वामपंथ उग्रवाद से लड़ाई जीत के आखिरी चरण में: अमित शाह
जगदलपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि देश में वामपंथ उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीत के अंतिम चरण में है। इस खतरे से जूझ रहे सीआरपीएफ जवानों के सर्वोच्च बलिदान ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 84वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने बल से अनुरोध किया कि जब तक इस खतरे का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता वे वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई बहादुरी से जारी रखें।
नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सीआरपीएफ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने का श्रेय सीआरपीएफ र्किमयों को जाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”वामपंथ उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई विजय के अंतिम पड़ाव पर खड़ी दिखाई पड़ रही है। आपके परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। उनकी कुर्बानियों को याद करते हुए जीत की गाथा सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी।”
शाह ने कहा, ”मैं आज बस्तर में हूं, मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे सुरक्षा बलों ने पिछले नौ वर्षों में वामपंथ उग्रवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी है और सभी मोर्चों पर सफलता हासिल की है। उन्होंने न केवल उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर करने में जीत हासिल की है बल्कि आदिवासियों तक विकास को पहुंचाने में भी मदद की है।”
उन्होंने कहा, ”माओवादी स्कूलों, सड़कों, अस्पतालों और उचित मूल्य की दुकानों के निर्माण और मोबाइल टावरों की स्थापना में बाधा बन रहे थे। एक गृह मंत्री के रूप में मैं कहना चाहता हूं कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में इन विकास कार्यों की बाधाओं को दूर करने का श्रेय सीआरपीएफ र्किमयों को जाता है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीआरपीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाकर संगठनात्मक कौशल का भी उदाहरण पेश किया है।
उन्होंने कहा कि नक्सलियों के अंतरराज्यीय गतिविधियों की जांच के लिए सीआरपीएफ ने विभिन्न राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर संयुक्त कार्य बल का गठन किया, संयुक्त शिविर स्थापित किए और इन क्षेत्रों में सुरक्षा स्थापित की। शाह ने यह भी कहा कि बिहार और झारखंड में सुरक्षा की कमी खत्म होने के कगार पर है, जो सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस (वहां माओवादी विरोधी अभियानों में शामिल) के कारण संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि 2010 की तुलना में देश में वामपंथी उग्रवादी ंिहसा की घटनाओं में 76 प्रतिशत की कमी आई है और साथ ही (आम लोगों और सुरक्षार्किमयों की) जान जाने की घटनाओं में भी 78 प्रतिशत की कमी आई है। चुनावों को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में सीआरपीएफ की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है जब इसे सर्मिपत तरीके से संरक्षित किया जाए।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों एजेंसियां वामपंथी उग्रवादियों का वित्त पोषण रोकने के लिए सख्ती से काम कर रही हैं। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के हित में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए शाह ने कहा कि मोदी सरकार सीआरपीएफ के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सुरक्षा बलों को सुविधाएं देने और उनके दर्द में उनके साथ खड़े रहने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने कहा कि देश के लोगों को उम्मीद है कि जब तक वामपंथ उग्रवाद का सफाया नहीं हो जाता तब तक सुरक्षा बल तन्मयता से लड़ाई जारी रखेंगे।
शाह ने कहा कि सीआरपीएफ का वार्षिक उत्सव पहली बार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में हो रहा है और वह भी छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में।
बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित सीआरपीएफ कोबरा की 201वीं बटालियन के करनपुर शिविर में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। पिछले तीन दशकों से वामपंथी उग्रवाद से संघर्ष कर रहे बस्तर संभाग में कुल सात जिले शामिल हैं जिनमें बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर हैं।
सीआरपीएफ के जवानों को बड़ी संख्या में दक्षिण बस्तर क्षेत्र में तैनात किया गया है, जिसमें सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले शामिल हैं। यहां सीआरपीएफ के नेतृत्व में सुरक्षा र्किमयों ने कई बड़े माओवादी हमलों में जवाबी कार्रवाई की है। सीआरपीएफ के महानिदेशक सुजॉय लाल थाउसेन ने भी इस अवसर पर समारोह को संबोधित किया।