सीएए से जुड़े नियमों को अधिसूचित करके भाजपा ने मुस्लिमों को रमजान का तोहफा दिया: उमर

सीएए नियमों की कानूनी वैधता पर संदेह है: ममता बनर्जी

श्रीनगर/बारासात/नयी दिल्ली/कोलकाता. नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को तंज करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के नियमों को अधिसूचित करके मुस्लिमों को रमजान का तोहफा दिया है. उमर ने कहा कि लोकसभा चुनाव से महज कुछ दिन पहले सीएए के लिए नियमों को अधिसूचित करना दर्शाता है कि भाजपा आसन्न लोकसभा चुनाव में करीब 400 सीट जीतने को लेकर आश्वस्त नहीं है.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ”इसे वर्ष 2019 में पारित किया गया था, लेकिन चुनाव का बिगुल बजने से कुछ दिन पहले सीएए (नियम) को अधिसूचित करने से शायद यह स्पष्ट हो जाता है कि उद्देश्य क्या है.” उन्होंने कहा, ”वे (भाजपा) कह रहे थे कि राम मंदिर (निर्माण) के बाद वे हार नहीं सकते. लेकिन शायद उन्हें लगता है कि उनकी स्थिति कमजोर है और इसीलिए उन्हें इन नए हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.”

अब्दुल्ला ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी लोकसभा चुनाव में धर्म का इस्तेमाल करना चाहती है. उन्होंने कहा, ”मुसलमान हमेशा से भाजपा के निशाने पर रहे हैं जो पार्टी के लिए कोई नई बात नहीं है. यहां तक ??कि सीएए में भी मुसलमानों को एक विशिष्ट लक्ष्य बनाया गया है. यह भाजपा के लिए कोई नई राजनीति नहीं है, उनका पहले भी यही दृष्टिकोण रहा है.” एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी में अब्दुल्ला ने सीएए के लिए नियमों की अधिसूचना को मुसलमानों के लिए ‘रमजान का उपहार’ बताकर इस पर खेद जताया.

सीएए नियमों की कानूनी वैधता पर संदेह है: ममता बनर्जी

केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 लागू किए जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएए में जिन नियमों को अधिसूचित किया गया है उनमें कोई स्पष्टता नहीं है. उन्होंने सीएए नियमों की कानूनी वैधता को लेकर संदेह भी जताया. उत्तर 24 परगना जिले के हाबड़ा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में सीएए लागू नहीं होने देंगी. उन्होंने लोगों से कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले कई बार सोचने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, “मुझे संदेह है कि कल अधिसूचित किये गये सीएए नियमों की कानूनी वैधता है या नहीं. इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.” बनर्जी ने कहा, ”सीएए और इसके नियम असंवैधानिक हैं और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत भेदभावपूर्ण हैं. अनुच्छेद 14 नागरिकों को समानता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है.” उन्होंने दावा किया कि केंद्र नागरिकता प्रदान करने के नाम पर धोखा दे रहा है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दावा किया कि सीएए के तहत कोई भी व्यक्ति नागरिकता के लिए आवेदन करेगा और इस प्रकार वह खुद ही अवैध अप्रावासी बन जायेगा.

उन्होंने सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने को ‘अधिकार छीनने का खेल’ करार दिया. मुख्यमंत्री ने कहा, ”जैसे ही लोग नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे, वे अवैध निवासी बन जाएंगे और उन्हें निरूद्ध केंद्रों में ले जाया जाएगा.” उन्होंने कहा, ”अगर किसी एक व्यक्ति को भी (नागरिकता) अधिकार मिल जाता है तो मुझे खुशी होगी, लेकिन अगर कोई वंचित है तो मैं उसे आश्रय दूंगी.” उन्होंने कहा कि वह किसी को भी ‘बाहर’ करने की अनुमति नहीं देंगी.

बनर्जी ने दावा किया कि सीएए लागू करने का सीधा संबंध देश में राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को लागू करने से है. उन्होंने दावा किया कि जो मुस्लिम आप्रवासी पहले से ही भारत के नागरिक हैं, उन्हें अवैध घोषित कर दिया जाएगा और एनआरसी के तहत उन्हें नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे अवैध आप्रवासियों की मौजूदा संपत्ति के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है और क्या उन्हें जब्त किया जाएगा. बनर्जी ने भाजपा पर चुनाव से पहले झूठे दावे और वादे करने का आरोप लगाया तथा सवाल किया, ”2014 के चुनावों से पहले वादा किये गये 15 लाख रुपये कहां हैं?”

सीएए की अधिसूचना से शाहीन बाग के निवासी नाखुश, मुस्लिमों पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका जतायी

केंद्र द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित किये जाने के एक दिन बाद दिल्ली के शाहीन बाग के निवासियों ने अप्रसन्नता जताते हुए इसके मुस्लिमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही. संसद ने 2019 में सीएए कानून बनाया था जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन बिना दस्तावेज वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने में तेजी लाना है जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आ गये थे. नियमों को अधिसूचित किये जाने से इन देशों के प्रताड़ित गैर मुस्लिम प्रवासी– हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई अब भारतीय नागरिकता के लिए पात्र हो गये हैं.

