नोएडा के निठारी मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर बरी

प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा के बहुर्चिचत निठारी मामले में आरोपियों- सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बड़ी राहत देते हुए सोमवार को बरी कर दिया. इससे पूर्व गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने कोली और पंढेर पर लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय करते हुए उन्हें मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी.

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की पीठ ने कोली और पंढेर की अपील पर यह आदेश पारित किया. पंढेर और कोली ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में विफल रहा. इससे पूर्व कई दिनों तक चली सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

बहुर्चिचत निठारी प्रकरण 2005 और 2006 के बीच घटित हुआ था . यह तब सुर्खियों में आया था जब दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी में एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे. मोनिंदर पंढेर उस मकान का मालिक था और कोली उसका नौकर था.
पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ह्लइलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से पंढेर के लिए जेल से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.ह्व हालांकि, कोली के जेल में निरुद्ध बने रहने की संभावना है क्योंकि वह एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

नयी दिल्ली में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि उनकी टीम इस निर्णय के प्रति की प्रतीक्षा कर रही है और उसका अध्ययन करने के बाद अगले कदम पर निर्णय करेगी. गाजियाबाद की एक जेल में निरुद्ध कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा हुई थी जिसके खिलाफ अपील पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही थी. उसका पूर्व नियोक्ता पंढेर नोएडा की एक जेल में निरुद्ध है और उसे दो मामलों में फांसी की सजा हुई थी.

इन दोनों पर दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किए गए थे और फांसी की सजा सुनाई गई थी. कुल मिलाकर पंढेर और कोली के खिलाफ 2007 में 19 मामले दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने साक्ष्यों के अभाव में इन 19 मामलों में से तीन मामलों में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल की थी. बाकी के 16 मामलों में कोली को पूर्व में तीन मामलों में बरी कर दिया गया था और एक मामले में उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था.

कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने के इस उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की अपील उच्चतम न्यायालय में अभी लंबित है. उसे आज शेष 12 मामलों में बरी कर दिया गया. पंढेर की वकील भंडारी ने कहा कि शुरुआत में पंढेर के खिलाफ छह मामलों में आरोप लगाए गए थे जिसमें सीबीआई द्वारा एक मामले में और पीड़ितों के परिजनों द्वारा पांच मामलों में उसे समन जारी कराया गया था. उसे पूर्व में तीन मामलों में सत्र अदालत द्वारा बरी किया था. बाकी तीन मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उसे एक मामले में 2009 में और दो मामले में सोमवार को बरी कर दिया गया.

निठारी का सनसनीखेज मामला उस समय प्रकाश में आया था जब 29 दिसंबर, 2006 को राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा के निठारी में पंढेर के मकान के पीछे ड्रेन में आठ बच्चों के कंकाल पाए गए. पंढेर के मकान के आसपास के क्षेत्र में ड्रेन में तलाशी के बाद और कंकाल पाए गए. इनमें से ज्यादातर कंकाल गरीब बच्चों और युवतियों के थे जो उस इलाके से लापता थे. दस दिनों के भीतर सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली और उसे खोज के दौरान और अस्थियां प्राप्त हुईं.

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