दुनियाभर के हिंदुओं को जोड़िए, फिर दुनिया से जुड़िए: संघ प्रमुख मोहन भागवत

विश्व हिंदू सम्मेलन में 'हिंदूवाद' को त्यागकर 'हिंदुत्व', 'हिंदू धर्म' शब्दों को अपनाया गया

बैंकॉक. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोगों के बाद लड़खड़ा रही दुनिया को प्रसन्नता और संतोष का मार्ग भारत दिखाएगा. थाइलैंड की राजधानी में तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भागवत ने दुनियाभर के हिंदुओं से अपील की कि वे एक दूसरे से जुड़ें और मिलकर दुनिया से कड़ी जोड़ें.

उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ”हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा. सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे. हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.” भागवत ने कहा कि दुनिया, खासतौर पर कोविड महामारी के बाद यह मान चुकी है और आम-सहमति से यह बात सोच रही है कि भारत प्रसन्नता और संतोष का मार्ग दिखाएगा.

उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोग करते हुए लड़खड़ा रही है और प्रसन्नता की तलाश में वह हिंदुत्व की ओर देख रही है. संघ प्रमुख ने कहा, ”आज का विश्व लड़खड़ा रहा है. 2,000 साल से उन्होंने खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए अनेक प्रयोग किए हैं. उन्होंने भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोग किए हैं. उन्होंने अनेक धर्मों से जुड़े प्रयोग किए हैं. उन्हें भौतिक समृद्धि मिल गई है, लेकिन संतोष नहीं है.”

उन्होंने कहा, ”कोविड महामारी के बाद उन्होंने पुर्निवचार करना शुरू किया. अब ऐसा लगता है कि वे यह सोचने में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा.” भागवत ने कहा, ”हमें सभी के पास जाकर संपर्क करना होगा, उनसे जुड़ना होगा और अपनी सेवाओं से उन्हें अपनी ओर लाना होगा. हमारे पास उमंग है. हम निस्वार्थ सेवा के मामले में दुनिया में अग्रणी हैं. यह हमारी परंपराओं और मूल्यों में है. इसलिए लोगों तक पहुंचिए और दिल जीतिए.” इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों को दुनियाभर में हिंदुओं के समक्ष आ रहीं चुनौतियों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलेगा. भागवत ने कहा कि हिंदुओं को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का प्रसार करने में अहम भूमिका निभानी होगी.

उन्होंने कहा, ”इसके लिए हमें साथ आना होगा, साथ रहना होगा और साथ में काम करना होगा.” भागवत ने कहा, ”सभी को दुनिया के लिए कुछ योगदान देना होगा. हमने अपनी विशेषता पहचान ली है. हमारे अंदर सभी के प्रति सम्मान है. हमारे पूर्वजों ने इसे पहचाना था लेकिन हम इस कौशल को भूल गए और टुकड़ों में बांट दिए गए और अधीन हो गए. अब हमें एक साथ आना होगा.”

उन्होंने कहा कि आक्रोश, घृणा, घृणा भरे भाषण, द्वेष और अहंकार लोगों को साथ में आने से रोकते हैं और समाज या संगठन को तोड़ देते हैं. वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की. इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

विश्व हिंदू सम्मेलन में ‘हिंदूवाद’ को त्यागकर ‘हिंदुत्व’, ‘हिंदू धर्म’ शब्दों को अपनाया गया
विश्व हिंदू सम्मेलन में सनातन धर्म को संर्दिभत करने के लिए शुक्रवार को हिंदुत्व और हिंदू धर्म शब्दों को अपनाया गया. इसके साथ ही, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) शब्द त्यागने का तर्क देते हुए कहा कि यह शब्द दमन और भेदभाव को दर्शाता है. तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) ने यहां एक घोषणापत्र को अंगीकार किया गया जिसमें कहा गया कि हिंदुत्व शब्द अधिक सटीक है क्योंकि इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं.

डब्ल्यूएचसी के विचार-विमर्श के पहले दिन के अंत में अंगीकार किए गए घोषणापत्र में कहा गया, ”हिंदू धर्म शब्द में पहला शब्द अर्थात् हिंदू एक असीमित शब्द है. यह उन सभी का प्रतीक है जो सनातन या शाश्वत है. और फिर धर्म है, जिसका अर्थ है वह, जो कायम रखता है.” इसमें कहा गया है कि इसके विपरीत, हिंदूवाद (हिंदुइज्म) पूरी तरह से अलग है क्योंकि इसमें ”इज्म” जुड़ा हुआ है, जो एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण या विश्वास के रूप में परिभाषित शब्द है.

घोषणापत्र में कहा गया है, ”इसी वजह से हमारे कई बुजुर्गों ने हिंदूवाद की तुलना में हिंदुत्व शब्द को प्राथमिकता दी क्योंकि हिंदुत्व अधिक सटीक शब्द है, इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं. हम उनसे सहमत हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए.” यह घोषणापत्र ऐसे समय अपनाया गया है, जब कुछ समय पहले द्रमुक नेताओं ने ‘सनातन का उन्मूलन’ विषय पर एक संगोष्ठी में सनातन धर्म के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं.

घोषणापत्र में कहा गया कि हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है और इसका सीधा सा मतलब हिंदू से संबंधित है. घोषणापत्र में कहा गया, ”अन्य लोगों ने विकल्प के तौर पर ”सनातन धर्म” का उपयोग किया है, जिसे संक्षिप्त में अक्सर सनातन कहा जाता है. यहां सनातन शब्द हिंदू धर्म की शाश्वत प्रकृति को इंगित करने वाले विशेषण के रूप में काम करता है.” घोषणापत्र में कहा गया कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विपरीत के तौर पर चित्रित करते हैं.

इसमें कहा गया, ”लेकिन अधिकांश लोग हिंदू धर्म के प्रति अपनी गहरी नफरत और पूर्वाग्रहों के कारण हिंदुत्व विरोधी हैं. राजनीतिक एजेंडे और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई नेता भी उस समूह में शामिल हो गए हैं और कटुता के साथ सनातन धर्म या सनातन की आलोचना कर रहे हैं.” डब्ल्यूएचसी ने ऐसी आलोचना की निंदा की और दुनिया भर के हिंदुओं से आग्रह किया कि वे इस तरह की कट्टरता में शामिल लोगों पर काबू पाने के लिए एकजुट हों और विजयी बनें.

इससे पहले, डब्ल्यूएचसी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को खुशी और संतुष्टि का रास्ता दिखाएगा जो भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोगों से लड़खड़ा रही है. उन्होंने दुनिया भर के हिंदुओं से एक-दूसरे तक पहुंचने और एक साथ दुनिया से जुड़ने की अपील की.

उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ”हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा. सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे. हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.” वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की. इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

आध्यात्मिक नेता माता अमृतानंदमयी देवी, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के महासचिव मिलिंद परांडे, डब्ल्यूएचसी आयोजन समिति के अध्यक्ष सुशील सराफ, भारत सेवाश्रम संघ के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी पूर्णात्मानंद, हिंदू धर्म टुडे-यूएसए के प्रकाशक सतगुरु बोधिनाथ वेयलानस्वामी सहित अन्य ने हिस्सा लिया.

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