’ वर्ष 2016 में अहमदनगर जिले के शनि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाली भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने शिंदे कैबिनेट में एक भी महिला विधायक को जगह नहीं मिलने पर निराशा जताई.

उन्होंने आरोप लगाया कि यह महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में महिलाओं का अपमान है. सामाजिक कार्यकर्ता किरण मोघे ने कहा कि महिलाओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करना ‘‘चौंकाने वाला’’ है, खासकर तब जब देश आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि उन्हें कोई सक्षम महिला नजर नहीं आई, जिसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सके.’’ नए मंत्रिमंडल में महिलाओं को जगह नहीं दिए जाने को लेकर पूर्व नौकरशाह और वकील आभा ंिसह ने भाजपा पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का मूल मंत्र है, लेकिन उन्हें एक बेटी को भी मंत्री बनाना चाहिए.
ंिसह ने कहा कि लोगों की कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है.

उन्होंने कहा, ‘‘आप जो बोलते हैं और जो करते हैं, उसमें बहुत अंतर होता है. आपके काम आपके बारे में बोलते हैं. आपने अपने मंत्रिमंडल में किसी महिला को मंत्री नहीं बनाया है, जो एक हकीकत है. इससे पता चलता है कि आपके मन में महिलाओं की प्रतिभा या सामान्य तौर पर महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं है.’’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती एमवीए सरकार में वर्षा गायकवाड़, यशोमती ठाकुर और अदिति तटकरे ने मंत्री पद पर सेवाएं दी थीं. विवाद बढ़ने पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कैबिनेट विस्तार के अगले दौर में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा.

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