कर कटौती के बाद 90% से अधिक करदाता अपना सकते हैं नई कर व्यवस्था: सीबीडीटी चेयरमैन

नयी दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रविवार को कहा कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कर नहीं लगाने और सभी कर स्लैब में बदलाव की बजट घोषणा के बाद 90 प्रतिशत से अधिक व्यक्तिगत करदाता नई कर व्यवस्था को अपना सकते हैं. फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है.

अग्रवाल ने बजट के बाद पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि सरकार और आयकर विभाग का दर्शन एवं काम करने का तरीका देश में बिना हस्तक्षेप वाला कर प्रशासन सुनिश्चित करना है. नियमित मानव-आधारित खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करके ऐसा किया जाता है.

सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि एक आम करदाता के लिए अपनी आय बताने की उपलब्ध कर प्रक्रियाएं बहुत जटिल नहीं हैं. इसके लिए उन्होंने सरलीकृत आईटीआर-1, पहले से भरे आयकर रिटर्न, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की स्वचालित गणना का उदाहरण दिया.
उन्होंने नई कर व्यवस्था (एनटीआर) का भी हवाला दिया जिसमें करदाता के लिए सरल गणनाएं हैं. ऐसे में वह किसी पेशेवर की मदद के बिना अपना आईटीआर दाखिल कर सकते हैं. इसमें पुरानी व्यवस्था की तरह किसी कटौती या छूट की अनुमति नहीं होती है.
सीबीडीटी, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आयकर विभाग का प्रशासनिक निकाय है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट भाषण में मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण आयकर कटौती की घोषणा की. उन्होंने कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना होगा. छूट की यह सीमा वर्तमान में सात लाख रुपये है. वेतनभोगी वर्ग के लिए 75,000 रुपये की अतिरिक्त मानक कटौती भी उपलब्ध है.

बजट दस्तावेजों के अनुसार, सीतारमण ने इस सीमा से अधिक आय वाले लोगों के लिए कर स्लैब में भी बदलाव किया. इससे सालाना 25 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को हर साल 1.1 लाख रुपये तक कर बचाने में मदद मिलेगी. अग्रवाल ने माना कि आगे बढ़ने के लिए हमेशा सुधार की गुंजाइश बनी रहती है और यह हर क्षेत्र में सच है, जिसमें जटिल व्यावसायिक संरचनाएं भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ”मैं कहूंगा कि आम करदाता के लिए, चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है.” उन्होंने कहा कि आयकर भुगतान के संबंध में बजट में की गई घोषणाओं के साथ आने वाले वक्त में अधिक से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था (एनटीआर) का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित होंगे.

अग्रवाल ने कहा, ”अगर 100 प्रतिशत करदाता नहीं, तो अगले साल से हमें 90 प्रतिशत या शायद उससे भी अधिक के आंकड़े देखने को मिलेंगे.” मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, लगभग 74-75 प्रतिशत व्यक्तिगत करदाता एनटीआर को अपना चुके हैं, जिसे सरकार कुछ साल पहले ही लेकर आई थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयकर भुगतान से संबंधित बजट प्रावधानों से न केवल उन लोगों को लाभ होगा जो सालाना 12 लाख रुपये कमाते हैं, बल्कि इससे सभी को लाभ होगा.

उन्होंने कहा कि इन निर्णयों के पीछे मूल रूप से मध्यम वर्ग के हितों का ध्यान रखने और उन्हें पर्याप्त राहत देने की सोच थी.
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा, ”ये सभी चीजें अर्थव्यवस्था में बहुत सकारात्मक धारणा पैदा करती हैं और यह अपने आप में वृद्धि को बढ़ावा देती है. इसलिए, एक बार जब वृद्धि होती है, तो लोग उपभोग करते हैं, और व्यय होता है और फिर अर्थव्यवस्था बढ़ती है. जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है, तो यह करों के जरिये किसी-न-किसी रूप में वापस आती है.” यह पूछने पर कि विभाग कर आधार को व्यापक बनाने के लिए क्या करेगा, सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि वह एआई, मानव बुद्धिमत्ता और विभिन्न आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहित करने में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ”हमें विभिन्न डेटा स्रोतों से जानकारी मिल रही है, हम उस डेटा को एकत्रित कर रहे हैं और करदाता के लिए इसे उपलब्ध करा रहे हैं.” अग्रवाल ने कहा कि अब अधिक से अधिक करदाता अपने विभिन्न प्रकार के लेनदेन के बारे में जागरूक हो रहे हैं और इस तरह कर आधार बढ़ रहा है. सीबीडीटी प्रमुख ने बताया कि पिछले वर्ष गलत या फर्जी कटौती का दावा करने वाले लगभग 90,000 करदाताओं ने संशोधित रिटर्न दाखिल किया और 1,000 करोड़ रुपये का कर चुकाया.

आयकर कानून की भाषा, संरचना, संभावित कराधान पर ज्यादा सुझाव मिले: सीबीडीटी प्रमुख

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रविवार को कहा कि पुराने प्रत्यक्ष कर कानून की समीक्षा कर रही आयकर विभाग की आंतरिक समिति को कानून की भाषा सरल बनाने, प्रावधानों को बेहतर ढंग से पेश करने और संभावित कराधान जैसी योजनाओं का दायरा बढ़ाने के लिए ‘बड़े पैमाने पर’ सुझाव मिले हैं.

अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि समीक्षा पैनल ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों में की गई इसी तरह की समीक्षा कार्रवाई से जुड़े विचार-विमर्श और प्रक्रियाओं का भी अध्ययन किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के अपने बजट भाषण में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा किए जाने की घोषणा की थी. इस समीक्षा का उद्देश्य इस भारी भरकम अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाना था ताकि कर विवादों में कमी आए और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता मिले.

इसके बाद आयकर विभाग की एक आंतरिक समिति बनाई गई जिसने जनता से चार श्रेणियों- भाषा का सरलीकरण, मुक.दमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी और अनावश्यक या अप्रचलित प्रावधान पर सुझाव आमंत्रित किए. सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार आने वाले सप्ताह में संसद में नया आयकर विधेयक पेश करेगी, जो 1961 के कानून की जगह लेगा.

इस बारे में अग्रवाल ने कहा कि आंतरिक समिति को अधिनियम की भाषा के सरलीकरण, विभिन्न प्रावधानों की संरचना के बारे में सुझाव मिले और संभावित कराधान लागू होने की संभावना वाले क्षेत्रों को लेकर बड़े पैमाने पर सुझाव मिले. संभावित कराधान योजना छोटे करदाताओं को कुछ परिस्थितियों में नियमित बही-खाता बनाए रखने के थकाऊ काम से राहत देने का काम करती है. इस योजना को चुनने वाला व्यक्ति एक निर्धारित दर पर आय घोषित कर सकता है और इसके बदले में उसे लेखा परीक्षा के लिए बही-खाता रखने से राहत मिलती है. सीबीडीटी प्रमुख ने नए आयकर विधेयक के बारे में कहा, “इसे जिस तरह से तैयार किया गया है, वह करदाता के लिए वास्तव में अधिनियम के प्रावधानों की समझ को आसान बनाना है. इसके अलावा इसमें कुछ पुराने प्रावधानों को भी हटाया जा सकता है.”

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