कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पुलिस को टीएमसी नेता शाहजहां शेख को गिरफ्तार करने का दिया निर्देश

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पुलिस को संदेशखाली में यौन उत्पीड़न एवं जमीन पर जबरन कब्जा करने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शाहजहां शेख को गिरफ्तार करने का निर्देश देते हुए सोमवार को स्पष्ट किया कि उसकी गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है. अदालत ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि संदेशखाली में उत्पीड़न की घटनाओं की सूचना राज्य पुलिस को चार साल पहले ही दे दी गयी थी.

मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ”यह और भी आश्चर्यजनक है कि 42 मामलों को आरोपपत्र का रूप लेने में चार साल लग गए.” मामले में पेश अधिवक्ताओं ने कहा कि एक गलत धारणा बनायी गयी कि अदालत ने शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगायी है. इस पर पीठ ने कहा कि संदेशखाली में घटनाओं के संबंध में ऐसा कोई मामला रिकॉर्ड में नहीं है कि शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगायी गयी है.

अदालत ने कहा, ”अत: संबंधित पुलिस प्राधिकारी उक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करें.” अदालत ने निर्देश दिया कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासी लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों का स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले में शेख, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और राज्य के गृह सचिव को पक्षकार बनाया जाए.

पीठ ने निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय रजिस्ट्री द्वारा समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस दिया जाए जिसमें यह कहा गया हो कि शेख को मामले में पक्षकार बनाया गया है, क्योंकि वह फरार है और उसे पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय पर भीड़ के हमले के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी इस खंडपीठ में शामिल हैं. खंडपीठ ने निर्देश दिया कि मामले पर चार मार्च को फिर से सुनवाई की जाएगी.

याचिकाकर्ता की इस दलील पर गौर करते हुए कि इलाके में महिलाएं प्रतिशोध के डर से पुलिस में शिकायतें दर्ज कराने से डरती थीं, अदालत ने कहा कि वह अगली सुनवाई पर इस बात पर गौर करेगी कि क्या विधि सेवा प्राधिकरण से उन मामलों की जांच करने का अनुरोध किया जाए.

राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि 18 दिसंबर 2023 तक चार साल में स्थानीय पुलिस ने दुष्कर्म समेत विभिन्न आरोपों पर 43 प्राथमिकियां दर्ज कीं, जिनमें से 42 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए. उन्होंने कहा कि इस दौरान आदिवासी लोगों के मालिकाना हक वाली जमीन हथियाने के आरोपों पर सात मामले दर्ज किए गए और इन सभी में आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं.

अदालत ने कहा कि जांच का तरीका स्पष्ट नहीं है और यह भी पता नहीं है कि किन प्रावधानों में आरोपपत्र दाखिल किए गए. उसने कहा कि इस पहलू पर बाद में विचार किया जाएगा. दत्ता ने यह भी बताया कि इस साल 18 फरवरी के बाद से विभिन्न आरोपों पर 24 मामलों की जांच शुरू की गयी है और 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चार साल बहुत लंबा वक्त होता है. उन्होंने कहा कि ”यह मुद्दा काफी समय से उबल रहा था और आखिरकार यह फूट गया.” याचिकाकर्ता वकील प्रियंका टिबरेवाल ने दावा किया कि राज्य मंत्रियों को संदेशखाली जाने की अनुमति दी जा रही है जबकि अन्य को रोका जा रहा है.

इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य के मंत्रियों ने संदेशखाली ब्लॉक-2 में उन स्थानों का दौरा नहीं किया है जहां दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू है और वे संदेशखाली ब्लॉक-1 गए थे जहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है. गत पांच जनवरी को संदेशखाली में शेख के आवास पर छापेमारी के लिए गई ईडी टीम पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था. शेख तब से फरार है. शाहजहां और उसके समर्थकों के खिलाफ जमीन पर कब्जा करने और यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर संदेशखाली में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

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