सहकारी क्षेत्र के लिए कर राहत का ऐलान, सहकारिता मंत्रालय के बजट आवंटन में कटौती
सोने की ईजीआर में अदला-बदली पर कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं: वित्त मंत्री
नयी दिल्ली. सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बुधवार को कई उपायों की घोषणा की जिसमें विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने वालीं नई सोसायटी पर 15 प्रतिशत की रियायती दर से कर लगाने तथा नकद निकासी पर टीडीएस के लिए तीन करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा तय करना भी शामिल है.
सरकार ने सहकारिता मंत्रालय के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में 1,150.38 करोड़ रुपये का कुल बजट परिव्यय निर्धारित किया है. हालांकि यह राशि वित्त वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान 1,624.74 करोड़ रुपये से कम है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) और प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों द्वारा नकद जमा और नकद में ऋण के लिए प्रति सदस्य दो लाख रुपये की उच्च सीमा तय करने की घोषणा की.
सरकार ने चीनी सहकारी समितियों को आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को किए गए भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने का मौका भी दे दिया है. इससे उन्हें लगभग 10,000 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्मीद है.
सरकार की यह घोषणा छोटे एवं सीमांत किसानों और अन्य कमजोर तबकों के लिए सहकारी-आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच की गई है.
सीतारमण ने कहा कि ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सरकार 2,516 करोड़ रुपये के निवेश से 63,000 पैक्स समितियों का कम्प्यूटरीकरण पहले ही शुरू कर चुकी है. सभी हितधारकों और राज्यों के परामर्श से पैक्स समितियों के लिए मॉडल नियम बनाए गए थे ताकि इन्हें बहुउद्देशीय समिति बनाया जा सके. सहकारी समितियों के देशव्यापी मानचित्रण के लिए एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.
सीतारमण ने कहा, ‘‘इस पृष्ठभूमि में हम बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित करेंगे. इससे किसानों को अपनी उपज का भंडारण करने और उचित समय पर बिक्री कर लाभकारी कीमतें प्राप्त करने में मदद मिलेगी.” उन्होंने कहा कि सरकार अगले पांच वर्षों में व्यवस्था से बाहर रही पंचायतों और गांवों में बड़ी संख्या में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना में मदद देगी.
सहकारी क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2023 या उसके बाद बनने वाली एक नई सहकारी समिति, जो मार्च 2024 तक विनिर्माण या उत्पादन शुरू करती है और किसी भी निर्दिष्ट प्रोत्साहन या कटौती का लाभ नहीं उठाती है, उन्हें 15 प्रतिशत की रियायती दर पर कर भुगतान का विकल्प अपनाने की अनुमति होगी. सरकार ने सहकारी समितियों के लिए टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के बिना नकदी निकालने की सीमा भी बढ़ा दी है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इस तरह की निकासी पर टीडीएस के बिना सहकारी समितियों को एक वर्ष में 3 करोड़ रुपये तक की नकदी निकालने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव है.’’
सोने की ईजीआर में अदला-बदली पर कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं: वित्त मंत्री
सोने की धातु को ‘इलेक्ट्रॉनिक स्वर्ण रसीद’ (ईजीआर) में बदलने या ईजीआर को सोने में बदलने पर कोई भी पूंजीगत लाभ कर नहीं लगाया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में अपने बजट भाषण में यह घोषणा की. उन्होंने कहा, ”स्वर्ण धातु को ईजीआर में बदलने या ईजीआर को सोने में बदलने की प्रक्रिया को हस्तांतरण नहीं मानने और उस पर कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं लगाने का प्रस्ताव रखा गया है.” सरकार की इस घोषणा से सोने के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप ईजीआर में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. ईजीआर शेयर बाजार पर कारोबार की जाने वाली डिपॉजिटरी स्वर्ण प्राप्तियां हैं. इस रूप में निवेशक सोने के इलेक्ट्रॉनिक रूप की खरीदारी करते हैं और उन्हें सोना धातु के स्थान पर स्वर्ण प्राप्तियां दी जाती हैं.
बुनियादी ढांचा विकास पर पूंजीगत व्यय 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में बुनियादी ढांचा विकास पर पूंजीगत व्यय 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत बैठता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि हाल में स्थापित अवसंरचना वित्त सचिवालय की मदद से और निजी निवेश आर्किषत किया जा सकेगा.
सीतारमण ने कहा, ‘‘पूंजीगत निवेश की रूपरेखा लगातार तीसरे वर्ष उल्लेखनीय रूप से बढ़ाई गई है. इसे 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया है जो जीडीपी का 3.3 फीसदी होगा.’’ उन्होंने कहा कि यह 2019-20 की तुलना में लगभग तीन गुना होगा.
उन्होंने कहा कि एक विशेषज्ञ समिति की भी स्थापना की जाएगी जो अवसंरचना वर्गीकरण और वित्तीय रूपरेखा को अमृत काल के लिए उपयुक्त बनाने का काम करेगी. वित्त मंत्री ने बताया कि बंदरगाह, कोयला, इस्पात, उर्वरक और खाद्यान्न क्षेत्रों में संपर्क स्थापित करने के लिए सौ अहम परिवहन ढांचा परियोजनाओं की पहचान की गई है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी और इनमें 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. इसमें से 15,000 करोड़ रुपये निजी स्रोतों से आएंगे.’’ पिछले साल 13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गतिशक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को घटाने के लिए एकीकृत बुनियादी ढांचे का विकास करना है.
आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस बजट में समृद्ध एवं समावेशी भारत की संकल्पना की गई है जिसमें विकास का लाभ हर वर्ग तक, प्रत्येक नागरिक तक विशेषकर देश के युवाओं, महिलाओं, किसानों, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों तक पहुंच सके.