अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए ASI को 10 दिन का और समय दिया

वाराणसी. वाराणसी की जिला अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पूरी करने और जमा करने के लिए 10 और दिन का समय दिया. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने यह जानकारी दी . रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन अतिरिक्त सप्ताह की मांग करने वाली एएसआई की याचिका पर जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने सुनवाई की. न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एएसआई समय पर काम पूरा कर लेगा और अधिक समय नहीं मांगेगा. यादव ने बताया कि अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 दिसंबर तय की है.

अदालत मंगलवार को दायर एएसआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए जिला अदालत से तीन सप्ताह का और समय मांगा गया था. याचिका में कहा गया था कि विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी को आत्मसात करने के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है.

मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद इखलाक ने अधिक समय मांगने पर कड़ी आपत्ति जताई और दलील दी कि एएसआई बिना किसी उचित कारण के बार-बार रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांग रहा है; इसलिए अतिरिक्त समय की अर्जी खारिज की जाए.
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि रिपोर्ट दाखिल करने के लिए बार-बार समय लेने की इस प्रक्रिया का अंत होना चाहिए. एएसआई को अदालत द्वारा दिए गए समय के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि उसे उम्मीद है कि दिए गए समय के भीतर एएसआई निश्चित रूप से रिपोर्ट दाखिल करेगा और आगे समय नहीं मांगेगा. रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन और सप्ताह का समय देने की मांग करने वाली एएसआई की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए,जिला न्यायाधीश विश्वेश ने एएसआई से पूछा कि वह और समय क्यों मांग रहा है और उसे सुनवाई की अगली तारीख पर इस बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, अदालत ने दिल्ली में एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी से और समय की आवश्यकता का कारण बताने के लिए कहा, जिस पर एएसआई के वकील ने कहा कि वाराणसी में मौजूद अधिकारी इस कार्य को देख रहे हैं और वही अदालत को इस बारे में बताएंगे.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया था कि वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए एएसआई को 28 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन मंगलवार को एएसआई ने इसके लिए तीन सप्ताह का और समय मांगा. एएसआई ने मंगलवार को दिए अपने आवेदन में कहा कि उसके विशेषज्ञ पुरातत्वविदों, पुरालेखविदों, सर्वेक्षणकर्ताओं, भूभौतिकी विशेषज्ञों आदि द्वारा एकत्र किए गए विभिन्न प्रकार के आंकड़ों को संग्रहीत करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

एएसआई ने दो नवंबर को अदालत को बताया कि उसने सर्वेक्षण ‘पूरा’ कर लिया है, लेकिन सर्वेक्षण कार्य में उपयोग किए गए उपकरणों के विवरण के साथ रिपोर्ट संकलित करने में कुछ और समय लग सकता है. इसके बाद अदालत ने दस्तावेज जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का अतिरिक्त समय दे दिया. लेकिन एएसआई के वकील ने तकनीकी रिपोर्ट उपलब्ध न होने के कारण फिर से 15 दिन और मांगे और जिला न्यायाधीश ने उसे 28 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा.

एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था.
अदालत ने पांच अक्टूबर को एएसआई को चार हफ्ते का और समय दिया था और कहा था कि सर्वेक्षण की अवधि इससे ज्यादा नहीं बढ़ाई जाएगी. इसने पहले चार अगस्त और छह सितंबर को समय सीमा को बढ़ाया था.

सर्वेक्षण तब शुरू हुआ था जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम ‘न्याय के हित में आवश्यक’ है और इस विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा. पूर्व की सुनवाई के दौरान, मस्जिद प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई थी और आरोप लगाया था कि एएसआई बिना अनुमति के मस्जिद परिसर के तहखाने और अन्य स्थानों पर खुदाई कर रहा है और पश्चिमी दीवार पर मलबा जमा कर रहा है, जिससे संरचना के ढहने का खतरा पैदा हो सकता है.

मस्जिद समिति ने कहा था कि एएसआई टीम मलबा हटाकर परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत नहीं थी. उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को एएसआई सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

अपने आदेश में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने, हालांकि, एएसआई से सर्वेक्षण के दौरान कोई ऐसा कार्य नहीं करने को कहा जिससे ढांचे को नुकसान हो. शीर्ष अदालत ने किसी भी तरह की खुदाई पर भी रोक लगा दी जबकि वाराणसी की अदालत ने कहा था कि यदि आवश्यक हो तो यह की जा सकती है.

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