मांसाहार पर प्रधानमंत्री के बयान को लेकर कांग्रेस का हमला, कहा- लोकसभा चुनाव से पहले घबराए हैं मोदी

कांग्रेस भारत की विविधता की रक्षा करना चाहती है, भाजपा इसे नष्ट करना चाहती है: जयराम रमेश

नयी दिल्ली/आइजोल. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सावन के महीने में मांस के सेवन का वीडियो दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय को चिढ़ाने के लिये विपक्ष पर निशाना साधने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले घबराए हुए हैं. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर हर दिन मुद्दों को नया मोड़ देने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री की सतत राजनीतिक बयानबाजी बचकानी और थकाऊ है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा चुनावों में पिछड़ रही है, क्योंकि उसने अभी तक अपना घोषणापत्र तैयार नहीं किया है, जबकि कांग्रेस पहले ही घोषणापत्र जारी कर चुकी है और लोगों तक पहुंच रही है. रमेश की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू कश्मीर में एक चुनावी रैली में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की मानसिकता की तुलना मुगलों से की और कहा कि उन्हें मंदिरों में तोड़फोड़ करने से खुशी मिलती थी.

मोदी ने उन पर अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सावन के महीने में मांस खाने के वीडियो दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय को चिढ़ाने का आरोप लगाया. रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ”प्रधानमंत्री की तरह, हमने यह तो ‘ट्रैक’ नहीं किया है कि किस नेता ने किस महीने में क्या खाया, लेकिन पोषण से जुड़े इन आंकड़ों पर हम जरूर नजर रख रहे हैं.” उन्होंने कहा कि एनीमिया (रक्त अल्पता) के कई कारण हैं, जिनमें आयरन की कमी, अपर्याप्त आहार और अन्य पोषक तत्वों की कमी शामिल है. रमेश ने कहा कि साल 2015-16 और 2019-21 के बीच 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एनीमिया लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ गया. उन्होंने कहा कि 15 से 19 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 9.2 प्रतिशत बढ़ी है.

रमेश ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में, पांच साल से कम उम्र के दस में से आठ बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए हैं. उन्होंने कहा, ”मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में स्कूली बच्चों के लिए नाश्ते को शामिल करने की 4000 करोड़ रुपए की एक योजना को वित्त मंत्रालय ने धन की कमी बताकर वीटो कर दिया था.” उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल हेल्थ इंडिकेटर’ (जीएचआई) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में बच्चों में ‘वेस्टिंग’ (लंबाई के हिसाब से कम वजन) दर 18.7 प्रतिशत है, जो इसके सूचकांक में शामिल देशों में सबसे अधिक है.

उन्होंने बताया कि बच्चों में बौनेपन (उम्र के हिसाब से बेहद कम लंबाई) की दर 35.5 फीसदी है, जो दुनिया में 15वें नंबर पर सबसे अधिक है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है, और कई संकेतकों के अनुसार यह और भी बदतर होती जा रही है. रमेश ने कहा, ”प्रधानमंत्री अपनी बीमार मानसिकता का हर रोज. एक नया उदाहरण पेश करते हैं. अब वह खाने की बातों को लेकर भी द्वेष फैला रहे हैं?” उन्होंने कहा कि पहले चरण के मतदान से एक सप्ताह पहले, भाजपा बड़ी मुश्किल से एक घोषणापत्र समिति बना पाई है.

उन्होंने कहा कि इस बीच कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया, हर घर में अपने गारंटी कार्ड को पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया तथा अपना विज्ञापन अभियान शुरू किया. रमेश ने दावा किया, ”हम एजेंडा तय कर रहे हैं और अपना संदेश जनता तक पहुंचा रहे हैं. वहीं हताश और निराश प्रधानमंत्री मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हर दिन कुछ न कुछ नया तरीक.ा ढूंढते रहते हैं.” सावन के महीने में कुछ नेताओं के मांस खाने और इसका वीडियो वायरल करने का जिक्र करते हुए मोदी ने शुक्रवार को कहा, ” सावन के महीने में एक सजायाफ्ता मुजरिम के घर जाकर वो मटन बना रहे थे. उन्होंने देश के लोगों को चिढ़ाने के लिए इसका वीडियो बनाया.” प्रधानमंत्री का इशारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राजद प्रमुख लालू प्रसाद के घर जाने और मटन पकाए जाने की ओर था.
मोदी ने कहा कि न तो कोई कानून और न ही वह किसी को कुछ खाने से रोकते हैं.

