
नयी दिल्ली. लोको पायलट यूनियन ने छत्तीसगढ़ ट्रेन दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में तथ्यात्मक त्रुटियों का आरोप लगाया है जिसमें घटना के लिए ट्रेन के चालक दल को जिम्मेदार ठहराया गया है. मंगलवार को, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक स्थानीय मेमू (मेनलाइन इले्ट्रिरक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन एक मालगाड़ी से टकरा गई थी. हादसे में लोको पायलट समेत 11 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
पांच रेलवे विशेषज्ञों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में मेमू ट्रेन के चालक दल को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे लाल सिग्नल पर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहे और फिर मालगाड़ी से टक्कर हो गई. संबंधित रेलवे जोन को लिखे एक पत्र में, ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने आरोप लगाया कि प्रारंभिक जांच ”काल्पनिक विवरणों” पर आधारित है और रिपोर्ट में गलत सिग्नल संख्याएं दर्ज की गई हैं. एआईएलआरएसए बिलासपुर के जोनल महासचिव वी. के. तिवारी ने दावा किया कि रिपोर्ट ”पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके” से तैयार की गई थी, ताकि चालक दल पर दोष मढ़ा जा सके और रेलवे प्रशासन की अन्य कमियों को छुपाया जा सके.
तिवारी ने कहा, ”हमारा संगठन बिना किसी तथ्यात्मक जांच के रेलवे प्रशासन की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर गंभीर आपत्ति जताता है.” यूनियन ने सिग्नल फेल होने की संभावना जताई है और कहा कि मेमू चालक दल ने तकनीकी खराबी के कारण हरा सिग्नल देखा होगा.
एआईएलआरएसए महासचिव अशोक कुमार राउत ने कहा, ”हमने ट्रेन की गति का फ्लो चार्ट देखा है. इससे पता चलता है कि स्थानीय मेमू चालक दल ने एक सिग्नल 42 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पार किया. अगर उन्होंने अगला सिग्नल लाल देखा होता, तो वे गति 42 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 73 किमी प्रति घंटे क्यों करते? ऐसा लगता है कि सिग्नल हरा था और इसलिए उन्होंने गति बढ़ा दी?”
उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि जब उन्होंने आगे मालगाड़ी देखी, तो उन्होंने रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाए, लेकिन रुकने से पहले ही मालगाड़ी से टक्कर हो गई. स्पीड फ्लो चार्ट टक्कर से पहले आपातकालीन ब्रेक लगाने को दर्शाता है.” एआईएलआरएसए सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि रेलवे का प्रारंभिक निष्कर्ष अंतिम नहीं है, क्योंकि यह पर्यवेक्षी अधिकारियों का है. लोको पायलट यूनियन ने कहा, ”जब तक रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अंतिम रिपोर्ट नहीं दे देते, किसी को भी दोषी ठहराना गलत है. सीआरएस ने अभी जांच शुरू ही की है.”



