सभी धर्मों के दान में लिए एक कानून बने: विहिप

महाकुंभ नगर. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने रविवार को कहा कि विहिप ने सरकार से कहा है कि सभी धर्मों में दान के लिए एक कानून बनना चाहिए. यहां विहिप के शिविर में रविवार को संपन्न हुई तीन दिवसीय केंद्रीय प्रन्यासी मंडल की बैठक के बाद कुमार ने कहा, “मुस्लिम अल्लाह को जमीन देते हैं तो वह वक्फ की जमीन हो जाती है, लेकिन हिंदू यदि मंदिर को भूमि देते हैं, ईसाई चर्च को जमीन देते हैं, सिख गुरुद्वारे को जमीन देते हैं तो क्या होता है. इसके लिए अलग अलग कानून क्यों बने हुए हैं.”
उन्होंने कहा,”1954 में जब पहला वक्फ अधिनियम बना था, तो कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्यों ने कानून मंत्री से कहा था कि मुस्लिमों के लिए अलग कानून क्यों. इस पर तत्कालीन कानून मंत्री ने कहा था कि वह इस पर एक कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं. अब समय आ गया है कि सरकार सभी धर्मों की चैरिटी के लिए एक कानून बनाए.” काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त कराने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हिंदू समाज को हमारा वचन है कि संविधान के अंतर्गत सब तरह के कदम उठाकर हम इन दोनों मंदिरों को वापस प्राप्त करेंगे.” उन्होंने बताया कि इस बैठक में हिंदू मंदिरों को सरकार के कब्जे से मुक्त कराने के मुद्दे पर चर्चा हुई.
कुमार ने कहा, ” पिछले 208 वर्षों से अलग-अलग राज्यों में हमारे मंदिर सरकारों के कब्जे में हैं. कानूनों में लिखा है कि इन मंदिरों को अपनी आय का 12 प्रतिशत राशि प्रशासनिक खर्च के नाम पर सरकारी खजाने में जमा कराना होगा. इसी तरह कई अन्य प्रावधान हैं.” उन्होंने कहा, “हमने विजयवाड़ा में मंदिरों को मुक्त कराने के आ”ान के साथ एक बड़ा सम्मेलन किया था जिसमें ढाई लाख लोग आए थे. आगामी तीन-चार महीने के लिए इस संबंध में आंदोलन चलाने की रूपरेखा बनाई गई है जिसमें उत्तर भारत और दक्षिण भारत में हम इसी तरह की बड़ी सभा करेंगे.”
उन्होंने बताया, “हम साधु-संतों और अन्य हिंदू संगठनों को साथ लेकर इस मुद्दे पर प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री से मिलेंगे. साथ ही हम हर राज्य के विधायकों से मिलेंगे और उन्हें ज्ञापन देंगे.” उन्होंने बताया कि मंदिर वापस करने का कानून ऐसा नहीं बनना चाहिए कि पहले वह सरकार के नियंत्रण में रहे और अब किसी और के नियंत्रण में आ जाए. उनका कहना था कि प्रत्येक मंदिर को अपनी परंपरा के अनुसार चलने का पूरा अधिकार होगा. मंदिर के ट्रस्ट में भक्तों के पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
कुमार ने कहा, “ट्रस्ट में अनुसूचित समाज के भाई-बहनों को शामिल करना पड़ेगा. मंदिर के खर्च की व्यवस्था ऐसी होगी कि हिंदुओं का पैसा, हिंदुओं के काम में खर्च हो. पूरी पारर्दिशता होगी और कोई भी मंदिर की आय और खर्च का हिसाब जान सकेगा.” उन्होंने कहा कि हिंदुओं के मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने पर एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है जिसको हिंदुओं के कामों जैसे चिकित्सा सेवा, स्वास्थ्य, धर्म शिक्षकों, छोटे मंदिरों की मरम्मत आदि में खर्च किया जाएगा.
वक्फ बोर्ड पर चर्चा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हम वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार द्वारा की जा रही कार्यवाही से संतुष्ट हैं. हमने जो संशोधन बताया वह यह है कि संविधान में यह व्यवस्था है कि जो आदिवासी इलाका है, वह पूरा क्षेत्र सरकार अनुसूचित क्षेत्र घोषित करती है. फिर वह जमीन कोई खरीद नहीं सकता है और न ही उसपर कोई कब्जा कर सकता है.” उन्होंने कहा, “हमने जेपीसी से कहा था कि वह यह लिखे कि अनुसूचित भूमि पर वक्फ का कब्जा नहीं होगा. उन्होंने हमारी बात पर विचार किया और इसकी सिफारिश की है.” भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग के संबंध में उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है, इसे हिंदू राष्ट्र बनाने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा,” हालांकि यह पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह हिंदू राष्ट्र नहीं है. हम भारत को ऐसा नहीं बनाना चाहते जिसके लिए संविधान में (हिंदू राष्ट्र) लिखा हो.” इस बैठक में सभी राज्यों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, हांगकांग, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, थाईलैंड, नेपाल, बांग्लादेश, गुयाना जैसे अनेक देशों से प्रतिनिधि शामिल हुए. साथ ही स्वामी परमानंद जी महाराज और बौद्ध लामा चोस फेल ज्योतपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और पूर्व सर कार्यवाह भैया जी जोशी भी उपस्थित रहे.