न्यायालय ने पूछा : वेब सीरीज के लिए कैसे हो सकती है ‘प्री-स्क्रीनिंग’ समिति

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह हमेशा महसूस किया गया है कि ‘प्री-सेंसरशिप’ अनुमति योग्य नहीं है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह आश्चर्य भी जताया कि सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली वेब श्रृंखलाएं, सिनेमा या अन्य कार्यक्रमों के लिए कोई ‘प्री-स्क्रीनिंग’ समिति कैसे हो सकती है.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ मिर्जापुर निवासी सुजीत कुमार सिंह की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली वेब श्रृंखला, सिनेमा या अन्य कार्यक्रमों के लिए ‘प्री-स्क्रीनिंग’ समिति बनाये जाने का अनुरोध किया गया है.

पीठ ने कहा, ‘‘वेब श्रृंखला के लिए कोई प्री-स्क्रीनिंग समिति कैसे हो सकती है? एक विशेष कानून है. जब तक आप यह नहीं कहते कि ओटीटी (ओवर-द-टॉप) भी इसका (कानून का) एक हिस्सा है… आपको कहना होगा कि मौजूदा कानून ओटीटी पर भी लागू हो. (इसके बाद) कई सवाल उठेंगे, क्योंकि प्रसारण दूसरे देशों से होता है.’’ पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने का निर्देश देते हुए कहा, “ओटीटी उपग्रह प्रसारण अन्य देशों से होता है, भले ही दर्शक यहां हों. प्रदर्शन के बाद निवारण तंत्र अलग है. आपकी याचिका अधिक विस्तृत होनी चाहिए. बेहतर (याचिका) दायर करें.” शीर्ष अदालत ने लोकप्रिय वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ के तीसरे सीजन पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया. इस सीरिज का अभी निर्माण हो रहा है.

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