अग्निपथ योजना: केंद्र ने सैनिकों की भर्ती में आमूल-चूल परिवर्तन का किया ऐलान

नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नयी ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया. इसके तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिल जाने के थोड़ी देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया के समक्ष इसका ऐलान किया.

सिंह ने कहा, ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना एक क्रांतिकारी पहल है जो सशस्त्र बलों को एक युवा ‘प्रोफाइल’ पहचान प्रदान करेगी.’’ थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि अग्निपथ योजना का उद्देश्य सशस्त्र बलों में भर्ती में आमूल-चूल परिवर्तन लाना है.’’ उन्होंने कहा कि इस योजना से सेना में युवा ताकत और अनुभव के बीच संतुलन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

जनरल पांडे ने कहा कि योजना पर अमल के प्रारंभिक चरण के दौरान सेना की परिचालन क्षमता को पूरी तरह से बनाए रखा जाएगा.
भर्ती प्रक्रिया में आमूल-चूल बदलाव से सैनिकों की भर्ती शुरू में चार साल की अवधि के लिए होगी, लेकिन उनमें से कुछ को बरकरार रखा जाएगा.

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘अग्निपथ योजना के तहत भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में ‘अग्निवीर’ के रूप में सेवा देने का अवसर प्रदान किया जाएगा.’’ नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि यह योजना सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए व्यापक प्रतिभा संचय सुनिश्चित करेगी.

‘अग्निपथ’ योजना, जिसे पहले ‘टूर आॅफ ड्यूटी’ नाम दिया गया था, की घोषणा तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में किया गया.
पिछले दो साल में इस पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद इस योजना की घोषणा की गई. इस योजना के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा.

वर्तमान में सेना 10 साल के शुरुआती कार्यकाल के लिए ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत युवाओं की भर्ती करती है, जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है. नयी योजना का उद्देश्य तीनों सेवाओं के वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है, जो तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2022-23 के 5,25,166 करोड़ रुपये के रक्षा बजट में से सैन्यर्किमयों की पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये हैं. राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल हैं.

भाजपा नेताओं ने ‘अग्निपथ योजना’ को क्रांतिकारी बताया, की सराहना

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक नयी ‘‘अग्निपथ योजना’’ शुरू किए जाने का स्वागत करते हुए इसे क्रांतिकारी पहल बताया. केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों में ‘‘मिशन मोड’’ में अगले डेढ़ साल के भीतर 10 लाख लोगों की भर्ती करने संबंधी निर्देश की भी जमकर सराहना की.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जहां इसे युवाओं को अपना व देश का ‘‘सुनहरा कल’’ बनाने का एक ‘‘अद्भुत अवसर’’ करार दिया वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के फैसले दर्शाते हैं कि उनकी सरकार का जोर युवाओं के लिए रोजगार निर्माण पर और केंद्र में काम के बोझ का प्रभावी प्रबंधन है.

नड्डा ने अग्निपथ योजना के बारे में एक ट्वीट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अग्नपथ योजना की घोषणा की ताकि युवाओं को एक निश्चित अवधि के लिए सैन्य बलों में सेवा की अनुमति मिल सके. इससे हमारे युवाओं को खुद को अनुशासित करने में मदद मिलेगी और इससे देश को भी प्रभावी मदद मिलेगी.’’ शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि ‘‘अग्निपथ योजना’’ युवाओं को अपना व देश का सुनहरा कल बनाने का एक अद्भुत अवसर है.

उन्होंने कहा कि भारत की युवाशक्ति को अनुशासित, दक्ष, फिट व आर्थिक रूप से सशक्त कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने वाला प्रधानमंत्री मोदी का यह ‘‘दूरदर्शी निर्णय’’ सच्चे अर्थों में ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ की नींव रखेगा. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को गौरवमय भविष्य व सशस्त्र बलों से जुड़ राष्ट्रसेवा का अवसर देने के लिए ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा की है. इससे उनमें क्षमताओं व कौशल का निर्माण होगा, साथ ही देश का रक्षा तंत्र और सशक्त होगा.’’

