“निष्क्रिय” राज्यपाल की अवधारणा खत्म हो गई है : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बोस
नयी दिल्ली. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने रविवार को कहा कि ”नि्क्रिरय” राज्यपाल की अवधारणा समाप्त हो चुकी है और निर्वाचित मुख्यमंत्री को सरकार का ”अग्रणी चेहरा” होना चाहिए जबकि मनोनीत राज्यपाल को निर्वाचित प्रतिनिधियों के ”मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक” के रूप में पृष्ठभूमि में रहना चाहिए.
राज्यपालों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली आए बोस ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि राज्यपाल संविधान के संरक्षक व संघवाद के अभिभावक हैं, और वे ”रबर स्टाम्प नहीं हैं.” बोस ने राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ अकसर अपना टकराव रहने के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सम्मान करते हैं और बनर्जी के साथ उनके पेशेवर संबंध हैं, लेकिन ”राजनीतिक नेता ममता बनर्जी” को वह पसंद नहीं करते. राज्यपालों के सम्मेलन के बारे में बात करते हुए बोस ने इसे ”परिवर्तनकारी” और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप बताया.
बोस ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिवर्तनकारी भारत की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए मैं कहूंगा कि यह परिवर्तनकारी राज्यपाल सम्मेलन था, जहां अब हम देखेंगे कि राज्यपालों के कामकाज में एक नयी लय होगी. निर्वाचित प्रतिनिधियों और राज्यपाल के बीच एक नया तालमेल नजर आएगा.” उन्होंने कहा, ”राज्यपालों के सम्मेलन ने निर्णय लिया कि राज्यपालों को केंद्र और राज्य के बीच एक प्रभावी कड़ी के रूप में बने रहना चाहिए, जिसे राष्ट्रपति और अन्य लोगों ने समर्थन दिया. उस स्थिति में, राज्यपालों को लोगों की भलाई के लिए बनाई गई परियोजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में गहराई से शामिल होना होगा.” बोस ने कहा कि निर्वाचित मुख्यमंत्री को सरकार का ”अग्रणी चेहरा” होना चाहिए, जबकि राज्यपाल को मार्गदर्शक के रूप में पृष्ठभूमि में रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, ”राज्यपाल को सक्रिय होना चाहिए. नि्क्रिरय राज्यपाल की अवधारणा खत्म हो गई है.” यह पूछे जाने पर कि क्या इससे गैर-राजग दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपालों के कामकाज को लेकर बहस को बढ़ावा मिलेगा, जिन्होंने राज्यपालों पर अनुचित हस्तक्षेप करने और राज्य सरकारों के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया है, बोस ने कहा, ”बहस एक विकसित लोकतंत्र का अनिवार्य हिस्सा है. इसका स्वागत किया जाना चाहिए. राज्यपालों की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल को राज्य में संविधान के संरक्षक होने के नाते हमेशा सतर्क रहना चाहिए ताकि लोकतंत्र बरकरार रहे.