ईंधन के बढ़ते दाम, ऊंची मुद्रास्फीति से दबाव में है बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था

ढाका. बांग्लादेश में ईंधन की कीमतों में वृद्धि की वजह से भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ गए है जिससे जनता रोष और निराशा में है और देश की अर्थव्यवस्था गंभीर दबाव में आ गई है. वहीं हाल के दिनों में विपक्ष की कटु आलोचना और विरोध प्रदर्शनों की वजह से प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर दबाव बढ़ा है. प्रदर्शनों को देखते हुए हसीना ने देश की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद मांगी है.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश की स्थिति श्रीलंका जितनी गंभीर नहीं है. गौरतलब है कि श्रीलंका में अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है, व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा है. वहीं, लोग भोजन, ईंधन और दवाओं की भीषण कमी से जूझ रहे हैं तथा आवश्यक वस्तुओं के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं.

बांग्लादेश भी महत्वाकांक्षी विकास परियोजनाओं पर अत्यधिक खर्च, भ्रष्टाचार, वंशवाद को लेकर जनता में रोष और व्यापार संतुलन बिगड़ने जैसी समान परेशानियों का सामना कर रहा है. इससे बांग्लादेश की वृद्धि प्रभावित हो रही है. तेल की ऊंची कीमतों के कारण बढ़ती लागत से निपटने के लिए सरकार ने पिछले महीने ईंधन की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की. इससे अन्य जरूरतों की बढ़ती लागत के कारण जनता ने विरोध शुरू कर दिया. इसके बाद अधिकारियों ने सरकारी डीलरों द्वारा चावल तथा अन्य जरूरी वस्तुओं की कम कीमत पर बिक्री का आदेश दिया.

देश के वाणिज्य मंत्री टीपू मुंशी ने कहा कि एक सितंबर से शुरू हुए कार्यक्रम के नवीनतम चरण में लगभग पांच करोड़ लोगों की मदद होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने कम आय वाले लोगों पर दबाव घटाने के लिए कई उपाय किए हैं. उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में युद्ध की वजह से कई वस्तुओं के दाम बढ़े हैं जबकि कोविड-19 महामारी का असर कम होने और मांग में सुधार की वजह से कीमतें पहले ही बढ़ रही थीं. इस बीच, बांग्लादेश, श्रीलंका और लाओस जैसे कई देशों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं जिससे तेल और अन्य वस्तुओं के आयात की लागत बढ़ गई है.

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