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर साल दर साल सरकार को और अधिक जवाबदेह बनाया है और शासन को जन-केंद्रित किया है. आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि की दिशा में अवसरों और लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार की ताकत बढ़ाया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है.’’ भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया और कहा कि यह फैसला भारत का भविष्य और उज्ज्वल करेगा, सेना को और मजबूत बनाएगा एवं देश के युवाओं को देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करेगा.

सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ योजना पर भूतपूर्व सैनिकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया

सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों ने अग्निपथ योजना पर मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसके तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना में संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी. इसका उद्देश्य बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है.
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिलने के थोड़ी देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ ंिसह ने मीडिया के समक्ष इसका ऐलान किया.

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया ने कहा, ‘‘अग्निपथ योजना या ‘टूर आॅफ ड्यूटी’ जांची परखी नहीं है, कोई प्रायोगिक परियोजना नहीं, सीधे कार्यान्वयन किया जा रहा है. इससे समाज का सैन्यीकरण होगा, साल-दर-साल लगभग 40,000 (75 प्रतिशत) युवा नौकरी के बिना खारिज और निराश, हथियारों में अर्ध प्रशिक्षित पूर्व अग्निवीर होंगे. अच्छा विचार नहीं. किसी को फायदा नहीं होगा.’’

अग्निपथ योजना के तहत नियोजित सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा. सरकार ने कहा कि अग्निवीर सशस्त्र बलों में शुरू में चार साल के लिए काम करेंगे और उनमें से 75 प्रतिशत समय अवधि के अंत में सेवानिवृत्त हो जाएंगे. 22 साल तक भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में सेवा देने वाले ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) नितिन वेल्डे ने कहा कि इस योजना की आलोचना या सराहना करना जल्दबाजी होगी.

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बी एस धनोआ ने कहा कि योजना की परिकल्पना और कार्यान्वयन लागत में कटौती को ध्यान में रखते हुए किया गया है, लेकिन यह 21 वीं सदी की सेना में आवश्यक बड़े सुधारों के लिए उत्प्रेरक साबित हो सकता है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अगर हमारे शीर्ष नेता और राजनीतिक नेता अल्पकालिक लाभ से आगे देखने में सक्षम हैं, तो हम अभी भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं.’’ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) यश मोर ने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि वह सबसे अधिक उन लाखों युवाओं को लेकर (निराशा) महसूस कर सकते हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में भर्ती की सारी उम्मीद खो दी है. मोर ने ट्वीट किया, ‘‘सेवा मुख्यालय भी इसे लागू करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होता है.’’

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर ंिसह ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ योजना पूर्ववर्ती सैन्य परंपरा, लोकाचार, नैतिकता और मूल्यों के अनुरूप नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह सेना की दक्षता और प्रभावशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.’’ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) पी आर शंकर ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘कई वरिष्ठ भूतपूर्व सैनिकों ने अपने अनुभव की सूझबूझ से लिखा है. एक आम आवाज सामने आई है. टूर आफ ड्यूटी अच्छा विचार नहीं लगता. सावधानी से आगे बढ़ें.’’

अग्निपथ योजना से सेना की परिचालन क्षमता प्रभावित नहीं होगी : जनरल पांडे

थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना के क्रियान्वयन के चलते चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के पास सेना की परिचालन क्षमताओं और तैयारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नयी ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया. इसके तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा.

जनरल पांडे ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन के दौरान सीमाओं पर सेना की परिचालन क्षमता और तैयारियां तथा आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की उसकी क्षमता पूरी तरह से बरकरार रहेगी.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या नयी योजना के लागू होने से चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर सेना की तैयारियां प्रभावित होंगी, उन्होंने जोर दिया कि समग्र सैन्य तैयारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि भर्ती प्रक्रिया में बदलाव से बल में ‘‘नया जोश और आत्मविश्वास’’ आएगा. सशस्त्र बलों में इस साल 46,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी. योजना के तहत भर्ती के लिए प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर शुरू की जाएगी.

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