उन्होंने कहा, ”हर कोई शाकाहारी या मांसाहारी भोजन खाने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन उनके इरादे अलग थे. मुगलों को मंदिरों को तोड़कर संतोष मिलता था, राजाओं को हराकर नहीं. वे इससे आनंद प्राप्त करते थे.” उन्होंने आरोप लगाया, ”इसी तरह, वे सावन के महीने में इस तरह के वीडियो जारी करके देश के लोगों को चिढ़ाते हैं और अपने वोट बैंक को मजबूत करते हैं.”

उन्होंने कहा कि नवरात्रि के दौरान मांसाहारी भोजन खाने और उसे दिखाने से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं. मोदी ने कहा, ”यह कहने के लिए वे लोग मुझ पर गालियों की बौछार करेंगे. मुझे निशाना बनाएंगे. लेकिन जब यह सहनशीलता से परे हो गया, तो लोकतंत्र में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं लोगों को सही चीजें बताऊं. यह मेरा काम है. मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूं.” मोदी ने आरोप लगाया कि ये नेता जानबूझकर ऐसी हरकतें कर रहे हैं, ताकि लोगों का एक बड़ा वर्ग नाराज हो जाए. उन्होंने कहा, ”उनकी मानसिकता मुगलों वाली है. उन्हें पता नहीं कि जनता जब मुंहतोड़ जवाब देती है, तो बड़े-बड़े राजवंशों के राजकुमार दरकिनार हो जाते हैं. वंशवादी पार्टियों और भ्रष्टाचार से ग्रस्त लोगों को मौका नहीं दिया जाना चाहिए.”

कांग्रेस भारत की विविधता की रक्षा करना चाहती है, भाजपा इसे नष्ट करना चाहती है: जयराम रमेश

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करते हुए दावा किया कि पार्टी भारत की विविधता को नष्ट करना चाहती है, जबकि कांग्रेस इसकी रक्षा करना चाहती है. रमेश ने दावा किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में संस्कृतियों, भाषाओं और जीवन के तरीकों की विविधता को भाजपा शासन के तहत खतरे का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, ”भाजपा और कांग्रेस के बीच एक बुनियादी अंतर है. भाजपा पूरे देश में एकरूपता थोपना चाहती है. दूसरी ओर, कांग्रेस का लक्ष्य देश की विविधता का सम्मान करते हुए एकता को मजबूत करना है.” रमेश ने कहा, ”भाजपा भारत की आत्मा को नष्ट कर रही है. इसलिए हम भारत को परिभाषित करने वाली हमारी विविधताओं को संरक्षित करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, न कि राज्यों, संस्कृतियों और क्षेत्रों में कृत्रिम एकरूपता थोपने के लिए.” कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्य, विशेष रूप से मिजोरम, विविध धर्मों, विविध भाषाओं और विविध जीवन शैली की भूमि है.

उन्होंने दावा किया कि भाजपा का एक राष्ट्र एक चुनाव और एक राष्ट्र एक संस्कृति का विचार भारत के विचार के खिलाफ है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने भाजपा पर ‘झांसा दो और राज करो’ की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मणिपुर इसका एक उदाहरण है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने मणिपुर के मेइती, कुकी और नगा समुदाय को धोखा दिया है.

रमेश ने आरोप लगाया कि मणिपुर में पिछले 11 महीनों से जातीय संघर्ष जारी है, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया और तीन मिनट के लिए भी इसकी स्थिति के बारे में बात नहीं की. पिछले साल मई से मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा में कम से कम 219 लोग मारे गए हैं.

रमेश ने कहा, ”मणिपुर में जो हुआ वह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ध्रुवीकरण और विभाजन की नीति का परिणाम है. मणिपुर भाजपा की नफरत की राजनीति और स्थानीय लोगों की संस्कृतियों का सम्मान न करने के परिणामों को दर्शाता है.” रमेश ने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव संविधान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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