प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी: न्यायालय ने पवन खेड़ा को 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत दी

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले में 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत देने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया. खेड़ा को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के संबंध में दिल्ली-रायपुर की उड़ान से उतारे जाने के बाद असम पुलिस ने बृहस्पतिवार को यहां हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि दिल्ली में सक्षम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर खेड़ा को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाये. पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (खेड़ा) जब तक कि सभी प्राथमिकियों के संबंध में न्यायिक अदालतों के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं करते हैं, हम निर्देश देते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को दिल्ली में सक्षम मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा.’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त आदेश मंगलवार (28 फरवरी) तक प्रभावी रहेगा.’’ न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 27 फरवरी तय की.

उच्चतम न्यायालय ने असम और उत्तर प्रदेश राज्यों को नोटिस जारी कर खेड़ा की उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों को लेकर असम और उत्तर प्रदेश के लखनऊ तथा वाराणसी में उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है.

आदेश लिखवाने के बाद कांग्रेस नेता की टिप्पणियों से नाखुश प्रधान न्यायाधीश ने खेड़ा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी से कहा, ‘‘हमने आपको (खेड़ा) संरक्षित किया है लेकिन बयानबाजी का एक स्तर होता है.’’ अपने आदेश में, पीठ ने कहा कि वह प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ा जाना चाहिए या नहीं, के मुद्दे पर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक है, और कहा कि इससे पहले पत्रकार अर्नब गोस्वामी के मामले में इस तरह की प्रक्रिया पहले भी अपनाई जा चुकी है.

खेड़ा कांग्रेस के महाधिवेशन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली से रायपुर जाने वाली उड़ान में सवार हुए थे और उन्हें असम पुलिस द्वारा हाफलोंग में दर्ज एक प्राथमिकी के सिलसिले में विमान से उतार दिया गया, हिरासत में लिया गया और फिर गिरफ्तार कर लिया गया. गत 17 फरवरी को मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में मोदी के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के सिलसिले में खेड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया.

खेड़ा की हिरासत की खबर के तुरंत बाद सिंघवी ने अपराह्न दो बजे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया, जो महाराष्ट्र शिवसेना मामले की सुनवाई कर रही थी.
प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें आश्वासन दिया कि अपराह्न तीन बजे एक पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री पर अपनी टिप्पणी के लिए उसी दिन माफी मांगी थी और उन पर लगाए गए आरोपों के सिलसिले में गिरफ्तारी की कोई आवश्यकता नहीं है.

उन्होंने कहा कि टिप्पणी में इस्तेमाल किये गये शब्दों का चयन और लगाई गई धाराएं कथित अपराधों से मेल नहीं खाती. सिंघवी ने कहा, ‘‘इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा.’’ प्रधान न्यायाधीश द्वारा यह पूछे जाने पर कि प्राथमिकियां कहां दर्ज की गई हैं, सिंघवी ने कहा कि खेड़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ तथा वाराणसी और असम के हाफलोंग में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि खेड़ा ने उसी दिन स्वीकार कर लिया था कि टिप्पणियां करना एक गलती थी.

खेड़ा के खिलाफ प्रधानमंत्री के बारे में उनकी कथित टिप्पणी के लिए असम के हाफलोंग थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 153 बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाले भाषण देना, लांछन लगाना), 500 (मानहानि) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) शामिल हैं.

असम पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने खुली अदालत में कथित टिप्पणी का आॅडियो-वीडियो क्लिप चलाया और कहा कि खेड़ा देश के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह के ‘‘अपमानजनक शब्दों’’ का इस्तेमाल नहीं कर सकते.

जब सिंघवी ने बताया कि खेरा ने अपनी टिप्पणियों के लिए पहले ही माफी मांग ली है, तो भाटी ने कहा, ‘‘कृपया वीडियो देखें कि क्या यह गलती है या जानबूझकर किया गया कार्य है. यह आचरण है जो मायने रखता है.’’ भाटी ने कहा, ‘‘पूरे संवाददाता सम्मेलन को देखा जाना चाहिए…यह बहुत सोच-समझकर दिया गया बयान है. यह एक ऐसा बयान है जिससे न केवल प्रधानमंत्री का अपमान होता है बल्कि यह देशद्रोह के समान भी है. आखिरकार, वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित प्रधानमंत्री हैं.’’ पीठ ने सिंघवी से पूछा कि क्या वह इस स्तर पर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग पर जोर दे रहे हैं, सिंघवी ने नहीं में जवाब दिया.

सिंघवी ने पीठ से कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ये शब्द बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए थे.’’ इससे पूर्व दिन में कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर जा रहे पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा को रायपुर जाने वाले विमान से नीचे उतार दिया गया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि असम पुलिस के अनुरोध पर खेड़ा को हिरासत में लिया गया.

उनके साथ गए कांग्रेस नेता विरोध में धरने पर बैठ गए और गिरफ्तारी वारंट के बिना उन्हें ले जाने के प्रयासों का विरोध किया.
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बाद में उन्हें असम पुलिस का एक दस्तावेज सौंपा, जिसमें खेड़ा को गिरफ्तार करने में उनकी मदद मांगी गई थी. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, खेड़ा के साथ हवाईअड्डे पर एक पुलिस थाने गए जहां केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की भारी तैनाती थी.

प्रधानमंत्री के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के लिए असम के हाफलोंग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. उड़ान में मौजूद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्विटर पर कहा, ‘‘हम सभी इंडिगो 6ई 204 उड़ान से रायपुर जा रहे हैं और अचानक मेरे साथी पवन खेड़ा को विमान से नीचे उतरने के लिए कहा गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह किस तरह की मनमानी है? कोई कानून का शासन है या नहीं? यह किस आधार पर और किसके आदेश पर किया जा रहा है?’’

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