शाहीन बाग के स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम से मुस्लिम जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. रमजान के पहले दिन इलाके में शांति रही तथा कुर्ता-पायजामा और टोपी पहने लोग दोपहर की नमाज के लिए स्थानीय मस्जिद गये.

शाहीन बाग 2019-2020 में करीब 100 दिनों तक सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का केंद्र रहा था. कई निवासियों ने यह कहते हुए मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया कि वर्तमान शासन के खिलाफ बोलने पर उन्हें निशाना बनाया जा सकता है. पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक किसी भी अशांति की आशंका को टालने के लिए इलाके में करीब 500 सुरक्षार्किमयों को तैनात किया गया है.

इलाके में तैनात एक पुलिसकर्मी ने कहा, ”हमने नियमित गश्त के लिए इलाके में अलग-अलग जगहों पर पुलिसर्किमयों की टीम तैनात की है. अबतक स्थिति रमजान के कारण भी नियंत्रण में है. हमें किसी आंदोलन की संभावना नजर नहीं आ रही है.” स्थानीय लोगों ने कहा कि इस ‘अलोकतांत्रिक’ कानून के खिलाफ उनके अनथक संघर्ष के बाद भी सीएए को अधिसूचित करने के केंद्र के फैसले से वे नाखुश हैं.

एक स्थानीय निवासी ने अपनी पहचान गुप्त रखे जाने की शर्त पर कहा, ”रमजान शुरू हो गया है, इसलिए इलाके के अधिकतर लोग तैयारी में व्यस्त हैं. लेकिन अपने दिल में, हमें इस बात की नाराजगी है कि हमारा संघर्ष (2019-20 के दौरान सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन) व्यर्थ हो गया. यदि रमजान नहीं होता तो हम फिर प्रदर्शन करते.” मोहम्मद साजिद नामक एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि वे लोग इसको लेकर भयभीत हैं और उनके मन में अनिश्चितता है कि अब उनका क्या होगा. साजिद ने कहा, ”सीएए लागू करके सरकार हमारी आवाज बंद करने एवं हमें दरकिनार करने की कोशिश रही है.”

दुकानदार हुजैफा ने कहा, ”हम इस फैसले से नाखुश हैं. केंद्र मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए सत्ता का इस्तेमाल कर रहा है. हम इस आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे. हम अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चुप हैं.” 2019-20 में सीएए विरोधी आंदोलन के चश्मदीद रहे दुकानदारों ने कहा कि वे महसूस करते हैं कि सीएए लागू करके सरकार इस क्षेत्र के लोगों को निराश किया है.

एक दुकानदार ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ”यह दुखद है कि सरकार ने सीएए का विरोध करने वाले लोगों के संघर्ष पर गौर नहीं किया. वे भी इस देश के नागरिक हैं. उनके विरोध पर भी विचार किया जाना चाहिए था.” आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि सीएए 2019 नागरिकता देने वाला कानून है, यह कानून किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. उन्होंने कहा कि यह केवल उन लोगों के लिए है जिन्होंने सालों से अत्याचार झेला है और जिनके पास भारत को छोड़कर दुनिया में कहीं कोई आसरा नहीं है. सूत्रों ने कहा कि सीएए को लेकर कई भ्रांतियां फैलाई गई हैं.

लोकसभा चुनावों से पहले जल्दबाजी में सीएए लागू किया गया : अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा चुनावों से पहले नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) लागू किये जाने को लेकर मंगलवार को भाजपा की आलोचना की और कहा कि जल्दबाजी में लाये गए इस कानून के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है.

सीएए के अनुसार, सरकार 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये उत्पीड़ित गैर-मुस्लिम शरणार्थियों–हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्मों के लोगों–को अब भारतीय नागरिकता प्रदान करना शुरू करेगी. सीएए नियमों को सोमवार को अधिसूचित किया गया.

तृणमूल कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव बनर्जी ने पार्टी की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति इकाई की बंद कमरे में हुई बैठक को संबोधित करते हुए हैरानगी जताई कि 2019 में यह अधिनियम पारित होने के बावजूद इसके नियमों को तैयार करने में पांच साल क्यों लगे.

टीएमसी के एक नेता ने बैठक के बाद कहा, ”हमारे नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि नियम बनाने में एक से डेढ. महीने का समय लगता है. लेकिन संसद में 2019 में अधिनियम पारित किये जाने के बाद करीब पांच साल बीत चुके हैं.” उन्होंने बताया, ”बनर्जी ने कहा कि कोई स्पष्टता नहीं है और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इसे चुनावों से पहले लागू किया गया.”

सीएए लागू किये जाने को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को दावा किया कि अधिसूचित किये गए नियम ”असंवैधानिक एवं भेदभावपूर्ण” हैं. उत्तर 24 परगना जिले के हावड़ा में एक आधिकारिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में सीएए लागू नहीं होने देंगी और लोगों से इस कानून के तहत आवेदन करने से पहले कई बार सोचने का अनुरोध किया.

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