छत्तीसगढ़: शिक्षा मंत्री के गृह जिले में खुले आसमान तले पढ़ने को मजबूर नौनिहाल!

सुरजपुर. छत्तीसगढ़ में सुरजपुर ज़िला शिक्षा मंत्री का गृह ज़िला है। यहां बिहारपुर में चौकापारा में प्राइमरी स्कूल बिल्डिंग ख़राब होने से इसमें स्कूल लगना बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पर एक निजी भवन किराए पर लेकर इसमें देश के भविष्य नौनिहालों को पढ़ाया जाने लगा अब शिक्षा विभाग द्वारा भवन किराए नहीं दिया है जिसपर भवन मालिक ने इस प्राइमरी स्कूल से भवन खाली करा लिया है।

चौकापारा में प्राइमरी स्कूल में फ़िर से नन्हे मुन्ने बच्चे खुले आसमान तले पढ़ने को हैं मजबूर।

छत्तीसगढ़ प्रदेश के शिक्षा मंत्री के गृह जिला सूरजपुर में खुले आसमान में पेड के नीचे पढने को मजबूर हैं देश के भविष्य।

पहले ही स्कुल का भवन जर्जर है तो वहीं भवन मालिक को किराया नहीं दिया तो अब खुले आसमान के नीचे लग रहा है स्कुल जबकि जिले के कलेक्टर सहित अन्य आला अधिकारियों को भी पत्र देकर अवगत कराया था।

यह पूरा मामला बिहारपुर क्षेत्र के प्राथमिक शाला चौकापारा का है जहां पढने वाले बच्चे पेड के नीचे अपना भविष्य गढ रहे हैं।

इस स्कुल का भवन अत्यंत जर्जर और खतरनाक हो गया था जिसे प्रशासन ने धराशाई कर दिया जिससे किराये भवन में स्कुल लगाया जा रहा था लेकिन किराये की रकम नहीं चुकाने पर अब खुले आसमान तले पेड के बच्चे पढाई कर रहे हैं।

यहां पदस्थ शिक्षक सहित ग्रामीणों ने जर्जर भवन होने की जानकारी अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियो को दी थी लेकिन यहां की समस्या जस की तस है।

फिलहाल बरसात का मौसम है और पेड के नीचे स्कुल लग रहा है। ऐसे में बारिश होने पर स्कुल की छुटटी कर दी जाती है।

अभी हाल में नये शिक्षण वर्ष में शाला प्रवेश उत्सव के नाम पर लाखो रुपये खर्च कर जिला प्रशासन छात्रो को तिलक उपहार देकर शिक्षा के प्रति उत्साहित कर खुद की पीठ थपथपा रहा है तो वही विद्यालयो में बदहाली आज भी कायम है।

कई स्कूलों में देश के भविष्य खुले आसमान के नीचे पढने को मजबूर हैं। जब शिक्षा मंत्री के गृह जिले के स्कुल भवन का यह हाल है तो अन्य जगहो का कैसा होगा। अंदाजा लगाया जा सकता है।

इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि फिलहाल वहाँ पढ़ने वाले बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है और नए स्कूल भवन के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं: विनोद कुमार राय जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर

सुरजपुर छत्तीसगढ़ राज्य से रामचन्द्र पप्पू जायसवाल की ख़ास रिपोर्ट।

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